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Holi 2023: महाबोधि और विष्णुपद मंदिर के अर्पित फूलों से बने हर्बल गुलाल, अमेरिका में भारतीय मूल के लोग इसी से खेलेंगे होली

गया विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर में अर्पित किए गए फुलों से गुलाल तैयार किया गया है. इस गुलाल को यहां तैयार कर अमेरिका भेजने की तैयारी हो रही है. इसके लिए दोनों देशों की सरकार ने संयुक्त प्रयास किया है. इसी हर्बल गुलाल से अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोग इस साल होली खेलेंगे. पढ़ें पूरी खबर...

महाबोधि और विष्णुपद मंदिर के अर्पित फूलों से बने गुलाल
महाबोधि और विष्णुपद मंदिर के अर्पित फूलों से बने गुलाल
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Published : Mar 5, 2023, 1:55 PM IST

गया का गुलाल पहुंचेगा अमेरिका

गया: बिहार के गया स्थित महाबोधि और विष्णुपद मंदिर में भगवान को अर्पित किए गए फूलों से गुलाल बनाया जा रह है. इस गुलाल को बनाने के लिए अमेरिका और भारत की सरकार ने संयुक्त रूप से काम करने में लगी है. यहां अंतर्राष्ट्रीय धरोहर बोधगया महाबोधि मंदिर और विष्णुपद मंदिर में भगवान को अर्पित किए गए फूलों से बने गुलाल इस बार अमेरिका भी पहुंचा है. वहां भारतीय मूल के लोग इस हर्बल गुलाल का उपयोग होली में करेंगे. इस गुलाल को दिल्ली स्थित अमेरिकी एंबेसी भेजा जा रहा है.

ये भी पढे़ं- Holi 2023 : होली के त्योहार में भांग की परंपरा क्यों? जानें इसका धार्मिक महत्व

हर्बल गुलाल बनाने में जुटी महिलाएं: गया स्थित ढुंगेश्वरी की महिलाएं गुलाल बनाने में इन दिनों काफी व्यस्त हैं. यहां पर बनाए गए गुलाल का डिमांड बिहार ही नहीं, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में भी काफी ज्यादा हो गई है. वैसे तो देश भर में गया के फूलों से बनी हर्बल गुलाल की डिमांड है. इसकी खासियत यह है कि इस गुलाल से शरीर पर कोई इफेक्ट नहीं होता है.

भारत-अमेरिकी सरकार की जॉइंट एग्रीमेंट: इस जॉइंट एग्रीमेंट को क्लाइमेट में बदलाव के लिए किया गया है. जिसके तहत इस तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं. इस तरह की योजना का दूरगामी असर होने वाला है. दोनों देशों में जंगलों को बचाकर क्लाइमेट चेंज को रोका जा सकता है. इसके लिए जंगल के लोग लकड़ी काटने की बजाय कोई और रोजगार करें. तब जाकर क्लाइमेंट चेंज को रोकने में बड़ा योगदान मिलेगा. इस तरह भारत- अमेरिकी सरकार की एग्रीमेंट के तहत वन विभाग के द्वारा कार्यक्रम चलाया जा रहा है.

महिलाओं को मिला रोजगार: इसके तहत जंगली इलाकों की महिलाओं को ट्रेनिंग देकर फूलों से हर्बल गुलाल बनाने का रोजगार दिया जा रहा है. वहीं एक प्रेरणा संस्था है, जो वन विभाग को अच्छी तरह से सहयोग देती है. उस संस्था की देखरेख में इस बड़ी योजना को चलाई जा रही है. दर्जनों महिलाएं इससे जुड़ी हुई है. यह महिलाएं जंगल वाले इलाकों से खासा जुड़ी हुई है. इन महिलाओं को गुलाल बनाने का काम दिया गया है. इस गुलाल को सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि अमेरिका तक देखा जा सकता है.

150 से 200 रुपये का फायदा: प्रेरणा संस्था से जुड़े शिव मालवीय बताते हैं कि गया में मंदिरों में चढ़ने वाले भगवान को अर्पित फूल से हर्बल गुलाल बनाने का काम जारी है. यह पूरी तरह से केमिकल फ्री है. भगवान बुद्ध-भगवान विष्णु को अर्पित फूल लाकर उसके रस से गुलाल बनाया जाता है. अभी तक 5 क्विंटल गुलाल बनाया है. एक किलोग्राम में 150 से 200 रूपए महिलाओं को बचत होता है. जंंगल स्थित ग्रामीण इलाके की महिलाएं इससे जुड़ी हुई है. इस साल उन महिलाओं ने हजारों रुपए कमा लिए हैं.

गुलाल बनाने की विधि: महिला मुन्नी देवी ने बताया कि महाबोधि मंदिर, विष्णुपद मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. फूलों के अलावे साग से भी इस तरह के गुलाल बनाये जाते हैं. गुलाल पीला, लाल, हरे रंग का पैकेट भी तैयार हो रहे हैं. फूलों को उबालकर उस का रस निकालते हैं. उसके बाद उसमें अखरोट मिलाकर सूखाकर पीस देते हैं. इसके बाद उसकी पैकिंग की जाती है. कामगार शीला देवी ने कहा कि पहले हम लोग मजदूरी करते थे. लेकिन अब एक बेहतर रोजगार मिला है. यह रोजगार धीरे-धीरे बढ़ रहा है.

