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पितृपक्ष 2020: तीसरे दिन पिंडदान से पितरों को मिलता है सूर्यलोक में स्थान

गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला इस बार रद्द कर दिया गया है. परंपरा अनुसार, पंडा और पुरोहित यहां पिंडदान कर रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान मृत्यु लोक से पूर्वज पृथ्वी लोक गयाजी में आते हैं. पढ़ें तीसरे दिन का महत्व...

पितृपक्ष 2020
पितृपक्ष 2020
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Published : Sep 4, 2020, 6:02 AM IST

गया: पितृपक्ष के तीसरे दिन गया जी में उत्तर मानस सरोवर में पिंडदान करने का महत्व है. यहां पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है. विष्णुपद से उत्तर दिशा में स्थित सरोवर के मंदिर में उदय होते हुए सूर्य की प्रतिमा है. यहीं पिंडदान किया जाता है.

अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना को लेकर गया जी में पिंडदानी सुबह से ही पिता महेश्वर में सूर्यलोक की प्राप्ति के लिए उत्तर मानस में पिंडदान का कर्मकांड पूरा करते हैं. पिंडदानी सरोवर में अपने पितरों के निमित्त जलान आंजली देकर मुक्ति की कामना करने के बाद उन्हें पिंड तर्पण करते हैं.

ईटीवी भारत विशेष

ऐसे करें तीसरे दिन पिंडदान...

  • पहले पंचतीर्थ में उत्तर मानस तीर्थ की विधि है. हाथ मे कुश लेकर सिर पर जल छींटे.
  • फिर उतर मानस में जाकर आत्म शुद्धि के लिए स्नान करें.
  • उसके बाद तर्पण करके पिंडदान करें.
  • सूर्य को नमस्कार करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है.
    मास्क पहनकर किया जा रहा पिंडदान
    मास्क पहनकर किया जा रहा पिंडदान
  • उतर मानस से मौन होकर दक्षिण मानस में जाएं.
  • दक्षिण मानस में तीन तीर्थ हैं, उनमें स्नान करके अलग-अलग कर्मकांड करके फल्गू नदी के तट पर जो जिह्वालोल तीर्थ है, वहां पिंडदान करने से पितरों को अक्षय शांति मिलती हैं.
  • इसके बाद तीर्थों की श्राद्ध की योग्यता सिद्वि के लिए गदाधर भगवान को पंचामृत से स्नान करावें और वस्त्रालंकार चढ़ावें.

रद्द हुआ पितृपक्ष मेला 2020
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस साल विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का आयोजन रद्द कर दिया गया है. वर्चुअल (ऑनलाइन) पिंडदान करवाया जा रहा है. इसको लेकर स्थानीय पंडा और पुरोहितों ने विरोध भी दर्ज करवाया है. पढ़ें ये खबर...

गयाः लॉकडाउन में ई-पिंडदान पर संशय, पंडा समुदाय कर रहा है विरोध

गया: पितृपक्ष के तीसरे दिन गया जी में उत्तर मानस सरोवर में पिंडदान करने का महत्व है. यहां पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है. विष्णुपद से उत्तर दिशा में स्थित सरोवर के मंदिर में उदय होते हुए सूर्य की प्रतिमा है. यहीं पिंडदान किया जाता है.

अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना को लेकर गया जी में पिंडदानी सुबह से ही पिता महेश्वर में सूर्यलोक की प्राप्ति के लिए उत्तर मानस में पिंडदान का कर्मकांड पूरा करते हैं. पिंडदानी सरोवर में अपने पितरों के निमित्त जलान आंजली देकर मुक्ति की कामना करने के बाद उन्हें पिंड तर्पण करते हैं.

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ऐसे करें तीसरे दिन पिंडदान...

  • पहले पंचतीर्थ में उत्तर मानस तीर्थ की विधि है. हाथ मे कुश लेकर सिर पर जल छींटे.
  • फिर उतर मानस में जाकर आत्म शुद्धि के लिए स्नान करें.
  • उसके बाद तर्पण करके पिंडदान करें.
  • सूर्य को नमस्कार करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है.
    मास्क पहनकर किया जा रहा पिंडदान
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  • उतर मानस से मौन होकर दक्षिण मानस में जाएं.
  • दक्षिण मानस में तीन तीर्थ हैं, उनमें स्नान करके अलग-अलग कर्मकांड करके फल्गू नदी के तट पर जो जिह्वालोल तीर्थ है, वहां पिंडदान करने से पितरों को अक्षय शांति मिलती हैं.
  • इसके बाद तीर्थों की श्राद्ध की योग्यता सिद्वि के लिए गदाधर भगवान को पंचामृत से स्नान करावें और वस्त्रालंकार चढ़ावें.

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