गया: मोक्षदायिनी फल्गु नदी जिसके एक बूंद से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, आज प्रदूषित होती जा रही है. लोग गया नगर निगम के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं. और फल्गु नदी के बीच में शवदाह कर रहे हैं. जिससे नदी दूषित हो रही है. हालांकि गया नगर निगम की ओर से कार्रवाई करने की बात कही जा रही है.
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फल्गु नदी का विशेष महत्व
मोक्षदायिनी फल्गु नदी का इतिहास इंसान के जन्म काल से माना जाता है. कई नदियों के संगम से पवित्र फल्गु नदी की उत्पत्ति गया में हुई है. इस नदी के जल में विष्णु बिराजमान हैं. ये बातें शास्त्रों में लिखी गयी हैं.
'हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना करके शहर के सभी नाली के गन्दे पानी को फल्गु में गिराया जा रहा है. साथ ही शवदाह भी फल्गु नदी में हो रहा है. गया महाश्मशान का शवदाह स्थल फल्गु नदी बन गया है. इससे फल्गु के पर्यावरण को काफी हानि पहुंच रही है. शव दाह की सभी राख फल्गु के बालू में मिल जाती है.'- बृजनंदन पाठक, समाजसेवी
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शव दाह और नाले का पानी बड़ी समस्या
यहां शव दाह तो किया जाता है ही. साथ ही फल्गु नदी में नाला गिरने से नदी प्रदूषण एवं गंदगी से कराह रही है. शहर के कई प्रमुख नाले नदी में गिर रहे हैं. तो इसके पवित्र जल को गंदा कर रहे हैं.
'श्मशान घाट का निर्माण चल रहा है. लगभग 60 प्रतिशत काम हो गया है. श्मशान घाट निर्माण को लेकर दाएं तरफ पुराने शेड में शवदाह करने की जगह बनायी गयी थी. लेकिन लोग नदी में जाकर शवदाह कर रहे हैं. इसकी शिकायत मिली है. मैं उस क्षेत्र के जमादार को निर्देश देकर फल्गु नदी में शवदाह करने पर रोक लगवाता हूं.'- सावन कुमार, आयुक्त, गया नगर निगम
गयाजी का एकमात्र श्मशान घाट
हालांकि बरसों पहले फल्गु नदी के किनारे एक श्मशान घाट का निर्माण कराया गया था. लेकिन यह काफी नहीं था. चार से पांच जिलों से अंतिम संस्कार के लिए लोग यहां पहुंचते हैं. जिसकी वजह से शव दाह के लिए स्थान का अभाव होता है. और लोग फल्गु नदी के तट पर ही शवों का दाह संस्कार करने को मजबूर हैं. मान्यताओं की माने तो एक बूंद फल्गु नदी के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह भी एक बड़ी वजह है कि लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.
कार्रवाई की तैयारी में निगम
समाजसेवी बृजनंदन पाठक के प्रयास से नगर आयुक्त ने आदेश जारी किया और श्मशान घाट पर निर्देश पट्टिका लगवायी गई है कि नदी में शवदाह करने की मनाही है. अगर कोई करता है तो उनपर कारवाई की जाएगी. गया नगर निगम ने शवदाह के लिए शेड, विश्राम गृह और शौचालय बनवाया था. लेकिन इसका उपयोग नहीं होने से सब कचरे में तब्दील हो गया है.