गया: स्वच्छ भारत सर्वेक्षण रिपोर्ट 2020 के अनुसार गया शहर को सबसे गंदा शहर घोषित किया गया है. इसकी जानकारी जैसे ही मेयर गणेश पासवान, डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को मिली, तो ये लोग भड़क गए. जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सच्चाई से परे होकर इस तरह की रिपोर्ट बनाई गई है. निगम के कुछ जिम्मेवार अधिकारियों के द्वारा सही डाटा अपलोड नहीं किया गया. जिस कारण गया को सबसे गंदा शहर घोषित किया गया है.
'नहीं दी गई सही जानकारी'
मेयर गणेश पासवान ने कहा कि शहर में व्यापक तौर पर साफ सफाई का अभियान चलाया जा रहा है. कुछ अधिकारियों द्वारा सर्वेक्षण टीम को सही डाटा अपलोड नहीं किया गया. निगम के कार्यों के बारे में भी सही जानकारी नहीं दी गई. जिस कारण गया को सबसे गंदा शहर घोषित किया गया. इसे लेकर हम लोगों में मायूसी है. उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उनका वेतन भी रोका जाएगा.
'व्यापक पैमाने पर चल रहा सफाई अभियान'
डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि बीते कई महीने से व्यापक पैमाने पर सफाई अभियान चल रहा है. शहर की प्रमुख सड़कों पर कही भी कूड़ा कचरा नहीं है. बावजूद इसके गया को सबसे गंदा शहर घोषित किया गया. इसके लिए नगर निगम प्रबंधक विष्णु प्रभाकर लाल, नगर निगम के कनीय अभियंता दिनकर प्रसाद और उप नगर आयुक्त मो. सहाब अहिया दोषी हैं.
सर्वे करने आई टीम को तीनों लोगों के द्वारा सही डाटा नहीं दिया गया. जिसकी वजह से गया को सबसे गंदा शहर घोषित किया गया. उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से मुक्त करने के लिए नगर आयुक्त को अनुशंसा की गई है. इसके बावजूद इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है, तो स्टैंडिंग कमेटी में इनके खिलाफ कठोर निर्णय लिया जाएगा.
'अधिकारियों के खिलाफ की जाएगी कार्रवाई'
वहीं इस संबंध में नगर आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि सबसे गंदा शहर घोषित होने से हम लोग दुखी हैं. नगर निगम द्वारा शहर में व्यापक कार्य किए जा रहे हैं. कुछ निगम के अधिकारियों के द्वारा सही डाटा अपलोड नहीं किया गया. जिसकी वजह से यह वाकया हुआ. हमारा प्रयास होगा कि अगले वर्ष गया शहर को सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया जाए. उन्होंने कहा कि इस वाक्य के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.