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गया: कोरोना का प्रभाव हो रहा कम, छात्रों के स्वागत के लिए स्कूल को दिया गया ट्रेन और जंक्शन का रूप

स्कूल भवन के अंदर प्रवेश करते ही ऐसा लगता कि मानो ट्रेन में सवार हो गए है. वर्ग ट्रेन के डिब्बे की भांति नजर आती है. कक्षा से बाहर निकलने के दौरान ऐसा आभास होता है. जैसे ट्रेन से बाहर निकल रहे है. भवन के सबसे अगले भाग को ट्रेन के इंजन का रूप दिया गया है. ट्रेन का नाम डिहुरी शिक्षा एक्सप्रेस रखा गया है. जबकि भवन परिसर को शैक्षणिक जंक्शन का नाम दिया गया है.

स्कूल को दिया गया ट्रेन और जंक्शन का रूप
स्कूल को दिया गया ट्रेन और जंक्शन का रूप
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Published : Nov 3, 2020, 1:30 AM IST

गया: बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष रोजगार और शिक्षा के मुद्दे पर जनता के बीच में है. इन सब के बीच कोरोना काल में बीते कई महीने से स्कूल बंद है. हालांकि, संक्रमण के कम हो रहे प्रभाव के कारण एक बार फिर से स्कूलों के खुलने के आसार दिखने लगे हैं.

दरअसल, गया नगर प्रखण्ड में स्थित मध्य विद्यालय डिहुरी में स्कूल से बच्चे का मोहभंग ना हो इसके लिए पूरे स्कूल के कक्षा को एक ट्रेन का रूप दिया गया है. कमरे में शैक्षणिक जानकारी का चित्रण भी किया गया है. इस नए प्रयोग को लेकर विद्यालय के हेडमास्टर का कहना है कि बंदी के बाद जब स्कूल खुलेंगे, तो छात्र विद्यालय आना शुरू करेंगे. छात्रों के स्वागत के लिए ही स्कूल को इस तरह से पेंट किया गया है. जिससे छात्रों में खुशनुमा माहौल बना रहे.

'सरकार उपलब्ध कराती है राशि'
विद्यालय के प्रधानाचार्य वीरेंद्र कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस का असर कम होने लगे है. ऐसे में स्कूल खुलने का आसार है. स्कूल में इतने दिनों बाद छात्र आएंगे. इसलिए छात्रों के स्वागत के लिए और विद्यालय में शैक्षणिक माहौल खुशनुमा बनाने के लिए स्कूल भवन का यह स्वरूप बदला गया है. वीरेंद्र ने बताया कि बच्चों को विद्यालय के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए स्कूल का स्वरूप ट्रेन जैसा बनाया गया है.

कक्षा को दिया गया ट्रेन का रूप
कक्षा को दिया गया ट्रेन का रूप

डिहुरी शिक्षा एक्सप्रेस दिया गया है नाम
स्कूल भवन के अंदर प्रवेश करते ही ऐसा लगता कि मानो ट्रेन में सवार हो गए है. वर्ग ट्रेन के डिब्बे की भांति नजर आती है. कक्षा से बाहर निकलने के दौरान ऐसा आभास होता है जैसे ट्रेन से बाहर निकल रहे हैं. भवन के सबसे अगले भाग को ट्रेन के इंजन का रूप दिया गया है. ट्रेन का नाम डिहुरी शिक्षा एक्सप्रेस रखा गया है. जबकि भवन परिसर को शैक्षणिक जंक्शन का नाम दिया गया है.

देखें रिपोर्ट

गौरतलब है कि स्कूल के प्रधानाध्यापक वीरेंद्र कुमार को 2019 में नेशनल टीचर इनोवेशन अवार्ड से भी नवाजा गया था. वीरेंद्र कुमार विभिन्न स्कूलों में नवाचार करने के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. इससे पहले उन्होंने गुरुआ प्रखंड के एक सरकारी स्कूल में एक नवाचार किया था. जो पूरे देश में चर्चा का विषय बना था. उस नवाचार का उन्होंने 'सिटी बजाओ स्कूल चलो' का नारा दिया था.

