गयाः बिहार के गया जिले में गंभीर मरीजों के इलाज के लिए एक भी ट्रॉमा सेंटर (Trauma Center) नहीं है. अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (ANMMCH) में एक सेंटर है भी तो इसे कोविड वार्ड (Covid-19 Ward) बना दिया गया है. यही बड़ी बिडंवना है कि हर पल मौत से जूझ रहे मरीजों को अंत समय में भी मजबूरी में इलाज की जगह रेफर कर दिया जाता है.
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गया जिले में दो ट्रॉमा सेंटर बनने का प्रस्ताव दिया जा चुका है. इनमें से एक एएनएमएमसीएच में बनाया तो गया, लेकिन कोविड महामारी से लड़ने के लिए इसमें कोविड वार्ड शुरू कर दिया गया. वहीं, दूसरे सेंटर की अब तक आधारशिला भी नहीं रखी जा सकी है.
"गया जिले में दो ट्रॉमा सेंटर बनना था. जिसमे एक अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बनकर तैयार है, वहीं दूसरा एनएच-2 के पास डोभी में बनना था, जो अभी तक सरकार के पास विचाराधीन है. हालांकि, सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों के इलाज के लिए अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड सक्षम है."- अभिषेक सिंह, जिलाधिकारी
"मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ढाई सालों से ट्रॉमा सेंटर बनकर तैयार है. हमलोगों ने काम भी शुरू किया था लेकिन तभी कोविड महामारी आ गयी. इसके बाद मगध प्रमण्डल के लिए अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बना दिया गया. ट्रामा सेंटर में कोविड लेवल थ्री वार्ड बनाया गया था. वहीं दूसरी लहर में कोविड ग्रसित जिन मरीजों का ऑपरेशन करना था, उनके लिए वार्ड बनाया गया. उसमें पांच महीने तक इमरजेंसी वार्ड भी चला. कोविड महामारी की वजह से ट्रामा सेंटर अब तक चालू नहीं हो सका है."- डॉ पीके अग्रवाल, अस्पताल अधीक्षक
ट्रॉमा सेंटर के सही तरीके से शुरूआत नहीं होने की और भी कई वजहें हैं. सेंटर में न्यूरो सर्जन, जनरल सर्जन, ऑर्थोपेडिक सर्जन, ओटी असिस्टेंट, लैब टेक्नीशियन, एनैस्थिसिया चिकित्सक, इमरजेंसी मेडिसिन के चिकित्सक, एक्सरे टेक्नीशियन, एक्स-रे और पारा मेडिकल स्टाफ की जरूरत है. इनमे से मौजूदा वक्त में 20 फीसदी लोग ही हैं. इस कारण भी ट्रामा सेंटर की शुरूआत नहीं हो सकी है.
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बता दें कि नई दिल्ली से लेकर कोलकाता तक जाने वाली राष्ट्रीय राज्यमार्ग का 66 किलोमीटर हिस्सा गया जिले से होकर गुजरती है. जिसमें झारखंड बॉर्डर से भलुआ बाराचट्टी, बाराचट्टी से डोभी, डोभी से शेरघाटी घाटी और आमस से औरंगाबाद सीमा तक की सड़कों पर अक्सर सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
इस लिहाज से जिले में एक भी ट्रॉमा सेंटर संचालित नहीं होना बेहद संवेदनशील मुद्दा है. अक्सर दुर्घटनाग्रस्त मरीजों का प्राथमिक इलाज कर रेफर करने की नौबत आ जाती है. ये अलग बात है कि जिलाधिकारी ने इमरजेंसी मरीजों के इलाज के लिए मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल को सक्षम बताया है.
यहां ध्यान दें कि ट्रॉमा सेंटर का मतलब एक अस्पताल या फिर अस्पताल का एक वार्ड से होता है जो गंभीर रूप से घायल मरीजों को इमरजेंसी ट्रीटमेंट प्रोवाइड करता है.