गया: बिहार के गया में बहुचर्चित बारा नरसंहार कांड में 31 सालों के बाद अदालत में मुख्य अभियुक्त किरानी यादव को दोषी करार दिया गया है. कोर्ट ने कुख्यात नक्सली किरानी यादव (Notorious Naxalite Kirani Yadav convicted) को दोषी करार देते हुए अगले महीने में सजा के बिंदु पर फैसला देने की तारीख मुकर्रर की है. चर्चित गया के बारा नरसंहार में 35 ग्रामीणों की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. यह घटना दहला देने वाली थी. दोषी करार दिए जाने के बाद अब इस कांड में सजा के बिंदु पर सुनवाई 2 मार्च को अदालत करेगी.
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2 मार्च को सजा के बिंदु पर होगी सुनवाई : इस कांड को लेकर सजा के बिंदु पर अदालत द्वारा 2 मार्च को सुनवाई की जाएगी. इस मामले में कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से 21 लोगों की गवाही कराई गई. टाटा मामले के विशेष लोक अभियोजक प्रभात कुमार ने अभियोजन की ओर से अपना पक्ष रखा. वहीं, बचाव पक्ष की ओर से वकील तारिक अली और सुरेंद्र नारायण ने बहस की. बारा नरसंहार को लेकर गया जिले के टिकारी थाना में कांड संख्या 19/92 दर्ज है. यह कांड तब दहशत का जलजला बना था.
1992 में हुई थी दिल दहला देने वाली यह घटना: करीब 30-31 साल पूर्व 1992 में दिल दहला देने वाली यह घटना हुई थी. जब 35 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. इस मामले पर सुनवाई करते हुए शनिवार को जिला जज ने अपराधी किरानी यादव को दोषी करार दिया. जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की अदालत में चर्चित बारा नरसंहार कांड के मुख्य अभियुक्त किरानी यादव उर्फ सूर्यदेव यादव उर्फ रामचंद्र यादव को दोषी करार दिया गया.
पसूली से गला रेत कर हत्या : वर्ष 1992 में गया जिले के टिकारी थाना के बारा में ग्रामीणों को हथियार के बल पर कब्जे में कर लिया गया था. इस घटना में कई घरों में आग लगा दी गई थी. वहीं गांव के पुरुषों को बारा गांव में नहर के समीप ले जाकर पसूली से गला रेत कर हत्या कर दी गई थी.