मध्य विद्यालय डिहुरी का भवन
मध्य विद्यालय डिहुरी का भवन

बिहार सरकार उपलब्ध कराती है राशि
बता दें कि स्कूल के भवनों को विकास करने के लिए सरकार राशि उपलब्ध करवाती है. जिले के लगभग स्कूलों में रंग रोगन किया गया है. लेकिन मध्य विद्यालय डिहुरी स्कूल की पेंटिंग हर कोई को आकर्षित कर रहा है. गया नगर प्रखंड के मध्य विद्यालय डिहुरी का यह सरकारी स्कूल को देखकर लगता है कि कोई भवन नहीं बल्कि प्लेटफार्म पर एक एक्सप्रेस ट्रेन खड़ी है.

स्कूल के शिक्षक
स्कूल के शिक्षक

गया: बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष रोजगार और शिक्षा के मुद्दे पर जनता के बीच में है. इन सब के बीच कोरोना काल में बीते कई महीने से स्कूल बंद है. हालांकि, संक्रमण के कम हो रहे प्रभाव के कारण एक बार फिर से स्कूलों के खुलने के आसार दिखने लगे हैं.

दरअसल, गया नगर प्रखण्ड में स्थित मध्य विद्यालय डिहुरी में स्कूल से बच्चे का मोहभंग ना हो इसके लिए पूरे स्कूल के कक्षा को एक ट्रेन का रूप दिया गया है. कमरे में शैक्षणिक जानकारी का चित्रण भी किया गया है. इस नए प्रयोग को लेकर विद्यालय के हेडमास्टर का कहना है कि बंदी के बाद जब स्कूल खुलेंगे, तो छात्र विद्यालय आना शुरू करेंगे. छात्रों के स्वागत के लिए ही स्कूल को इस तरह से पेंट किया गया है. जिससे छात्रों में खुशनुमा माहौल बना रहे.

'सरकार उपलब्ध कराती है राशि'
विद्यालय के प्रधानाचार्य वीरेंद्र कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस का असर कम होने लगे है. ऐसे में स्कूल खुलने का आसार है. स्कूल में इतने दिनों बाद छात्र आएंगे. इसलिए छात्रों के स्वागत के लिए और विद्यालय में शैक्षणिक माहौल खुशनुमा बनाने के लिए स्कूल भवन का यह स्वरूप बदला गया है. वीरेंद्र ने बताया कि बच्चों को विद्यालय के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए स्कूल का स्वरूप ट्रेन जैसा बनाया गया है.

कक्षा को दिया गया ट्रेन का रूप
कक्षा को दिया गया ट्रेन का रूप

डिहुरी शिक्षा एक्सप्रेस दिया गया है नाम
स्कूल भवन के अंदर प्रवेश करते ही ऐसा लगता कि मानो ट्रेन में सवार हो गए है. वर्ग ट्रेन के डिब्बे की भांति नजर आती है. कक्षा से बाहर निकलने के दौरान ऐसा आभास होता है जैसे ट्रेन से बाहर निकल रहे हैं. भवन के सबसे अगले भाग को ट्रेन के इंजन का रूप दिया गया है. ट्रेन का नाम डिहुरी शिक्षा एक्सप्रेस रखा गया है. जबकि भवन परिसर को शैक्षणिक जंक्शन का नाम दिया गया है.

देखें रिपोर्ट

गौरतलब है कि स्कूल के प्रधानाध्यापक वीरेंद्र कुमार को 2019 में नेशनल टीचर इनोवेशन अवार्ड से भी नवाजा गया था. वीरेंद्र कुमार विभिन्न स्कूलों में नवाचार करने के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. इससे पहले उन्होंने गुरुआ प्रखंड के एक सरकारी स्कूल में एक नवाचार किया था. जो पूरे देश में चर्चा का विषय बना था. उस नवाचार का उन्होंने 'सिटी बजाओ स्कूल चलो' का नारा दिया था.

मध्य विद्यालय डिहुरी का भवन
मध्य विद्यालय डिहुरी का भवन

बिहार सरकार उपलब्ध कराती है राशि
बता दें कि स्कूल के भवनों को विकास करने के लिए सरकार राशि उपलब्ध करवाती है. जिले के लगभग स्कूलों में रंग रोगन किया गया है. लेकिन मध्य विद्यालय डिहुरी स्कूल की पेंटिंग हर कोई को आकर्षित कर रहा है. गया नगर प्रखंड के मध्य विद्यालय डिहुरी का यह सरकारी स्कूल को देखकर लगता है कि कोई भवन नहीं बल्कि प्लेटफार्म पर एक एक्सप्रेस ट्रेन खड़ी है.

स्कूल के शिक्षक
स्कूल के शिक्षक
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