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खतरे में मोक्षदायिनी फल्गु , शव दाह और नाले का गंदा पानी कर रहा नदी को प्रदूषित

गया की मोक्षदायिनी फल्गु नदी इन दिनों खुद अपनी मुक्ति की आस में है. माना जाता है कि इसके एक बूंद से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.लेकिन आज यह प्रदूषित होती जा रही है. दरअसल लोग, गया नगर निगम के आदेश की अवहेलना करके फल्गु नदी के बीच मे शवदाह कर रहे हैं जिससे नदी दूषित हो रही है.

pollution in Phalgu River
pollution in Phalgu River
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Published : Feb 26, 2021, 3:54 PM IST

Updated : Feb 26, 2021, 7:34 PM IST

गया: मोक्षदायिनी फल्गु नदी जिसके एक बूंद से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, आज प्रदूषित होती जा रही है. लोग गया नगर निगम के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं. और फल्गु नदी के बीच में शवदाह कर रहे हैं. जिससे नदी दूषित हो रही है. हालांकि गया नगर निगम की ओर से कार्रवाई करने की बात कही जा रही है.

pollution in Phalgu River
फल्गु नदी के बीच में किया जा रहा शवदाह

यह भी पढ़ें- 'बिहार बनेगा इथेनॉल उत्पादन का हब, निवेश के लिए आगे आ रही हैं कई कंपनियां- शाहनवाज हुसैन

फल्गु नदी का विशेष महत्व
मोक्षदायिनी फल्गु नदी का इतिहास इंसान के जन्म काल से माना जाता है. कई नदियों के संगम से पवित्र फल्गु नदी की उत्पत्ति गया में हुई है. इस नदी के जल में विष्णु बिराजमान हैं. ये बातें शास्त्रों में लिखी गयी हैं.

देखें ये रिपोर्ट

'हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना करके शहर के सभी नाली के गन्दे पानी को फल्गु में गिराया जा रहा है. साथ ही शवदाह भी फल्गु नदी में हो रहा है. गया महाश्मशान का शवदाह स्थल फल्गु नदी बन गया है. इससे फल्गु के पर्यावरण को काफी हानि पहुंच रही है. शव दाह की सभी राख फल्गु के बालू में मिल जाती है.'- बृजनंदन पाठक, समाजसेवी

pollution in Phalgu River
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यह भी पढ़ें- साइकिल से विधानसभा पहुंचे तेजस्वी, बोले- BJP नेता अब क्यों नहीं गाते 'महंगाई डायन खाए जात है...'

शव दाह और नाले का पानी बड़ी समस्या
यहां शव दाह तो किया जाता है ही. साथ ही फल्गु नदी में नाला गिरने से नदी प्रदूषण एवं गंदगी से कराह रही है. शहर के कई प्रमुख नाले नदी में गिर रहे हैं. तो इसके पवित्र जल को गंदा कर रहे हैं.

pollution in Phalgu River
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फल्गु को किया जा रहा गंदा
लोग देश ही नहीं विदेशों से आकर फल्गु नदी के पानी से अपने पितरों का तर्पण करते हैं. इन दिनों फल्गु नदी में नाले के गन्दा पानी के साथ-साथ बीच नदी तक शवदाह किया जा रहा है. शवदाह में शामिल सामानों के दुकान नदियों में खुल गयी है.
pollution in Phalgu River
नदी में शवदाह करने की मनाही है

'श्मशान घाट का निर्माण चल रहा है. लगभग 60 प्रतिशत काम हो गया है. श्मशान घाट निर्माण को लेकर दाएं तरफ पुराने शेड में शवदाह करने की जगह बनायी गयी थी. लेकिन लोग नदी में जाकर शवदाह कर रहे हैं. इसकी शिकायत मिली है. मैं उस क्षेत्र के जमादार को निर्देश देकर फल्गु नदी में शवदाह करने पर रोक लगवाता हूं.'- सावन कुमार, आयुक्त, गया नगर निगम

गयाजी का एकमात्र श्मशान घाट
हालांकि बरसों पहले फल्गु नदी के किनारे एक श्मशान घाट का निर्माण कराया गया था. लेकिन यह काफी नहीं था. चार से पांच जिलों से अंतिम संस्कार के लिए लोग यहां पहुंचते हैं. जिसकी वजह से शव दाह के लिए स्थान का अभाव होता है. और लोग फल्गु नदी के तट पर ही शवों का दाह संस्कार करने को मजबूर हैं. मान्यताओं की माने तो एक बूंद फल्गु नदी के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह भी एक बड़ी वजह है कि लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.

pollution in Phalgu River
कई दुकानें फल्गु नदी के पास खोल दी गईं हैं

कार्रवाई की तैयारी में निगम
समाजसेवी बृजनंदन पाठक के प्रयास से नगर आयुक्त ने आदेश जारी किया और श्मशान घाट पर निर्देश पट्टिका लगवायी गई है कि नदी में शवदाह करने की मनाही है. अगर कोई करता है तो उनपर कारवाई की जाएगी. गया नगर निगम ने शवदाह के लिए शेड, विश्राम गृह और शौचालय बनवाया था. लेकिन इसका उपयोग नहीं होने से सब कचरे में तब्दील हो गया है.

