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गांव से कोसों दूर है मतदान केंद्र, बीच में नदी बनती है बाधक, ग्रामीण कैसे देने जाएंगे वोट

गया (Gaya) जिले के कोरमत्थु पंचायत का एक ऐसा गांव है जहां पंचायत चुनाव में मतदान करने को लेकर लोग अभी से चिंतित हैं. यह गांव चारों ओर से नदी से घिरा हुआ है और मतदान केंद्र गांव से बाहर अवस्थित है. पढ़ें ये रिपोर्ट.

गया की खबर
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Published : Jul 9, 2021, 9:46 AM IST

गया: बिहार में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections In Bihar) की सरगर्मी तेज हो गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी माहौल बन गया है. जनप्रतिनिधि चुनाव को लेकर तैयारियों में जुट गए हैं. ग्रामीण भी पंचायत चुनाव को लेकर काफी उत्सुक हैं. लेकिन गया जिले में एक ऐसा गांव है, जहां के लोगों में चुनाव में वोट देने को लेकर मायूसी छायी हुई है.

ये भी पढ़ें:पंचायत चुनाव का नामांकन शुल्क तय, मुखिया और सरपंच को जमा करने होंगे इतने पैसे

दरअसल गया जिले के बेलागंज प्रखण्ड के कोरमत्थु पंचायत के चिरमिची विगहा गांव चारों तरफ से नदी से घिरा हुआ है. मोरहर नदी बरसात के दिनों में उफान पर रहती है. उस वक्त लोग अपने गांव में ही कैद में रहते है. पंचायत चुनाव को लेकर गांव में चुनावी सरगर्मी है लेकिन गांव में बूथ नहीं होने से लोग वोट देने के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं.

ग्रामीण अपना मुखिया चुनना तो चाहते हैं लेकिन गांव में मतदान केंद्र नहीं होने की वजह से लोग वोट नहीं दे पाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मतदान केंद्र गांव से दूर बनाया गया है. वहीं मतदान केंद्र और गांव के बीच से एक नदी बहती है. जिस पर पुल नहीं है. इसकी वजह से लोगों को परेशानी होती है. गांव के लोग कहते हैं कि जान देकर कोई वोट नहीं देगा.

पहले इस गांव के ही सामुदायिक भवन में मतदान केंद्र था. लेकिन किसी कारण बस यहां से मतदान केंद्र को हटाकर महमदपुर में बना दिया गया. ग्रामीणों की मांग है कि इस गांव में पहले जैसा बूथ बनाया जाए. जिससे वोट देने में लोगों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो.

ये भी पढ़ें:VIDEO: गया की टीचर ने बनाया मटके वाला कूलर, 500 रुपये में दे रहा AC को टक्कर

"इस गांव में आने के लिए कोई सुविधा नहीं है. नदी सुखी रहती है तो लोग नदी पार करके आते हैं. बरसात में नदी उफान पर रहती है. ऐसे में हमलोग कैसे वोट देने जाएंगे. जिला निर्वाचन अधिकारी को हमलोगों ने पत्र लिखा हैं. गांव की भौगौलिक स्थिति को देखते हुए पूर्व की भांति गांव में ही बूथ को बनाया जाए."-विजेंद्र कुमार, ग्रामीण

गांव का स्कूल
गांव का स्कूल

"गांव में जब बूथ था तब हम सभी लोग वोट देते थे. नदी सुखी रहती है तब जाकर वोट देते हैं लेकिन नदी में पानी रहने पर हमलोग वोट देने में असमर्थ हो जाते हैं. जान देकर कौन जाएगा मतदान करने."-संध्या देवी, ग्रामीण महिला

"गांव से तीन किलोमीटर दूर महमदपुर में इस गांव का बूथ बनाया गया है. पहले इसी गांव में बूथ था. इस पंचायत में सबसे ज्यादा यहीं से वोट प्राप्त होता था. जब से तीन किलोमीटर दूर बूथ गया है तब से गांव से कम लोग मतदान करने जाते हैं. जिला निर्वाचन पदाधिकारी खुद ग्राउंड पर आकर देख लें कि एक वोट देने में कितनी समस्या है."- बलिराम यादव, ग्रामीण

ये भी पढ़ें:एक महीने में ADJ, IG और SSP ने की महाबोधि मंदिर की सुरक्षा जांच, जिला पुलिस का हाईअलर्ट से इनकार

"ग्रामीणों ने ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा था. जिसमें इस गांव का बूथ फिर से इसी गांव में स्थापित करने की मांग की गई थी. इनके ज्ञापन को मैंने प्रयास करके जिला अधिकारी और पटना स्थित निर्वाचन कार्यालय तक पहुंचाया है. वहां से संतोषजनक जवाब आया है लेकिन महमदपुर से इस गांव में बूथ स्थानांतरित करने को लेकर कोई जवाब नहीं आया है. ग्रामीण उतनी दूर गर्मी और उफानती नदी पारकर कैसे वोट देने कैसे जाएंगे."- अनिल कुमार, मुखिया, कोरमत्थु पंचायत

कोरमत्थु पंचायत के ग्रामीण
कोरमत्थु पंचायत के ग्रामीण

गौरतलब है कि बिहार में पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां चल रही हैं. जानकारी के अनुसार, अगर सब ठीक रहा तो राज्य निर्वाचन आयोग अक्टूबर या नवंबर में पंचायत चुनाव की घोषणा कर सकता है. बता दें कि बिहार में मुखिया और सरपंच सहित ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को ही खत्म हो गया है. कार्यकाल खत्म होने के बाद बिहार सरकार ने परामर्श समिति का गठन किया है.

