गया: तो क्या प्रधानमंत्री आवास योजना या इंदिरा आवास योजना की जमीनी हकीकत कागजी दावों से बिल्कुल विपरीत है. सवाल इसलिए क्योंकि अतरी प्रखण्ड के डिहुरी गांव में बेघर या कच्चे मकान वालों को आवास योजना का लाभ नहीं मिला है, ग्रामीण से लेकर वार्ड सदस्य और मुखिया ने भी आवास योजना में धांधली की बात कह रहे हैं.
योजना का लाभ मिलता तो नहीं लगती आग
दरअसल, गया जिले के अतरी प्रखंड में डिहुरी गांव में बीते चार फरवरी को पुआल के झोपड़ी में आग लगने से एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना का ग्राउंड रिपोर्ट में पता चला गांव में आवास योजना में बड़े पैमाने पर धांधली किया गया है. लिहाजा डिहुरी गांव में एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गयी, अगर मृतक के पास पक्का मकान होता तो इस तरह की घटना नहीं होती.
रिश्वत देने पर ही सुनते हैं अधिकारी
डिहुरी गांव के ग्रामीण मधेश्वर शर्मा ने बताया कि इस गांव में जरूरतमंद को आवास योजना का लाभ नहीं मिलता है. जिन लोगों को आवास योजना का लाभ मिला भी है. उसने रिश्वत देकर योजना का लाभ लिया है. पहले रिश्वत देने के बाद योजना के लिए चयन होता है फिर राशि मिलने के बाद आधा राशि अधिकारियों को देना पड़ता है. और आधे राशि में मकान बनाना संभव नहीं है. लिहाजा ज्यादातर ग्रामीणों ने इसका लाभ लिया ही नहीं.
मुखिया और अधिकारी पर मिलीभगत का आरोप
डिहुरी गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय मुखिया और ब्लॉक के अधिकारियों के बीच मिलभीगत है. जिसकी वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ जिन्हें मिलना चाहिए. उन्हें नहीं मिल रहा है.
शिकायत पर कार्रवाई नहीं
'इस गांव में आवास योजना का लाभ घूस देने पर मिलता है. सही आदमी को योजना का लाभ नहीं मिलता है. हम जनप्रतिनिधि हैं. हमने इसकी शिकायत बीडीओ और सीओ को किया लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की. मृतक परिवार के पास अगर पक्का मकान होता तो तीन लोगों की जान नहीं जाती'- पवन कुमार, वार्ड सदस्य, डिहुरी गांव
आवास सहायक पर गंभीर आरोपी
डिहुरी गांव के ग्रामीण और वार्ड सदस्यों ने आवास योजना की धांधली में मुखिया की मिलीभगत बताया. वहीं मुखिया खुद आवास सहायक पर घूसखोरी का आरोप लगा रहा है.
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'पूर्व में आवास योजना का काम मुखिया के द्वारा होता था. अब मुखिया का इसमें कोई रोल नहीं है. आवास योजना का लाभ देने के लिए आवास सहायक और विकास मित्र घूस लेते हैं. जिनका पक्का मकान है उनका फ़ोटो लेकर अप्लाई कर देते हैं.'- प्रमोद कुमार, मुखिया, डिहुरी पंचायत
गौरतलब है कि डिहुरी पंचायत में 300 कच्चे घरों को आवास योजना के तहत पक्का बनाया गया है. 200 के करीब अभी कच्चे मकान को आवास योजना के तहत पक्का बनाया जाएगा, जब ईटीवी भारत ने इस आंकड़ों का तहकीकात किया तो पंचायत के एक गांव में लगभग 50 की संख्या लोग आजादी के बाद से आज तक झोपड़ी में रह रहे हैं. उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिला है.