गया: मोक्ष नगरी गया जी के विष्णुपद मंदिर के पास स्थित विष्णु मसान घाट की तस्वीर भयवाह हो गई है. एक अनुमान के अनुसार इन दिनों यहां रोजाना 50 से 70 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. हालात ये हैं कि श्मशान घाट में शवों के अंतिम संस्कार के लिए जमीन की कमी पड़ गई है. वहीं, लोगों का मानना है कि ठंड की वजह से मौतों की संख्या बढ़ रही है.
गया में ठंड का कहर जारी है. एक हफ्ते की बात की जाए, तो विष्णुपद मसान घाट पर 400 से अधिक शव का अंतिम संस्कार किया गया है. मोक्ष और ज्ञान की धरती पर गर्मियों में हिट वेब से 300 लोगों की मौत ने सभी को चौंका दिया था. लेकिन ठंड में श्मशान में रोजाना बढ़ रहे दाह संस्कार को देखते हुए ये कहने से इंकार नहीं किया जा सकता कि मौतों के बढ़े आंकड़े की वजह ठंड नहीं हो सकती.
- इस श्मशान घाट पर आलम कुछ यूं है कि दाह संस्कार के लिए यहां जमीन की कमी पड़ गई है. मजबूरन, लोग अपने मृत परिजन का दाह संस्कार फल्गू नदी में कर रहे हैं.
चिता से पट गया घाट
वैसे गया के मोक्ष धाम में स्थित श्मशान घाट पर एक दिन में शमशान घाट पर 10 से 12 शव का अंतिम संस्कार किया जाता था. वहीं, ठंड में ये संख्या बढ़ गई है. पूरा घाट चिताओं से पटा पड़ा है. अंतिम संस्कार में आये लोगों मे अधिकांश लोगों की मौत ठंड से ही बतायी जा रही है. इनमें ज्यादातर बुजुर्ग हैं.
तमिलनाडु से मंगाई जा रही लकड़ी
श्मशान घाट पर अधिक शव आने से जगह तो कम पड़ ही गयी है. साथ ही अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री की मांग बढ़ने पर उसे बाहर से मंगाया जा रहा है. दुकानदार बताते हैं कि जब से कड़ाके की ठंड पड़ी है, तब से हर दिन 50 से 70 शव जल रहे हैं. शव जलाने के लिए तमिलनाडु से लकड़ी मंगायी जा रही है.
ये रहे सरकारी आंकड़े
वहीं, जिलाधिकारी की मानें तो एक हफ्ते में दो लोगों की मौत ठंड से हुई है. लेकिन गया के श्मशान घाट पर एक सप्ताह का आंकड़ा को देखा जाए, तो वो 400 के पार हो गया है. इस बाबत प्रशासन को श्मशान की ग्राउंड रिपोर्ट की ओर रुख करने कि जरूरत है. इस बात की पुष्टि करने की जरूरत है कि बढ़ रही मौतों की वजह क्या है? ये शव आखिर आ कहां से रहे हैं?