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गया नगर-निगम की नेक पहल, पितरों को अर्पित पिंडों से बन रही जैविक खाद

गया में पिंडदानियों के माध्यम से दान किए गए पिंड से जैविक खाद बनाने का कार्य किया जा रहा है. जिसे लेकर गया नगर-निगम ने 5 मशीनों को लगाया गया है. जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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Published : Oct 5, 2021, 9:58 AM IST

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गयाजी में पितृपक्ष (Pitru Paksha 2021) के दौरान लाखों की संख्या में पिंडदानी विष्णुपद सहित अन्य पिंडवेदी पर पिंडदान (Pinddan In Gaya) करते हैं. विष्णुपद पर अर्पित पिंड पहले कचरे में फेंक दिया जाता था लेकिन अब उस पिंड से जैविक खाद बनाया जा रहा है. जैविक खाद मशीन की सहायता लेकर तैयार किया जा रहा है. हालांकि 2019 में ही कचड़ा से जैविक खाद बनाने वाली मशीन (Organic Manure Machine In Gaya) लायी गई थी. हर साल पितृपक्ष के दौरान मशीन को ट्रायल के तौर पर शुरू किया जाता था और उसके बाद मशीन खुद कचरे में तब्दील हो जाता था.

इसे भी पढ़ें: पितृपक्ष के 10 दिनों बाद जागा निगम प्रशासन, विष्णुपद मंदिर इलाके में किया गया सैनिटाइजेशन

दरअसल, पितृपक्ष के दौरान पिंडदानी के माध्यम से दान किये गए पिंड पंडा से लेकर नगर-निगम (Gaya Municipal Corporation) तक के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गई थी. इस पिंड को पंडा नदी में प्रवाहित कर देते, तो कभी नगर-निगम कूड़ा डंपिंग यार्ड में डाल देते थे. जिसे देखते हुए गया नगर-निगम ने साल 2019 में ही इस समस्या का हल निकाल लिया था. जिसके तहत कचड़ा से खाद बनाने वाली पांच मशीनों को लाया गया था.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: बच्चों की तरह 'पितृदंड' का ख्याल रखते हैं पिंडदानी, पूर्वजों के लिए ट्रेनों और बसों में रिजर्व होती है सीट

इनमें से तीन मशीन विष्णुपद के निकट श्मशान घाट परिसर में रखा गया और दो मशीन को अक्षयवट के बाहरी परिसर में रखा गया. क्योंकि कोई भी गया जी में आनेवाला पिंडदानी पहला पिंडदान विष्णुपद और अंतिम पिंडदान अक्षयवट में जरूर करता है. जिसे ध्यान में रखते हुए इन दोनों जगहों पर मशीन लगाई गई. इन पांचों मशीनों को 50 लाख की लागत से खरीदी गई थी. लेकिन दो साल बीतने के बावजूद भी 5 रुपये खाद की बिक्री नहीं हुई.

'पिंड खाद सामाग्री में कई तरह के फल-फूल रहते है. जिससे सड़ जाने के कारण दुर्गंध आने लगती थी. अब पिंड से जैविक खाद बड़े पैमाने पर बनाया जा रहा है. अगले साल ऑटोमोटिक तरीके से खाद बनाने वाली मशीन लाने की तैयारी चल रही है. पिंड से बना हुआ खाद किसानों को 6 रुपये प्रति किलो के हिसाब से दिया जाएगा. जिससे पैसों की बचत होगी. इसके साथ ही कचड़ा का निष्पादन होगा और फसल भी ऑर्गेनिक तरीके से होगा.' -मोहन श्रीवास्तव, डिप्टी मेयर, नगर-निगम

इन पांचों मशीन में अभी सिर्फ एक मशीन ही चालू है. विष्णुपद स्थित तीन कम्पोस्ट मशीन चालू नहीं है. वहीं, अक्षयवट के पास एक दिन बीच कर एक मशीन को चालू किया जाता है. गया नगर निगम इन मशीनों को सिर्फ पितृपक्ष के दौरान ट्रायल के लिए चालू करती है. इसके पीछे नगर निगम पिंड काफी मात्रा में नहीं होने की बात कहती है. वहीं, विष्णुपद और अक्षयवट का पिंड गौपालकों को बेचा जाता है.

आपको बताते चलें कि कम्पोस्ट मशीन कैसे प्रयोग किया जाता है. पिंडदानियों के माध्यम से दान किए गए पिंड को निगमकर्मी एक जगह स्टोर करते हैं. एक मशीन को चालू करने के लिए कम से कम 500 किलो पिंड चाहिए होता है. 500 किलो पिंड स्टोर होने के बाद एक ऑटोमेटिक कम्पोस्ट मशीन को चालू किया जाता है. जिसके बाद कम्पोस्ट मशीन में पिंड को डाला जाता है. एक घण्टे में एक मशीन 200 किलो खाद बना देती है. इस खाद को धूप में सुखाकर पैक कर दिया जाता है. इस खाद को कृषि विभाग ने भी खेत में उपयोग करने के लिए सहमति दे दी है. वहीं, पिंड से बने खाद की एक किलो की कीमत 6 रुपये रखी गयी है.

