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गया के श्मशान घाट पर शव जलाने के लिए कम पड़ी जमीन, आखिर क्यों बढ़ रही मौतों की संख्या?

मोक्ष की नगरी गया जी के विष्णुपद घाट स्थित विष्णु मसान घाट पर रोजाना 50 से 70 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. आम तौर पर यहां हर रोज 10 से 12 शवों का अंतिम संस्कार होता है.

गया के श्मशान घाट
गया के श्मशान घाट
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Published : Jan 1, 2020, 6:02 PM IST

Updated : Jan 1, 2020, 8:57 PM IST

गया: मोक्ष नगरी गया जी के विष्णुपद मंदिर के पास स्थित विष्णु मसान घाट की तस्वीर भयवाह हो गई है. एक अनुमान के अनुसार इन दिनों यहां रोजाना 50 से 70 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. हालात ये हैं कि श्मशान घाट में शवों के अंतिम संस्कार के लिए जमीन की कमी पड़ गई है. वहीं, लोगों का मानना है कि ठंड की वजह से मौतों की संख्या बढ़ रही है.

गया में ठंड का कहर जारी है. एक हफ्ते की बात की जाए, तो विष्णुपद मसान घाट पर 400 से अधिक शव का अंतिम संस्कार किया गया है. मोक्ष और ज्ञान की धरती पर गर्मियों में हिट वेब से 300 लोगों की मौत ने सभी को चौंका दिया था. लेकिन ठंड में श्मशान में रोजाना बढ़ रहे दाह संस्कार को देखते हुए ये कहने से इंकार नहीं किया जा सकता कि मौतों के बढ़े आंकड़े की वजह ठंड नहीं हो सकती.

श्मशान घाट द्वार
श्मशान घाट द्वार
  • इस श्मशान घाट पर आलम कुछ यूं है कि दाह संस्कार के लिए यहां जमीन की कमी पड़ गई है. मजबूरन, लोग अपने मृत परिजन का दाह संस्कार फल्गू नदी में कर रहे हैं.

चिता से पट गया घाट
वैसे गया के मोक्ष धाम में स्थित श्मशान घाट पर एक दिन में शमशान घाट पर 10 से 12 शव का अंतिम संस्कार किया जाता था. वहीं, ठंड में ये संख्या बढ़ गई है. पूरा घाट चिताओं से पटा पड़ा है. अंतिम संस्कार में आये लोगों मे अधिकांश लोगों की मौत ठंड से ही बतायी जा रही है. इनमें ज्यादातर बुजुर्ग हैं.

मोक्ष धाम से सुजीत पांडेय की रिपोर्ट

तमिलनाडु से मंगाई जा रही लकड़ी
श्मशान घाट पर अधिक शव आने से जगह तो कम पड़ ही गयी है. साथ ही अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री की मांग बढ़ने पर उसे बाहर से मंगाया जा रहा है. दुकानदार बताते हैं कि जब से कड़ाके की ठंड पड़ी है, तब से हर दिन 50 से 70 शव जल रहे हैं. शव जलाने के लिए तमिलनाडु से लकड़ी मंगायी जा रही है.

ये अलाव नहीं, चिता जल रही हैं.
ये अलाव नहीं, चिता जल रही हैं.

ये रहे सरकारी आंकड़े
वहीं, जिलाधिकारी की मानें तो एक हफ्ते में दो लोगों की मौत ठंड से हुई है. लेकिन गया के श्मशान घाट पर एक सप्ताह का आंकड़ा को देखा जाए, तो वो 400 के पार हो गया है. इस बाबत प्रशासन को श्मशान की ग्राउंड रिपोर्ट की ओर रुख करने कि जरूरत है. इस बात की पुष्टि करने की जरूरत है कि बढ़ रही मौतों की वजह क्या है? ये शव आखिर आ कहां से रहे हैं?

गया: मोक्ष नगरी गया जी के विष्णुपद मंदिर के पास स्थित विष्णु मसान घाट की तस्वीर भयवाह हो गई है. एक अनुमान के अनुसार इन दिनों यहां रोजाना 50 से 70 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. हालात ये हैं कि श्मशान घाट में शवों के अंतिम संस्कार के लिए जमीन की कमी पड़ गई है. वहीं, लोगों का मानना है कि ठंड की वजह से मौतों की संख्या बढ़ रही है.

गया में ठंड का कहर जारी है. एक हफ्ते की बात की जाए, तो विष्णुपद मसान घाट पर 400 से अधिक शव का अंतिम संस्कार किया गया है. मोक्ष और ज्ञान की धरती पर गर्मियों में हिट वेब से 300 लोगों की मौत ने सभी को चौंका दिया था. लेकिन ठंड में श्मशान में रोजाना बढ़ रहे दाह संस्कार को देखते हुए ये कहने से इंकार नहीं किया जा सकता कि मौतों के बढ़े आंकड़े की वजह ठंड नहीं हो सकती.

