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Sesame cultivation: अब राजस्थान-गुजरात नहीं.. गया के तिल से बनेगा प्रसिद्ध तिलकुट, 500 एकड़ में लहलहा रही तिल की फसल - Sesame cultivation

बिहार के गया का प्रसिद्ध तिलकुट (Famous Tilkut of Gaya) अब और खास होने वाला है. पहले यहां एक छटांक भी तिल की खेती नहीं होती थी लेकिन अब यह तिल की फसल का हब बनने जा रहा है. यहां 500 एकड़ में तिल की फसल लहलहा रही है. जिस वजह से अब राजस्थान और गुजरात नहीं बल्कि गया के तिल से ही प्रसिद्ध तिलकुट बनेगा. आगे पढ़ें पूरी खबर...

गया का प्रसिद्ध तिलकुट
गया का प्रसिद्ध तिलकुट
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Published : May 4, 2023, 9:45 AM IST

गया में तिल की खेती

गया: बिहार के गया में तिल की खेती (Sesame cultivation in Gaya) इन दिनों लहलहा रही है. पहले जहां तिल की खेती यहां एक छटांक भी नहीं हो रही थी. वहीं अब तिल की फसल जिले के विभिन्न हिस्सों में करीब 500 एकड़ में लहलहा रही है. बड़ी बात यह है कि अगले महीने जून से ही तिल निकलना शुरू हो जाएगा. देश भर में प्रसिद्ध गया का तिलकुट भी अब यहीं के तिल से बनेगा. अब तक यहां तिल की खेप राजस्थान और गुजरात से मंगाई जा रही थी, जो थोड़ी महंगी भी पड़ती है लेकिन अब जून महीने से गया को अपना उपजाया तिल मिलना शुरू हो जाएगा. पहली बार जिले में व्यापक पैमाने पर तिल की खेती की जा रही है और सैकड़ों किसानों को इससे जोड़ा गया है.

पढ़ें-Nalanda Apple Cultivation: नालंदा में पहली बार सेब की खेती, एक एकड़ में हो रहा प्रयोग, देखें VIDEO

500 एकड़ में खेती में 350 से अधिक जुड़े किसान: पहली बार के प्रयास में ही करीब 500 एकड़ में तिल की खेती हो रही है. इससे 350 से अधिक किसान जोड़े गए हैं, जो कि तिल की खेती को कर रहे हैं. खास बात यह है कि देश भर में प्रसिद्ध गया का तिलकुट भी अब अपने जिले के तिल से ही बनेगा. 15 जून के आसपास की तारीख से तिल की खेप व्यवसायियों को मिलनी शुरू हो जाएगी. जिससे तिलकुट व्यवसाय के कारोबारियों को अच्छी बचत होगी, वहीं आम लोगों को भी सस्ते दरों पर तिलकुट की खरीदारी करने में राहत मिल सकेगी. फिलहाल तिलकुट की खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है और अगले वर्ष से इसका उत्पादन कई गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.

अभी से ही आने लगे हैं ऑर्डर: इस संबंध में किसान राजनंदन सिंह बताते हैं कि पहली बार तिल की खेती उनके द्वारा की जा रही है. इसमें कम लागत और कम मेहनत है. वहीं अच्छी बात यह है कि अभी से ही तिल की खरीदारी के लिए व्यवसायियों ने ऑर्डर करने शुरू कर दिए हैं. तिल की खेती अच्छे मुनाफे वाली साबित हुई तो अगले साल से कई गुना ज्यादा भूभाग में किसान इस फसल को लगाएंगे. राज नंदन सिंह ने बताया कि फिलहाल में उनके द्वारा 20 कठा में तिल की फसल को लगाया गया है. पूरी संभावना है कि तिल की फसल से अच्छी आमदनी होगी. किसान सुनील सिंह बताते हैं कि पहली बार उनके द्वारा तिल की खेती की जा रही है और आगे सब अच्छा रहा तो अगली बार बड़े पैमाने पर इसकी खेती करेंगे.

"पहली बार तिल की खेती कर रहे हैं. इसमें कम लागत और कम मेहनत है. वहीं अच्छी बात यह है कि अभी से ही तिल की खरीदारी के लिए व्यवसायियों ने ऑर्डर करने शुरू कर दिए हैं. तिल की खेती अच्छे मुनाफे वाली साबित हुई तो अगले साल से कई गुना ज्यादा भूभाग में इस फसल को लगाएंगे."-राज नंदन सिंह, किसान

कृषि विभाग से किसानों को मिल रहा प्रोत्साहन: तिल की खेती को लेकर कृषि समन्वयक रवि शंकर कुमार बताते हैं कि कृषि विभाग द्वारा तिल की खेती करने को लेकर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. यही वजह है कि जिले में बड़े पैमाने पर शुरुआत में ही तिल की खेती शुरू हो गई है. राष्ट्रीय पोषण एवं कृषि उन्नति योजना के तहत किसानों को बीज मुफ्त में मुहैया कराया गया है. बताया कि अब गया के तिल से ही यहां का देश भर में प्रसिद्ध तिलकुट का निर्माण होगा.