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गयाजी में पितृपक्ष (Pitru Paksha 2021) के दौरान लाखों की संख्या में पिंडदानी विष्णुपद सहित अन्य पिंडवेदी पर पिंडदान (Pinddan In Gaya) करते हैं. विष्णुपद पर अर्पित पिंड पहले कचरे में फेंक दिया जाता था लेकिन अब उस पिंड से जैविक खाद बनाया जा रहा है. जैविक खाद मशीन की सहायता लेकर तैयार किया जा रहा है. हालांकि 2019 में ही कचड़ा से जैविक खाद बनाने वाली मशीन (Organic Manure Machine In Gaya) लायी गई थी. हर साल पितृपक्ष के दौरान मशीन को ट्रायल के तौर पर शुरू किया जाता था और उसके बाद मशीन खुद कचरे में तब्दील हो जाता था.

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दरअसल, पितृपक्ष के दौरान पिंडदानी के माध्यम से दान किये गए पिंड पंडा से लेकर नगर-निगम (Gaya Municipal Corporation) तक के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गई थी. इस पिंड को पंडा नदी में प्रवाहित कर देते, तो कभी नगर-निगम कूड़ा डंपिंग यार्ड में डाल देते थे. जिसे देखते हुए गया नगर-निगम ने साल 2019 में ही इस समस्या का हल निकाल लिया था. जिसके तहत कचड़ा से खाद बनाने वाली पांच मशीनों को लाया गया था.

देखें रिपोर्ट.

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इनमें से तीन मशीन विष्णुपद के निकट श्मशान घाट परिसर में रखा गया और दो मशीन को अक्षयवट के बाहरी परिसर में रखा गया. क्योंकि कोई भी गया जी में आनेवाला पिंडदानी पहला पिंडदान विष्णुपद और अंतिम पिंडदान अक्षयवट में जरूर करता है. जिसे ध्यान में रखते हुए इन दोनों जगहों पर मशीन लगाई गई. इन पांचों मशीनों को 50 लाख की लागत से खरीदी गई थी. लेकिन दो साल बीतने के बावजूद भी 5 रुपये खाद की बिक्री नहीं हुई.

'पिंड खाद सामाग्री में कई तरह के फल-फूल रहते है. जिससे सड़ जाने के कारण दुर्गंध आने लगती थी. अब पिंड से जैविक खाद बड़े पैमाने पर बनाया जा रहा है. अगले साल ऑटोमोटिक तरीके से खाद बनाने वाली मशीन लाने की तैयारी चल रही है. पिंड से बना हुआ खाद किसानों को 6 रुपये प्रति किलो के हिसाब से दिया जाएगा. जिससे पैसों की बचत होगी. इसके साथ ही कचड़ा का निष्पादन होगा और फसल भी ऑर्गेनिक तरीके से होगा.' -मोहन श्रीवास्तव, डिप्टी मेयर, नगर-निगम

इन पांचों मशीन में अभी सिर्फ एक मशीन ही चालू है. विष्णुपद स्थित तीन कम्पोस्ट मशीन चालू नहीं है. वहीं, अक्षयवट के पास एक दिन बीच कर एक मशीन को चालू किया जाता है. गया नगर निगम इन मशीनों को सिर्फ पितृपक्ष के दौरान ट्रायल के लिए चालू करती है. इसके पीछे नगर निगम पिंड काफी मात्रा में नहीं होने की बात कहती है. वहीं, विष्णुपद और अक्षयवट का पिंड गौपालकों को बेचा जाता है.

आपको बताते चलें कि कम्पोस्ट मशीन कैसे प्रयोग किया जाता है. पिंडदानियों के माध्यम से दान किए गए पिंड को निगमकर्मी एक जगह स्टोर करते हैं. एक मशीन को चालू करने के लिए कम से कम 500 किलो पिंड चाहिए होता है. 500 किलो पिंड स्टोर होने के बाद एक ऑटोमेटिक कम्पोस्ट मशीन को चालू किया जाता है. जिसके बाद कम्पोस्ट मशीन में पिंड को डाला जाता है. एक घण्टे में एक मशीन 200 किलो खाद बना देती है. इस खाद को धूप में सुखाकर पैक कर दिया जाता है. इस खाद को कृषि विभाग ने भी खेत में उपयोग करने के लिए सहमति दे दी है. वहीं, पिंड से बने खाद की एक किलो की कीमत 6 रुपये रखी गयी है.

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