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गया में भेड़ों की डूबकर मौत, भारी बारिश ने बढ़ाई भेड़ पालकों की चिंता - गया में भारी बारिश

गया में भारी बारिश (Heavy Rain In Gaya) के कारण हुए जल-जमाव में सैकड़ों भेड़ों की डूबकर मौत हो गई. जिला प्रशासन से भेड़ पालकों ने मुआवजे की मांग की है. पढ़ें पूरी खबर....

गया में भेड़ों की डूबकर मौत
गया में भेड़ों की डूबकर मौत
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Published : Dec 29, 2021, 7:02 PM IST

गया: मौसम में बदलाव के कारण मंगलवार की शाम में हुई बारिश और ओलावृष्टि से बोधगया के रामपुर (Rampur Of Bodh Gaya) में लगभग डेढ़ सौ भेड़ों की मौत (Sheeps died by drowning) हो गई. इससे भेड़ पालकों में काफी मायूसी है. इतनी बड़ी संख्या में भेड़ की मौत से इनके सामने रोजी रोटी की परेशानी आ गई है. हालांकि भेड़ पालकों ने अपने मवेशियों को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन बारिश के पानी में डूबकर भेड़ों की मौत हो गई.

ये भी पढ़ेंः Bihar Weather Update: बिहार के कई जिलों में बारिश, तापमान में गिरावट से बढ़ी ठंड

जानकारी के मुताबिक रामपुर गांव के प्रह्लाद पाल, आदित्य पाल, महेंद्र कुमार पाल सहित अन्य भेड़ पालक अपने भेड़ों को गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के पास बापूनगर में चरा रहे थे. इसी बीच शाम को जोरदार बारिश शुरू हुई. बारिश से बचाने के लिए भेड़ों को बगल के एक चहारदीवारी के अंदर कर दिया गया. लेकिन लगातार हुई बारिश से चारदीवारी के अंदर पानी ज्यादा भर गया, उसी में डूबकर और ओलावृष्टि के चोट से सभी भेड़ों की मौत हो गई.

देखें वीडियो

ग्रामीणों और भेड़ पालकों ने उन्हें बचाने का भरपूर कोशिश की लेकिन बिजली की कड़क और भारी बारिश के सामने बेबस थे. स्थानीय ग्रामीण राजेश कुमार पाल ने कहा कि जिन लोगों की भेड़ें मर गई हैं, वो लोग उन्हीं पर आश्रित थे. अब उनके सामने खाने-पीने की समस्या उत्पन्न हो गई है. ये काफी गरीब तबके के लोग हैं. जिला प्रशासन से हम मांग करते हैं कि इन सभी को उचित मुआवजा देकर मदद की जाए.

ये भी पढ़ें:Bihar Weather Update:अगले दो दिनों में बारिश का अलर्ट, तापमान घटने से ठिठुरन बढ़ेगी

वहीं, बोधगया के स्थानीय नेता विजय कुमार यादव ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि रामपुर गांव में बुनकर संघ की स्थापना की गई है. लेकिन सरकार द्वारा इसके लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई है कि इस तरह के आपदा में उन्हें किस प्रकार सहायता दी जाए? इन भेड़ पालकों के जीवन यापन का प्रमुख साधन भेड़ पालन ही है. इससे इनको भारी क्षति हुई है और भुखमरी की समस्या उत्पन्न होगी.

विजय कुमार यादव ने सरकार से मांग की कि तत्काल इन्हें आर्थिक सहायता देकर उबारा जाए. साथ ही इसके लिए एक नीति बनाई जाए. जिससे इस प्रकार की आपदा में उन्हें मदद मिल सके. उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी भेड़ पालन का कार्य हो रहा है, वहां भेड़ को सुरक्षित रखने के लिए शेड का निर्माण किया जाना चाहिए.

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गया: मौसम में बदलाव के कारण मंगलवार की शाम में हुई बारिश और ओलावृष्टि से बोधगया के रामपुर (Rampur Of Bodh Gaya) में लगभग डेढ़ सौ भेड़ों की मौत (Sheeps died by drowning) हो गई. इससे भेड़ पालकों में काफी मायूसी है. इतनी बड़ी संख्या में भेड़ की मौत से इनके सामने रोजी रोटी की परेशानी आ गई है. हालांकि भेड़ पालकों ने अपने मवेशियों को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन बारिश के पानी में डूबकर भेड़ों की मौत हो गई.

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जानकारी के मुताबिक रामपुर गांव के प्रह्लाद पाल, आदित्य पाल, महेंद्र कुमार पाल सहित अन्य भेड़ पालक अपने भेड़ों को गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के पास बापूनगर में चरा रहे थे. इसी बीच शाम को जोरदार बारिश शुरू हुई. बारिश से बचाने के लिए भेड़ों को बगल के एक चहारदीवारी के अंदर कर दिया गया. लेकिन लगातार हुई बारिश से चारदीवारी के अंदर पानी ज्यादा भर गया, उसी में डूबकर और ओलावृष्टि के चोट से सभी भेड़ों की मौत हो गई.

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ग्रामीणों और भेड़ पालकों ने उन्हें बचाने का भरपूर कोशिश की लेकिन बिजली की कड़क और भारी बारिश के सामने बेबस थे. स्थानीय ग्रामीण राजेश कुमार पाल ने कहा कि जिन लोगों की भेड़ें मर गई हैं, वो लोग उन्हीं पर आश्रित थे. अब उनके सामने खाने-पीने की समस्या उत्पन्न हो गई है. ये काफी गरीब तबके के लोग हैं. जिला प्रशासन से हम मांग करते हैं कि इन सभी को उचित मुआवजा देकर मदद की जाए.

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वहीं, बोधगया के स्थानीय नेता विजय कुमार यादव ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि रामपुर गांव में बुनकर संघ की स्थापना की गई है. लेकिन सरकार द्वारा इसके लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई है कि इस तरह के आपदा में उन्हें किस प्रकार सहायता दी जाए? इन भेड़ पालकों के जीवन यापन का प्रमुख साधन भेड़ पालन ही है. इससे इनको भारी क्षति हुई है और भुखमरी की समस्या उत्पन्न होगी.

विजय कुमार यादव ने सरकार से मांग की कि तत्काल इन्हें आर्थिक सहायता देकर उबारा जाए. साथ ही इसके लिए एक नीति बनाई जाए. जिससे इस प्रकार की आपदा में उन्हें मदद मिल सके. उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी भेड़ पालन का कार्य हो रहा है, वहां भेड़ को सुरक्षित रखने के लिए शेड का निर्माण किया जाना चाहिए.

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