श्मशान घाट द्वार
श्मशान घाट द्वार
  • इस श्मशान घाट पर आलम कुछ यूं है कि दाह संस्कार के लिए यहां जमीन की कमी पड़ गई है. मजबूरन, लोग अपने मृत परिजन का दाह संस्कार फल्गू नदी में कर रहे हैं.

चिता से पट गया घाट
वैसे गया के मोक्ष धाम में स्थित श्मशान घाट पर एक दिन में शमशान घाट पर 10 से 12 शव का अंतिम संस्कार किया जाता था. वहीं, ठंड में ये संख्या बढ़ गई है. पूरा घाट चिताओं से पटा पड़ा है. अंतिम संस्कार में आये लोगों मे अधिकांश लोगों की मौत ठंड से ही बतायी जा रही है. इनमें ज्यादातर बुजुर्ग हैं.

मोक्ष धाम से सुजीत पांडेय की रिपोर्ट

तमिलनाडु से मंगाई जा रही लकड़ी
श्मशान घाट पर अधिक शव आने से जगह तो कम पड़ ही गयी है. साथ ही अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री की मांग बढ़ने पर उसे बाहर से मंगाया जा रहा है. दुकानदार बताते हैं कि जब से कड़ाके की ठंड पड़ी है, तब से हर दिन 50 से 70 शव जल रहे हैं. शव जलाने के लिए तमिलनाडु से लकड़ी मंगायी जा रही है.

ये अलाव नहीं, चिता जल रही हैं.
ये अलाव नहीं, चिता जल रही हैं.

ये रहे सरकारी आंकड़े
वहीं, जिलाधिकारी की मानें तो एक हफ्ते में दो लोगों की मौत ठंड से हुई है. लेकिन गया के श्मशान घाट पर एक सप्ताह का आंकड़ा को देखा जाए, तो वो 400 के पार हो गया है. इस बाबत प्रशासन को श्मशान की ग्राउंड रिपोर्ट की ओर रुख करने कि जरूरत है. इस बात की पुष्टि करने की जरूरत है कि बढ़ रही मौतों की वजह क्या है? ये शव आखिर आ कहां से रहे हैं?

Intro:गया में ठंड का सितम से हर रोज 50 से 70 लोगो की मृत्यु हो रहा है एक सप्ताह के कड़ाके ठंड में अब तक गया के विष्णुपद मंदिर में के बगल में स्थित श्मशान घाट पर 400 से अधिक शव का अंतिम संस्कार किया गया है।


Body:आपको बता दे मोक्ष और ज्ञान की धरती पर कभी हिट वेब से 300 लोगो की मौत हुआ था वही हाड़ काँपा देनेवाली ठंड से गया में अब तक 400 लोगो का मौत हो चुका है। ये आंकड़ा श्मशान घाट पर शवो से अंदाजा लगाया जा रहा है जहां एक सप्ताह में हर रोज 50 से 70 शव जल रहे हैं यहां तक कि श्मशान घाट पर शव जलाने के लिए जमीन नही बचा लोग मजबूरी में फल्गू नदी में शव जला रहे हैं।

vo:1 गया के मोक्ष धाम में स्थित श्मशान घाट पर आए दिन शमशान घाट पर 10 से 12 शव का अंतिम संस्कार किया जाता था वही मौसम के बदलते स्वरूप से श्मशान घाट का भी स्वरूप में बदलाव हो गया है । पूरा घाट शव के चिताओं से पटा पड़ा है , अंतिम संस्कार में आये लोगो मे अधिकांश लोगों मरने का वजह ठंड ही बताया हालांकि मरने वाले में बुजुर्गों की संख्या अधिक है।

बाइट- मृतक के परिजन (तीन लोगों का बाईट हैं)

vo:2 श्मशान घाट पर अधिक शव आने से जगह तो कम पड़ ही गया साथ ही अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाला सामग्री का मांग बढ़ने से बाहर से मंगाया जा रहा है। दुकानदार बताते हैं जब से कड़ाके ठंड पड़ने लगा तब से हर दिन 50 से 70 शव जल रहा है। शव जलाने के लकड़ी तमिलनाडु से मंगाया जा रहा है।

बाईट- दुकानदार




Conclusion:दरअसल गया में मरने वालों की संख्या के बारे जिलाधिकारी दो बताते हैं लेकिन गया के श्मशान घाट पर ठंडे से मरनेवाले का एक सप्ताह का आंकड़ा को देखा जाए तो वो आंकड़ा 400 से पार हो गया है लेकिन सरकारी आंकड़ों में इसका जिक्र नही किया जा रहा है।

हालांकि मरने का संख्या ग्रामीण क्षेत्र के बुजुर्गों का अधिक देखा जा रहा है जिला प्रशासन के द्वारा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ठंड स्व बचाव के लिए कोई साधन मुहैया नही कराया जाता है जिसे असहाय बुजुर्गों की अधिक मौत ठंड से हो रहा है।
Last Updated : Jan 1, 2020, 8:57 PM IST
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