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कड़ाके की ठंड में ठिठुर रहे गया पहुंचे श्रद्धालु, मिनी पितृपक्ष में करने पहुंचे हैं पिंडदान - विष्णुपद मंदिर

जिला प्रशासन ने दावा किया था कि लोगों की सुविधा के लिये हर चौक-चौराहे पर अलाव की व्यवस्था की गई है लेकिन कुछ चुनिंदा जगहों को छोड़ दें तो अलाव कहीं नहीं दिखते. ईटीवी भारत ने जब विष्णुपद मंदिर परिसर में ठहरे लोगों से बात की तो लोगों ने बताया कि पितृपक्ष मेला में आये श्रद्धालुओं के लिए इस ठंड से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है.

people doing pinddan in severe cold in gaya
ठंड में अलाव के पास बैठे लोग.
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Published : Jan 1, 2020, 11:55 PM IST

गया: खरमास काल में पौष पितृपक्ष होता है जिसे मिनी पितृपक्ष भी कहा जाता है. इन दौरान दूर-दूर से श्रद्धालु पिंडदान करने पहुंच रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर जिले में पड़ रही कड़ाके की ठंड भी अपने पूरे शबाब पर है. श्रद्धालुओं को ठंड से बचने के लिये जिला प्रशासन और नगर निगम की ओर से किये गये इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं.

श्रद्धालुओं का कहना है कि कड़ाके की ठंड में सुबह खुले आसमान के नीचे पिंडदान करना पड़ रहा है. अहले सुबह से ही पिंडदान की विधि शुरू हो जाती है. ऐसे में श्रद्धालुओं को अलाव की जरूरत पड़ती है लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम ने कहीं भी इसकी व्यवस्था नहीं की है.

ठंड में श्रद्धालुओं का बुरा हाल

ठंड से बचाव के नहीं है मुकम्मल व्यवस्था
जिला प्रशासन ने दावा किया था कि लोगों की सुविधा के लिये हर चौक-चौराहे पर अलाव की व्यवस्था की गई है लेकिन कुछ चुनिंदा जगहों को छोड़ दें तो अलाव कहीं नहीं दिखती. ईटीवी भारत ने जब विष्णुपद मंदिर परिसर में ठहरे लोगों से बात की तो लोगों ने बताया कि पितृपक्ष मेला में आये श्रद्धालुओं के लिए इस ठंड से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां गरीब श्रद्धालु भी आते हैं. लोगों को सुबह से ही खुले आसमान के नीचे ठंड में बैठे रहना पड़ता है.

रैन बसेरा बनाये जाने की मांग
विष्णुपद मंदिर परिसर में अलाव के पास बैठे स्थानीय लोगों ने बताया कि मंदिर के इर्द-गिर्द अस्थायी रैन बसेरा बनना चाहिए. सुबह से पिंडदान का कर्मकांड शुरू हो जाता है इसलिये सुबह में देवघाट के पास भी अलाव की व्यवस्था की जानी चाहिये.

गया: खरमास काल में पौष पितृपक्ष होता है जिसे मिनी पितृपक्ष भी कहा जाता है. इन दौरान दूर-दूर से श्रद्धालु पिंडदान करने पहुंच रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर जिले में पड़ रही कड़ाके की ठंड भी अपने पूरे शबाब पर है. श्रद्धालुओं को ठंड से बचने के लिये जिला प्रशासन और नगर निगम की ओर से किये गये इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं.

श्रद्धालुओं का कहना है कि कड़ाके की ठंड में सुबह खुले आसमान के नीचे पिंडदान करना पड़ रहा है. अहले सुबह से ही पिंडदान की विधि शुरू हो जाती है. ऐसे में श्रद्धालुओं को अलाव की जरूरत पड़ती है लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम ने कहीं भी इसकी व्यवस्था नहीं की है.

ठंड में श्रद्धालुओं का बुरा हाल

ठंड से बचाव के नहीं है मुकम्मल व्यवस्था
जिला प्रशासन ने दावा किया था कि लोगों की सुविधा के लिये हर चौक-चौराहे पर अलाव की व्यवस्था की गई है लेकिन कुछ चुनिंदा जगहों को छोड़ दें तो अलाव कहीं नहीं दिखती. ईटीवी भारत ने जब विष्णुपद मंदिर परिसर में ठहरे लोगों से बात की तो लोगों ने बताया कि पितृपक्ष मेला में आये श्रद्धालुओं के लिए इस ठंड से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां गरीब श्रद्धालु भी आते हैं. लोगों को सुबह से ही खुले आसमान के नीचे ठंड में बैठे रहना पड़ता है.

रैन बसेरा बनाये जाने की मांग
विष्णुपद मंदिर परिसर में अलाव के पास बैठे स्थानीय लोगों ने बताया कि मंदिर के इर्द-गिर्द अस्थायी रैन बसेरा बनना चाहिए. सुबह से पिंडदान का कर्मकांड शुरू हो जाता है इसलिये सुबह में देवघाट के पास भी अलाव की व्यवस्था की जानी चाहिये.

Intro:गया में इन दिनों मिनी पितृपक्ष चल रहा है ,इस पितृपक्ष में देश के कोने कोने से आये श्रद्धालुओं के गया जी जिला प्रशासन और नगर निगम ने अलाव का व्यवस्था नही किया है।


Body:गौरतलब हैं गया में खरमास काल में पौष पितृपक्ष चलता है जिसे मिनी पितृपक्ष कहते हैं। इस पितृपक्ष में देश विदेश के श्रद्धालु गया जी मे पिंडदान करने आते हैं। इन श्रद्धालुओं को कड़ाके ठंड में सुबह में खुले आसमान के नीचे पिंडदान करना पड़ रहा है , अहले सुबह से पिंडदान का विधि विधान शुरू हो जाता है ऐसे में श्रद्धालुओं को अलाव की जरूरत पड़ती है लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम ने कही भी श्रद्धालुओं के लिए आग का व्यवस्था नजी किया है।

vo: 1 जिला प्रशासन ने दवा किया था हर चौक चौराहे पर अलाव का व्यवस्था है लेकिन कुछ चुनिंदा जगहों पर अलाव का व्यवस्था सिर्फ रात के लिए है , ईटीवी ने जब विष्णुपद परिसर में लोगो से अलाव के बारे में जानकारी लिया तो पंडा समुदाय ने कहा पितृपक्ष मेला में आये श्रदालुओं के लिए इस ठंड से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नही है। यहाँ गरीब भी श्रद्धालु आते हैं सुबह से आकर खुले आसमान में ठंड में बैठे रहते हैं।

vo:2 विष्णुपद परिसर में अलाव के पास उपस्थित स्थानीय ने बताया स्थानीय लोग जैसे तैसे व्यवस्था कर लेता है लेकिन बाहरी लोग मंदिर परिसर के छत के नीचे रात काटते है। उनलोगों के लिए मन्दिर के इर्दगिर्द अस्थायी रैन बसेरा बनाना चाहिए और सुबह से पिंडदान का कर्मकांड शुरू हो जाता है सुबह में देवघाट के पास अलाव का व्यवस्था करना चाहिए।


Conclusion:दरअसल ठंड के बचाव के जिला प्रशासन ने स्कूल बंद किया , गरीबो के रैन बसेरा में रहने के लिए फ्री करवा दिया, शहर कई स्थानों पर अलाव का व्यवस्था किया है लेकिन मिनी पितृपक्ष में आये पिंडदानियों के बारे में जिला प्रशासन और नगर निगम ने सोचा तक नही।
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