गया: विश्व प्रसिद्ध मोक्षधाम गया जी में हर साल पितृपक्ष के दौरान राजकीय मेला आयोजित किया जाता था. कोरोना महामारी के कारण साल 2020 में पितृपक्ष मेला (Pitrapaksha Fair) आयोजित नहीं किया गया. इस साल भी पितृपक्ष मेले को लेकर संशय बरकरार था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर हालात ठीक रहे तो सब कुछ होगा.
ये भी पढ़ें- पितृपक्ष मेले को लेकर बोले CM नीतीश- 'अगर हालात ठीक रहे तो सब कुछ होगा'
सीएम नीतीश के बयान के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि पितृपक्ष मेले का आयोजन तो नहीं होगा, लेकिन पितृपक्ष के दौरान कोविड गाइडलाइंस पालन करते हुए पिंडदान करने की छूट रहेगी. सीएम के बयान पर विष्णुपद प्रबन्धकारिणी समिति और पंडा समुदाय ने संतोष व्यक्त किया है.
दरअसल, बिहार की धार्मिक नगरी गया का महत्व पितृपक्ष मेले के दौरान काफी बढ़ जाता है. इस पितृपक्ष में देश से ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु पिंडदान करने आते हैं. पूरे विश्व में मात्र गया शहर में जी शब्द का उपयोग किया जाता है. सनातन धर्मावलंबियों के लिए गया जी पितरों को मोक्ष दिलाने का एक स्थान है. गया जी में बालू मात्र से पिंडदान अर्पण करने और मोक्षदायिनी फल्गु के पानी के तर्पण करने से ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
ये भी पढ़ें- कोरोना काल में इस साल भी नहीं लगेगा पितृपक्ष मेला, लेकिन कर सकेंगे पिंडदान
पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से पितृपक्ष मेला आयोजित नहीं किया गया था. इस साल भी पितृपक्ष मेले का आयोजन नहीं होगा, लेकिन मुख्यमंत्री के बयान के अनुसार पिंडदानी को पिंडदान करने की छूट रहेगी.
''पितृपक्ष को लेकर मुख्यमंत्री का बयान संतोषजनक है. इससे पंडा समुदाय को राहत मिलेगी. गया में पिंडदान करने का महत्व है, पितृपक्ष के दौरान ज्यादा महत्व है. लोग लगातार फोन करके आने की सूचना ले रहे थे, लेकिन सरकार और जिला प्रशासन के द्वारा किसी तरह का आदेश नहीं मिलने के कारण किसी को आने की सूचना नहीं दे पा रहे थे. अब मुख्यमंत्री का बयान आया है, ऐसे में लोगों को अब कम संख्या में आने और कोविड वैक्सीन लगाकर आने की सूचना देंगे.''- शंभुलाल बिठल, कार्यकारी अध्यक्ष, विष्णुपद प्रबन्धकारिणी समिति
ये भी पढ़ें- पितृपक्ष: गया जी में पिंडदान करने वालों का प्रवेश द्वार है पुनपुन घाट
विष्णुपद प्रबन्धकारिणी समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शंभुलाल बिठल ने कहा कि इस पितृपक्ष में पूर्व की तरह संख्या तो नहीं आएगी, लेकिन जितने भी लोग आएंगे, उन सभी लोगों को कोविड से सुरक्षित रखने के लिए जिला प्रशासन को तैयारी करना चाहिए. साथ ही गया नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल से शहर में गंदगी अंबार लगा हुआ है. पितृपक्ष को देखते हुए सफाई व्यवस्था के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करना चाहिए.
बता दें कि इस साल 19 सितंबर को पुनपुन नदी से पहला पिंडदान शुरू होगा. वहीं, 20 सितंबर से गया में पिंडदान की शुरुआत होगी. गया जी में एक दिन, तीन दिन, पांच दिन, एक सप्ताह और 17 दिनों का गया श्राद्ध यानी पिंड दान क्रिया कर्म होता है. वेदों और पुराण के अनुसार गया जी में कम से कम तीन दिवसीय पिंडदान करने का उल्लेख है. इस आधुनिक युग में एक दिवसीय पिंडदान शुरू हो गया है, इस पिंडदान से भी लाभ है. 17 दिवसीय पिंडदान 45 पिंड वेदियों पर होता है. सालों पहले एक साल का पिंडदान होता ,था उस वक्त 365 वेदियां विराजमान थी.