गया: बिहार के मगध विश्वविद्यालय (Magadh University) के छात्रों को अपनी डिग्री (Degree) हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. पांच सालों का स्नातक (Graduate) करवाने वाला मगध विश्वविद्यालय अब छात्रों के करियर के साथ खिलवाड़ कर रहा है. डिग्री के लिए छात्रों को महीनों तक दौड़ाया जा रहा है. यहां तक कि डिग्री नहीं मिलने के वजह से कई छात्रों की नौकरी लगने के बावजूद नियुक्ति नहीं हो पायी.
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महीनों नहीं, वर्षों का चक्कर
मगध विश्वविद्यालय की ख्याति एक समय बिहार और झारखंड (Bihar and Jharkhand) के सबसे बड़े विश्वविद्यालय रूप में थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से विश्वविद्यालय में शैक्षणिक बदहाली है. छात्रों को विश्विद्यालय से डिग्री नहीं मिल रही है. छात्र डिग्री के लिए कुछ माह नहीं बल्कि एक साल तक विश्विद्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.
"मुझे बैंक में नौकरी मिल गई है, डिग्री की आवश्यकता है. दो माह पूर्व ऑनलाइन अप्लाई किया तो 700 रुपया चार्ज लगा लेकिन डिग्री नहीं मिली. जब विश्विद्यालय आकर जानकारी ली तो बताया गया कि स्टाफ चेंज हो गये हैं. अब नए सिरे से डिग्री लेने के लिए फॉर्म अप्लाई करना पड़ेगा."- शुभम शर्मा, छात्र, अरवल निवासी
"विश्वविद्यालय से डिग्री निकालना टेढ़ी खीर है. डिग्री के लिए मैं एक साल से विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहा हूं. हम लोगों के साथ नाइंसाफी हो रही है. मैं जब डिग्री लेने आया तो मुझे बताया गया ऑफलाइन अप्लाई कीजिये. क्योंकि ऑनलाइन अप्लाई को एक्सेप्ट नहीं किया गया है."- इम्नातुल हक, छात्र, पटना निवासी
40 हजार आवेदन डिग्री के लिए लंबित
बता दें कि इन दिनों डिग्री मिलने में देरी को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) विश्विद्यालय द्वारा कैंपस में आंदोलन किया जा रहा है. परिषद के नेता अमन मिश्रा ने बताया कि एग्जाम के समय ही डिग्री का पैसा ले लिया जाता है लेकिन विश्विद्यालय वर्षों बीत जाने पर भी कॉलेजों में डिग्री नहीं पहुंचाती है. राजभवन के अनुसार, मगध विश्वविद्यालय के करीब 40 हजार आवेदन डिग्री के लिए लंबित पड़े हैं.
"हम लोग डिग्री कॉलेज में देने की बात करते हैं तो दलाल कहते है. जबकि दलाली का काम विश्वविद्यालय कर रहा है. छात्रों का पैसा लेकर डिग्री नहीं दिया जाता है. छात्रों को विश्विद्यालय में परेशानी झेलना पड़ता है. जल्द ही डिग्री सुचारू और आसानी से देने की व्यवस्था नहीं होती है तो आंदोलन करेंगे."- अमन मिश्रा, छात्र नेता
विश्विद्यालय से कुलपति नदारद
इस पूरे मामले को लेकर इटीवी भारत ने जब मगध विश्विद्यालय प्रशासन से जानकारी लेना चाहिए, तो कुलपति से लेकर कुलसचिव तक विश्वविद्यालय से नदारद पाये गये. विश्विद्यालय के प्रशासनिक भवन में सिर्फ प्रो. वीसी मौजूद थे. डिग्री से संबंधित सवाल सुनते ही उन्होंने बात करने से मना कर दिया.
डिग्री पेंडिंग पर क्या बोले कुलपति
आपको बता दें कि मगध विश्वविद्यालय में शैक्षणिक बदहाली जस की तस है. आज भी छात्रों को डिग्री के लिए परेशान होना पड़ता है. पिछले साल दिसंबर माह में मगध विश्विद्यालय के कुलपति (Vice Chancellor) प्रो. राजेन्द्र प्रसाद (Rajendra Prasad) ने छात्रों को डिग्री नहीं मिलने पर ये बाते कही थी. जो कुछ इस प्रकार है-
"ये डिग्री सात स्तरीय सुरक्षा से लैस होलोग्राम युक्त है. वहीं ये डिग्री ए 4 साइज का है. इस डिग्री की प्रमाणिकता पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सकता है. बहुत जल्द डिग्री को लेकर छात्रों की परेशानी को दूर किया जा रहा है. एक ऐप के जरिये छात्र अप्लाई कर सकते हैं. उसकी पूरी प्रोसेसिंग की जानकारी रख सकते हैं. मैंने 27 सितंबर 2019 को विश्विद्यालय जॉइन किया था. उस वक्त 20 लाख डिग्री बनकर रखी हुई थी. अधिकांश का वितरण करवाया हूं. अभी नए फॉर्मेट के तहत डिजिटल डिग्री 800 तैयार है. सत्र 2020-21 में 21 हजार 547 डिग्री दी गई है". - प्रो राजेन्द्र प्रसाद, कुलपति, मगध विश्विद्यालय
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