"महाबोधि मंदिर, विष्णुपद मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. फूलों के अलावे साग से भी इस तरह के गुलाल बनाये जाते हैं. गुलाल पीला, लाल, हरे रंग का पैकेट भी तैयार हो रहे हैं. फूलों को उबालकर उस का रस निकालते हैं. उसके बाद उसमें अखरोट मिलाकर सूखाकर पीस देते हैं. इसके बाद उसकी पैकिंग की जाती है".- मुन्नी देवी

गया का गुलाल पहुंचेगा अमेरिका

गया: बिहार के गया स्थित महाबोधि और विष्णुपद मंदिर में भगवान को अर्पित किए गए फूलों से गुलाल बनाया जा रह है. इस गुलाल को बनाने के लिए अमेरिका और भारत की सरकार ने संयुक्त रूप से काम करने में लगी है. यहां अंतर्राष्ट्रीय धरोहर बोधगया महाबोधि मंदिर और विष्णुपद मंदिर में भगवान को अर्पित किए गए फूलों से बने गुलाल इस बार अमेरिका भी पहुंचा है. वहां भारतीय मूल के लोग इस हर्बल गुलाल का उपयोग होली में करेंगे. इस गुलाल को दिल्ली स्थित अमेरिकी एंबेसी भेजा जा रहा है.

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हर्बल गुलाल बनाने में जुटी महिलाएं: गया स्थित ढुंगेश्वरी की महिलाएं गुलाल बनाने में इन दिनों काफी व्यस्त हैं. यहां पर बनाए गए गुलाल का डिमांड बिहार ही नहीं, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में भी काफी ज्यादा हो गई है. वैसे तो देश भर में गया के फूलों से बनी हर्बल गुलाल की डिमांड है. इसकी खासियत यह है कि इस गुलाल से शरीर पर कोई इफेक्ट नहीं होता है.

भारत-अमेरिकी सरकार की जॉइंट एग्रीमेंट: इस जॉइंट एग्रीमेंट को क्लाइमेट में बदलाव के लिए किया गया है. जिसके तहत इस तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं. इस तरह की योजना का दूरगामी असर होने वाला है. दोनों देशों में जंगलों को बचाकर क्लाइमेट चेंज को रोका जा सकता है. इसके लिए जंगल के लोग लकड़ी काटने की बजाय कोई और रोजगार करें. तब जाकर क्लाइमेंट चेंज को रोकने में बड़ा योगदान मिलेगा. इस तरह भारत- अमेरिकी सरकार की एग्रीमेंट के तहत वन विभाग के द्वारा कार्यक्रम चलाया जा रहा है.

महिलाओं को मिला रोजगार: इसके तहत जंगली इलाकों की महिलाओं को ट्रेनिंग देकर फूलों से हर्बल गुलाल बनाने का रोजगार दिया जा रहा है. वहीं एक प्रेरणा संस्था है, जो वन विभाग को अच्छी तरह से सहयोग देती है. उस संस्था की देखरेख में इस बड़ी योजना को चलाई जा रही है. दर्जनों महिलाएं इससे जुड़ी हुई है. यह महिलाएं जंगल वाले इलाकों से खासा जुड़ी हुई है. इन महिलाओं को गुलाल बनाने का काम दिया गया है. इस गुलाल को सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि अमेरिका तक देखा जा सकता है.

150 से 200 रुपये का फायदा: प्रेरणा संस्था से जुड़े शिव मालवीय बताते हैं कि गया में मंदिरों में चढ़ने वाले भगवान को अर्पित फूल से हर्बल गुलाल बनाने का काम जारी है. यह पूरी तरह से केमिकल फ्री है. भगवान बुद्ध-भगवान विष्णु को अर्पित फूल लाकर उसके रस से गुलाल बनाया जाता है. अभी तक 5 क्विंटल गुलाल बनाया है. एक किलोग्राम में 150 से 200 रूपए महिलाओं को बचत होता है. जंंगल स्थित ग्रामीण इलाके की महिलाएं इससे जुड़ी हुई है. इस साल उन महिलाओं ने हजारों रुपए कमा लिए हैं.

गुलाल बनाने की विधि: महिला मुन्नी देवी ने बताया कि महाबोधि मंदिर, विष्णुपद मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. फूलों के अलावे साग से भी इस तरह के गुलाल बनाये जाते हैं. गुलाल पीला, लाल, हरे रंग का पैकेट भी तैयार हो रहे हैं. फूलों को उबालकर उस का रस निकालते हैं. उसके बाद उसमें अखरोट मिलाकर सूखाकर पीस देते हैं. इसके बाद उसकी पैकिंग की जाती है. कामगार शीला देवी ने कहा कि पहले हम लोग मजदूरी करते थे. लेकिन अब एक बेहतर रोजगार मिला है. यह रोजगार धीरे-धीरे बढ़ रहा है.

"महाबोधि मंदिर, विष्णुपद मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. फूलों के अलावे साग से भी इस तरह के गुलाल बनाये जाते हैं. गुलाल पीला, लाल, हरे रंग का पैकेट भी तैयार हो रहे हैं. फूलों को उबालकर उस का रस निकालते हैं. उसके बाद उसमें अखरोट मिलाकर सूखाकर पीस देते हैं. इसके बाद उसकी पैकिंग की जाती है".- मुन्नी देवी

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