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गया: भूत-प्रेत से बचाव को लेकर भूटान मंदिर में किया गया मुखौटा डांस

भूटानी बौद्ध परंपरा के मुखौटा डांस का आयोजन बोधगया के भूटान ड्रुक छोलिंग शाबद्रुंग मोनेस्ट्री में किया गया. परंपरा के मुताबिक इस नृत्य के करने से भूत-पिचाश का नाश होता है.

गया
गया में बौद्ध परंपरा का आयोजन
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Published : Jan 9, 2021, 10:36 AM IST

गया: भूटानी बौद्ध परंपरा के मुखौटा डांस का आयोजन किया गया. यह आयोजन बोधगया के भूटान के ड्रुक थुपतेन छोलिंग शाबद्रुंग मोनेस्ट्री में किया गया. तीन दिवसीय इस मुखौटे डांस का आयोजन बुरी शक्तियों से बचाव को लेकर किया गया. मान्यता है कि इस नृत्य से बुरी शक्तियों का नाश होता है.

भूटान के अलावे सिर्फ बोधगया में मिलता है प्रशिक्षण
भूटान के ड्रुक थुपतेन छोलिंग शाबद्रुंग मोनास्ट्री से जुड़े मोंक बताते हैं कि इस नृत्य को करने के लिए बौद्ध अनुयायी देव-देवियों, दैत्यों और जानवरों का मुखौटा और पारंपरिक परिधान धारण करते हैं. इस नृत्य के करने से बुरी शक्तियों का नाश होता है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: गया में 'ऑनलाइन ठगी' की पाठशाला, कर्नाटक से आए थे 'चीटर टीचर', 16 गिरफ्तार

मोनेस्ट्री से जुड़े सोनम दोरजे ने बताया कि ये भूटान की परंपरा है. इस परंपरा की शुरुआत वर्षो पहले हुई थी. मुखौटा डांस के जरिए आसपास के क्षेत्र में विराजमान भूत-पिशाच और बुरी शक्तियों का नाश होता है. इस तरह के डांस का प्रचलन भूटान के अलावे भारत के लद्दाख और अन्य देशों में भी है. इसका आयोजन भूटानी कैलेंडर के अनुसार निर्धारित तिथि को किया जाता है.
गौरतलब है कि मुखौटा डांस का प्रशिक्षण भूटान के अलावे सिर्फ बोधगया में दिया जाता है. यह डांस तांत्रिक अनुष्ठान के दौरान होता है.

गया: भूटानी बौद्ध परंपरा के मुखौटा डांस का आयोजन किया गया. यह आयोजन बोधगया के भूटान के ड्रुक थुपतेन छोलिंग शाबद्रुंग मोनेस्ट्री में किया गया. तीन दिवसीय इस मुखौटे डांस का आयोजन बुरी शक्तियों से बचाव को लेकर किया गया. मान्यता है कि इस नृत्य से बुरी शक्तियों का नाश होता है.

भूटान के अलावे सिर्फ बोधगया में मिलता है प्रशिक्षण
भूटान के ड्रुक थुपतेन छोलिंग शाबद्रुंग मोनास्ट्री से जुड़े मोंक बताते हैं कि इस नृत्य को करने के लिए बौद्ध अनुयायी देव-देवियों, दैत्यों और जानवरों का मुखौटा और पारंपरिक परिधान धारण करते हैं. इस नृत्य के करने से बुरी शक्तियों का नाश होता है.

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मोनेस्ट्री से जुड़े सोनम दोरजे ने बताया कि ये भूटान की परंपरा है. इस परंपरा की शुरुआत वर्षो पहले हुई थी. मुखौटा डांस के जरिए आसपास के क्षेत्र में विराजमान भूत-पिशाच और बुरी शक्तियों का नाश होता है. इस तरह के डांस का प्रचलन भूटान के अलावे भारत के लद्दाख और अन्य देशों में भी है. इसका आयोजन भूटानी कैलेंडर के अनुसार निर्धारित तिथि को किया जाता है.
गौरतलब है कि मुखौटा डांस का प्रशिक्षण भूटान के अलावे सिर्फ बोधगया में दिया जाता है. यह डांस तांत्रिक अनुष्ठान के दौरान होता है.

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