"कृषि विभाग द्वारा तिल की खेती करने को लेकर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. यही वजह है कि जिले में बड़े पैमाने पर शुरुआत में ही तिल की खेती शुरू हो गई है. राष्ट्रीय पोषण एवं कृषि उन्नति योजना के तहत किसानों को बीज मुफ्त में मुहैया कराया गया है."-रवि शंकर कुमार, कृषि समन्वयक

कई स्थानों पर हो रही व्यापक पैमाने पर खेती: जिले में तिल की खेती तकरीबन सभी प्रखंडों में हो रही है. सबसे ज्यादा गुरारू के बाली गांव में इसकी खेती हो रही है. किसान इसलिए खुश है क्योंकि इसमें कीड़े कम लगते हैं. वहीं पानी की खपत भी कम होती है. कम लागत में तिल की फसल की अच्छी पैदावार हो जाती है जो कि किसानों के लिए एक बड़ी राहत का की बात है. कृषि समन्वयक रवि शंकर कुमार बताते हैं कि तिल की खेती से निश्चित तौर पर किसानों को अच्छी आमदनी होगी. 130 रुपए किलो के आसपास इसकी बिक्री की संभावना है.

तिल की खेती को दिया जा रहा है बढ़ावा: इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि तिल की खेती गया जिले में व्यापक पैमाने पर पहली दफा ही शुरू हो रही है. यह एक अच्छी बात है. तिल की खेती में कम पूंजी और ज्यादा आमदनी होती है. वहीं 85 से 90 दिनों में इसकी फसल तैयार हो जाती है. आशा है कि जून के महीने में तिल मिलना शुरू हो जाएगा. गया के तिल से ही तिलकुुट बनेगा. गया के तिल से ही गया का देश भर में प्रसिद्ध तिलकुट भी बनेगा. वहीं अब राजस्थान और गुजरात से तिल ने की नौबत नहीं आएगी क्योंकि यहां व्यापक पैमाने पर तिल की खेती हो रही है.

"तिल की खेती गया जिले में व्यापक पैमाने पर पहली दफा शुरू हो रही है. यह एक अच्छी बात है. तिल की खेती में कम पूंजी और ज्यादा आमदनी होती है. वहीं 85 से 90 दिनों में इसकी फसल तैयार हो जाती है."- सुदामा महतो, जिला कृषि पदाधिकारी

गया में तिल की खेती

गया: बिहार के गया में तिल की खेती (Sesame cultivation in Gaya) इन दिनों लहलहा रही है. पहले जहां तिल की खेती यहां एक छटांक भी नहीं हो रही थी. वहीं अब तिल की फसल जिले के विभिन्न हिस्सों में करीब 500 एकड़ में लहलहा रही है. बड़ी बात यह है कि अगले महीने जून से ही तिल निकलना शुरू हो जाएगा. देश भर में प्रसिद्ध गया का तिलकुट भी अब यहीं के तिल से बनेगा. अब तक यहां तिल की खेप राजस्थान और गुजरात से मंगाई जा रही थी, जो थोड़ी महंगी भी पड़ती है लेकिन अब जून महीने से गया को अपना उपजाया तिल मिलना शुरू हो जाएगा. पहली बार जिले में व्यापक पैमाने पर तिल की खेती की जा रही है और सैकड़ों किसानों को इससे जोड़ा गया है.

पढ़ें-Nalanda Apple Cultivation: नालंदा में पहली बार सेब की खेती, एक एकड़ में हो रहा प्रयोग, देखें VIDEO

500 एकड़ में खेती में 350 से अधिक जुड़े किसान: पहली बार के प्रयास में ही करीब 500 एकड़ में तिल की खेती हो रही है. इससे 350 से अधिक किसान जोड़े गए हैं, जो कि तिल की खेती को कर रहे हैं. खास बात यह है कि देश भर में प्रसिद्ध गया का तिलकुट भी अब अपने जिले के तिल से ही बनेगा. 15 जून के आसपास की तारीख से तिल की खेप व्यवसायियों को मिलनी शुरू हो जाएगी. जिससे तिलकुट व्यवसाय के कारोबारियों को अच्छी बचत होगी, वहीं आम लोगों को भी सस्ते दरों पर तिलकुट की खरीदारी करने में राहत मिल सकेगी. फिलहाल तिलकुट की खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है और अगले वर्ष से इसका उत्पादन कई गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.

