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Gaya News: भगवान बुद्ध व उनके शिष्यों के अस्थि कलश के दर्शन को लगी कतार, देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु

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Published : Feb 1, 2023, 8:31 PM IST

Updated : Feb 1, 2023, 11:03 PM IST

बोधगया के श्रीलंकाई महाविहार के प्रांगण में भगवान बुद्ध और उनके दो परम शिष्य महामोगल्लान और सारिपुत्ता के अस्थि कलश को आम लोगों के दर्शन हेतु प्रदर्शित किया जा रहा है. देश-विदेश के सैकड़ों श्रद्धालु कतारबद्ध होकर भगवान बुद्ध और उनके दोनों शिष्यों के अस्थि कलश को दर्शन कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

देश-विदेश के सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे गया
देश-विदेश के सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे गया
गया में अस्थि कलश को दर्शन के लिए लोगों की उमड़ी भीड़

गया: भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया में श्रीलंकाई मंदिर जयश्री महाबोधि महाविहार का (16th Anniversary of Jayshree Mahabodhi Mahavihara) 16वें वार्षिकोत्सव मना रहा है. इस दौरान श्रीलंकाई महाविहार के प्रांगण में भगवान बुद्ध और उनके दो परम शिष्य महामोगल्लान और सारिपुत्ता के अस्थि कलश को आम लोगों के दर्शन के लिए प्रदर्शित किया जा रहा है. इस दौरान देश-विदेश के सैकड़ों श्रद्धालु कतारबद्ध होकर भगवान बुद्ध और उनके दोनों शिष्यों के अस्थि कलश को दर्शन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : International Buddhist Festival 2023: अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव के दूसरे दिन नृत्यांगना प्राची पल्लवी ने जीता लोगों का दिल

सुबह आठ बजे से दर्शन कर सकेंगे : इस मौके पर श्रीलंकाई बौद्ध भिक्क्षु भंते पी सिवली थेरो ने कहा कि इस बार श्रीलंकाई मंदिर जयश्री महाबोधि महाविहार का 16वां वार्षिक वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा है. इस दौरान भगवान बुद्ध एवं उनके दो परम शिष्य महामोगल्लान और सारिपुत्ता के अस्थि कलश के दर्शन के लिए आम लोगों के लिये रखा गया है. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुबह 8 बजे से 11 बजे तक एवं संध्या 3 बजे से 6 बजे तक लोग अस्थि कलश के दर्शन कर सकते है. लोगों की भीड़ को देखते हुए ऐसा किया गया है.

"भगवान बुद्ध एवं उनके दो परम शिष्य महामोगल्लान और सारिपुत्ता के अस्थि कलश के दर्शन के लिए आम लोगों के लिये रखा गया है. लोग सुबह 8 बजे से 11 बजे तक एवं संध्या 3 बजे से 6 बजे तक लोग अस्थि कलश के दर्शन कर सकते है. श्रीलंकाई मंदिर जयश्री महाबोधि महाविहार का 16वां वार्षिक वार्षिकोत्सव तीन दिनों तक चलेगा." -भंते पी सिवली थेरो, श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षु

कोरोना के कारण दो साल नहीं हुआ कार्यक्रम: 2 साल कोरोना काल की वजह से यह कार्यक्रम नहीं हो पाया था. इस बार भव्य तरीके से मनाया जा रहा है. विश्व के कई बौद्ध देशों के श्रद्धालु अस्थि कलश के दर्शन हेतु आ रहे हैं. अस्थि कलश के दर्शन से मन को शांति मिलती है. भगवान बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. जिसके बाद उन्होंने पूरी दुनिया को मध्यम मार्ग का रास्ता बताया था. यही वजह है कि प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक बोधगया आते हैं.


गया में अस्थि कलश को दर्शन के लिए लोगों की उमड़ी भीड़

गया: भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया में श्रीलंकाई मंदिर जयश्री महाबोधि महाविहार का (16th Anniversary of Jayshree Mahabodhi Mahavihara) 16वें वार्षिकोत्सव मना रहा है. इस दौरान श्रीलंकाई महाविहार के प्रांगण में भगवान बुद्ध और उनके दो परम शिष्य महामोगल्लान और सारिपुत्ता के अस्थि कलश को आम लोगों के दर्शन के लिए प्रदर्शित किया जा रहा है. इस दौरान देश-विदेश के सैकड़ों श्रद्धालु कतारबद्ध होकर भगवान बुद्ध और उनके दोनों शिष्यों के अस्थि कलश को दर्शन कर रहे हैं.

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सुबह आठ बजे से दर्शन कर सकेंगे : इस मौके पर श्रीलंकाई बौद्ध भिक्क्षु भंते पी सिवली थेरो ने कहा कि इस बार श्रीलंकाई मंदिर जयश्री महाबोधि महाविहार का 16वां वार्षिक वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा है. इस दौरान भगवान बुद्ध एवं उनके दो परम शिष्य महामोगल्लान और सारिपुत्ता के अस्थि कलश के दर्शन के लिए आम लोगों के लिये रखा गया है. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुबह 8 बजे से 11 बजे तक एवं संध्या 3 बजे से 6 बजे तक लोग अस्थि कलश के दर्शन कर सकते है. लोगों की भीड़ को देखते हुए ऐसा किया गया है.

"भगवान बुद्ध एवं उनके दो परम शिष्य महामोगल्लान और सारिपुत्ता के अस्थि कलश के दर्शन के लिए आम लोगों के लिये रखा गया है. लोग सुबह 8 बजे से 11 बजे तक एवं संध्या 3 बजे से 6 बजे तक लोग अस्थि कलश के दर्शन कर सकते है. श्रीलंकाई मंदिर जयश्री महाबोधि महाविहार का 16वां वार्षिक वार्षिकोत्सव तीन दिनों तक चलेगा." -भंते पी सिवली थेरो, श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षु

कोरोना के कारण दो साल नहीं हुआ कार्यक्रम: 2 साल कोरोना काल की वजह से यह कार्यक्रम नहीं हो पाया था. इस बार भव्य तरीके से मनाया जा रहा है. विश्व के कई बौद्ध देशों के श्रद्धालु अस्थि कलश के दर्शन हेतु आ रहे हैं. अस्थि कलश के दर्शन से मन को शांति मिलती है. भगवान बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. जिसके बाद उन्होंने पूरी दुनिया को मध्यम मार्ग का रास्ता बताया था. यही वजह है कि प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक बोधगया आते हैं.


Last Updated : Feb 1, 2023, 11:03 PM IST

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