गया: मोक्षदायिनी फल्गु नदी जिसके एक बूंद से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, आज प्रदूषित होती जा रही है. लोग गया नगर निगम के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं. और फल्गु नदी के बीच में शवदाह कर रहे हैं. जिससे नदी दूषित हो रही है. हालांकि गया नगर निगम की ओर से कार्रवाई करने की बात कही जा रही है.

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फल्गु नदी के बीच में किया जा रहा शवदाह

यह भी पढ़ें- 'बिहार बनेगा इथेनॉल उत्पादन का हब, निवेश के लिए आगे आ रही हैं कई कंपनियां- शाहनवाज हुसैन

फल्गु नदी का विशेष महत्व
मोक्षदायिनी फल्गु नदी का इतिहास इंसान के जन्म काल से माना जाता है. कई नदियों के संगम से पवित्र फल्गु नदी की उत्पत्ति गया में हुई है. इस नदी के जल में विष्णु बिराजमान हैं. ये बातें शास्त्रों में लिखी गयी हैं.

देखें ये रिपोर्ट

'हाइकोर्ट के आदेश की अवहेलना करके शहर के सभी नाली के गन्दे पानी को फल्गु में गिराया जा रहा है. साथ ही शवदाह भी फल्गु नदी में हो रहा है. गया महाश्मशान का शवदाह स्थल फल्गु नदी बन गया है. इससे फल्गु के पर्यावरण को काफी हानि पहुंच रही है. शव दाह की सभी राख फल्गु के बालू में मिल जाती है.'- बृजनंदन पाठक, समाजसेवी

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शव दाह और नाले का पानी बड़ी समस्या
यहां शव दाह तो किया जाता है ही. साथ ही फल्गु नदी में नाला गिरने से नदी प्रदूषण एवं गंदगी से कराह रही है. शहर के कई प्रमुख नाले नदी में गिर रहे हैं. तो इसके पवित्र जल को गंदा कर रहे हैं.

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फल्गु को किया जा रहा गंदा
लोग देश ही नहीं विदेशों से आकर फल्गु नदी के पानी से अपने पितरों का तर्पण करते हैं. इन दिनों फल्गु नदी में नाले के गन्दा पानी के साथ-साथ बीच नदी तक शवदाह किया जा रहा है. शवदाह में शामिल सामानों के दुकान नदियों में खुल गयी है.
pollution in Phalgu River
नदी में शवदाह करने की मनाही है

'श्मशान घाट का निर्माण चल रहा है. लगभग 60 प्रतिशत काम हो गया है. श्मशान घाट निर्माण को लेकर दाएं तरफ पुराने शेड में शवदाह करने की जगह बनायी गयी थी. लेकिन लोग नदी में जाकर शवदाह कर रहे हैं. इसकी शिकायत मिली है. मैं उस क्षेत्र के जमादार को निर्देश देकर फल्गु नदी में शवदाह करने पर रोक लगवाता हूं.'- सावन कुमार, आयुक्त, गया नगर निगम

गयाजी का एकमात्र श्मशान घाट
हालांकि बरसों पहले फल्गु नदी के किनारे एक श्मशान घाट का निर्माण कराया गया था. लेकिन यह काफी नहीं था. चार से पांच जिलों से अंतिम संस्कार के लिए लोग यहां पहुंचते हैं. जिसकी वजह से शव दाह के लिए स्थान का अभाव होता है. और लोग फल्गु नदी के तट पर ही शवों का दाह संस्कार करने को मजबूर हैं. मान्यताओं की माने तो एक बूंद फल्गु नदी के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह भी एक बड़ी वजह है कि लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.

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कई दुकानें फल्गु नदी के पास खोल दी गईं हैं

कार्रवाई की तैयारी में निगम
समाजसेवी बृजनंदन पाठक के प्रयास से नगर आयुक्त ने आदेश जारी किया और श्मशान घाट पर निर्देश पट्टिका लगवायी गई है कि नदी में शवदाह करने की मनाही है. अगर कोई करता है तो उनपर कारवाई की जाएगी. गया नगर निगम ने शवदाह के लिए शेड, विश्राम गृह और शौचालय बनवाया था. लेकिन इसका उपयोग नहीं होने से सब कचरे में तब्दील हो गया है.

Last Updated : Feb 26, 2021, 7:34 PM IST
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