अभी से ही आने लगे हैं ऑर्डर: इस संबंध में किसान राजनंदन सिंह बताते हैं कि पहली बार तिल की खेती उनके द्वारा की जा रही है. इसमें कम लागत और कम मेहनत है. वहीं अच्छी बात यह है कि अभी से ही तिल की खरीदारी के लिए व्यवसायियों ने ऑर्डर करने शुरू कर दिए हैं. तिल की खेती अच्छे मुनाफे वाली साबित हुई तो अगले साल से कई गुना ज्यादा भूभाग में किसान इस फसल को लगाएंगे. राज नंदन सिंह ने बताया कि फिलहाल में उनके द्वारा 20 कठा में तिल की फसल को लगाया गया है. पूरी संभावना है कि तिल की फसल से अच्छी आमदनी होगी. किसान सुनील सिंह बताते हैं कि पहली बार उनके द्वारा तिल की खेती की जा रही है और आगे सब अच्छा रहा तो अगली बार बड़े पैमाने पर इसकी खेती करेंगे.

"पहली बार तिल की खेती कर रहे हैं. इसमें कम लागत और कम मेहनत है. वहीं अच्छी बात यह है कि अभी से ही तिल की खरीदारी के लिए व्यवसायियों ने ऑर्डर करने शुरू कर दिए हैं. तिल की खेती अच्छे मुनाफे वाली साबित हुई तो अगले साल से कई गुना ज्यादा भूभाग में इस फसल को लगाएंगे."-राज नंदन सिंह, किसान

कृषि विभाग से किसानों को मिल रहा प्रोत्साहन: तिल की खेती को लेकर कृषि समन्वयक रवि शंकर कुमार बताते हैं कि कृषि विभाग द्वारा तिल की खेती करने को लेकर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. यही वजह है कि जिले में बड़े पैमाने पर शुरुआत में ही तिल की खेती शुरू हो गई है. राष्ट्रीय पोषण एवं कृषि उन्नति योजना के तहत किसानों को बीज मुफ्त में मुहैया कराया गया है. बताया कि अब गया के तिल से ही यहां का देश भर में प्रसिद्ध तिलकुट का निर्माण होगा.

"कृषि विभाग द्वारा तिल की खेती करने को लेकर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. यही वजह है कि जिले में बड़े पैमाने पर शुरुआत में ही तिल की खेती शुरू हो गई है. राष्ट्रीय पोषण एवं कृषि उन्नति योजना के तहत किसानों को बीज मुफ्त में मुहैया कराया गया है."-रवि शंकर कुमार, कृषि समन्वयक

कई स्थानों पर हो रही व्यापक पैमाने पर खेती: जिले में तिल की खेती तकरीबन सभी प्रखंडों में हो रही है. सबसे ज्यादा गुरारू के बाली गांव में इसकी खेती हो रही है. किसान इसलिए खुश है क्योंकि इसमें कीड़े कम लगते हैं. वहीं पानी की खपत भी कम होती है. कम लागत में तिल की फसल की अच्छी पैदावार हो जाती है जो कि किसानों के लिए एक बड़ी राहत का की बात है. कृषि समन्वयक रवि शंकर कुमार बताते हैं कि तिल की खेती से निश्चित तौर पर किसानों को अच्छी आमदनी होगी. 130 रुपए किलो के आसपास इसकी बिक्री की संभावना है.

तिल की खेती को दिया जा रहा है बढ़ावा: इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि तिल की खेती गया जिले में व्यापक पैमाने पर पहली दफा ही शुरू हो रही है. यह एक अच्छी बात है. तिल की खेती में कम पूंजी और ज्यादा आमदनी होती है. वहीं 85 से 90 दिनों में इसकी फसल तैयार हो जाती है. आशा है कि जून के महीने में तिल मिलना शुरू हो जाएगा. गया के तिल से ही तिलकुुट बनेगा. गया के तिल से ही गया का देश भर में प्रसिद्ध तिलकुट भी बनेगा. वहीं अब राजस्थान और गुजरात से तिल ने की नौबत नहीं आएगी क्योंकि यहां व्यापक पैमाने पर तिल की खेती हो रही है.

"तिल की खेती गया जिले में व्यापक पैमाने पर पहली दफा शुरू हो रही है. यह एक अच्छी बात है. तिल की खेती में कम पूंजी और ज्यादा आमदनी होती है. वहीं 85 से 90 दिनों में इसकी फसल तैयार हो जाती है."- सुदामा महतो, जिला कृषि पदाधिकारी

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