गया: बिहार में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections In Bihar) की सरगर्मी तेज हो गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी माहौल बन गया है. जनप्रतिनिधि चुनाव को लेकर तैयारियों में जुट गए हैं. ग्रामीण भी पंचायत चुनाव को लेकर काफी उत्सुक हैं. लेकिन गया जिले में एक ऐसा गांव है, जहां के लोगों में चुनाव में वोट देने को लेकर मायूसी छायी हुई है.

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दरअसल गया जिले के बेलागंज प्रखण्ड के कोरमत्थु पंचायत के चिरमिची विगहा गांव चारों तरफ से नदी से घिरा हुआ है. मोरहर नदी बरसात के दिनों में उफान पर रहती है. उस वक्त लोग अपने गांव में ही कैद में रहते है. पंचायत चुनाव को लेकर गांव में चुनावी सरगर्मी है लेकिन गांव में बूथ नहीं होने से लोग वोट देने के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं.

ग्रामीण अपना मुखिया चुनना तो चाहते हैं लेकिन गांव में मतदान केंद्र नहीं होने की वजह से लोग वोट नहीं दे पाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मतदान केंद्र गांव से दूर बनाया गया है. वहीं मतदान केंद्र और गांव के बीच से एक नदी बहती है. जिस पर पुल नहीं है. इसकी वजह से लोगों को परेशानी होती है. गांव के लोग कहते हैं कि जान देकर कोई वोट नहीं देगा.

पहले इस गांव के ही सामुदायिक भवन में मतदान केंद्र था. लेकिन किसी कारण बस यहां से मतदान केंद्र को हटाकर महमदपुर में बना दिया गया. ग्रामीणों की मांग है कि इस गांव में पहले जैसा बूथ बनाया जाए. जिससे वोट देने में लोगों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो.

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"इस गांव में आने के लिए कोई सुविधा नहीं है. नदी सुखी रहती है तो लोग नदी पार करके आते हैं. बरसात में नदी उफान पर रहती है. ऐसे में हमलोग कैसे वोट देने जाएंगे. जिला निर्वाचन अधिकारी को हमलोगों ने पत्र लिखा हैं. गांव की भौगौलिक स्थिति को देखते हुए पूर्व की भांति गांव में ही बूथ को बनाया जाए."-विजेंद्र कुमार, ग्रामीण

गांव का स्कूल
गांव का स्कूल

"गांव में जब बूथ था तब हम सभी लोग वोट देते थे. नदी सुखी रहती है तब जाकर वोट देते हैं लेकिन नदी में पानी रहने पर हमलोग वोट देने में असमर्थ हो जाते हैं. जान देकर कौन जाएगा मतदान करने."-संध्या देवी, ग्रामीण महिला

"गांव से तीन किलोमीटर दूर महमदपुर में इस गांव का बूथ बनाया गया है. पहले इसी गांव में बूथ था. इस पंचायत में सबसे ज्यादा यहीं से वोट प्राप्त होता था. जब से तीन किलोमीटर दूर बूथ गया है तब से गांव से कम लोग मतदान करने जाते हैं. जिला निर्वाचन पदाधिकारी खुद ग्राउंड पर आकर देख लें कि एक वोट देने में कितनी समस्या है."- बलिराम यादव, ग्रामीण

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"ग्रामीणों ने ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा था. जिसमें इस गांव का बूथ फिर से इसी गांव में स्थापित करने की मांग की गई थी. इनके ज्ञापन को मैंने प्रयास करके जिला अधिकारी और पटना स्थित निर्वाचन कार्यालय तक पहुंचाया है. वहां से संतोषजनक जवाब आया है लेकिन महमदपुर से इस गांव में बूथ स्थानांतरित करने को लेकर कोई जवाब नहीं आया है. ग्रामीण उतनी दूर गर्मी और उफानती नदी पारकर कैसे वोट देने कैसे जाएंगे."- अनिल कुमार, मुखिया, कोरमत्थु पंचायत

कोरमत्थु पंचायत के ग्रामीण
कोरमत्थु पंचायत के ग्रामीण

गौरतलब है कि बिहार में पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां चल रही हैं. जानकारी के अनुसार, अगर सब ठीक रहा तो राज्य निर्वाचन आयोग अक्टूबर या नवंबर में पंचायत चुनाव की घोषणा कर सकता है. बता दें कि बिहार में मुखिया और सरपंच सहित ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को ही खत्म हो गया है. कार्यकाल खत्म होने के बाद बिहार सरकार ने परामर्श समिति का गठन किया है.

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