गया: प्रवासी मजदूरों को उनके गृह जिला प्रशासन की तरफ से पहुंचाया जा रहा है. लेकिन इस दौरान गया प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. एक तरफ जिला प्रशासन कोरोना को लेकर सतर्कता बरतने की बात कह रहा है, तो दूसकी तरफ प्रवासी मजदूरों को क्वारंटीन सेंटर तक छोड़ने वाले बस चालकों को अब तक मास्क भी उपलब्ध नहीं कराया है.
बस चालक ने बताया कि कोरोना से बचाव को लेकर परिवहन निगम और जिला प्रशासन की तरफ से कुछ नहीं किया गया है. हम लोगों को एक मास्क तक उपलब्ध नहीं कराया गया है. गमछा को ही मास्क के रूप में प्रयोग करते हैं. ग्लब्स और हैंड सेनिटाइजर भी नहीं दिया गया है. साथ ही गाड़ी को कभी सैनिटाइज भी नहीं किया जाता है. पहले यात्रियों के बीच बसों में सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखा गया. लेकिन अब तो बसों में 50 के जगह 70 प्रवासियों को लेकर चलना पड़ता है. हम लोग इस हालात में राम भरोसे ही हैं.
'दो वक्त का भोजन भी ठीक से नहीं मिल पाता'
इस संबंध में दूसरे चालक ने कहा कि मास्क और सेनिटाइजर को तो छोड़िए, दो वक्त का भोजन भी ठीक से नहीं मिल पाता है. दूसरे जिला जाने पर भूखे ही रहना पड़ता है. प्रशासन की तरफ से भोजन नहीं जाता है और ग्रामीण रोगी वाहन कहकर बस को रोकने नहीं देते हैं. हम लोग कोरोना, लू और भूख से एक साथ लड़कर काम कर रहे हैं.
24 घंटे कामों में लगी हैं बसें
इस संबंध में ईटीवी भारत ने बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के प्रमंडल क्षेत्रीय प्रबंधक पवन कुमार शांडिल्य से सवाल पूछा, तो उन्होंने ने बताया कि बसों को हम लोग सेनेटाइज करवाते हैं. जितने कर्मी हैं, वे सभी सोशल डिस्टेंस का पालन करते है. सभी चालकों को मास्क, हैंड सेनिटाइजर और ग्लब्स उपलब्ध कराया गया है. सभी चालकों के लिए भोजन की भी व्यवस्था है. बता दें कि गया शहर के परिवहन निगम के डिपो से 40 बस प्रवासी मजदूरों को छोड़ने के कामों में लगातार 24 घंटे लगी हुई है.