गया: देश आज महान स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण (जेपी) की जयंती पर उन्हें याद कर रहा है. वहीं, जिले में चित्रांश चैरिटेबल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट की ओर से जयप्रकाश नारायण प्रांगण में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया. इस कार्यक्रम में पूर्व विधायक विनोद कुमार यादवेन्दु समेत सैकड़ों युवाओं ने भाग लिया.
शहर में लगे जेपी से जुड़े बोर्ड
इस दौरान चित्रांश चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव रेवती रमन सिन्हा ने लोगों को संबोघित करते हुए कहा कि जेपी संपूर्ण क्रांति के योद्धा थे. उन्होंने जनसेवा में अपना जीवन गुजार दिया. गृहमंत्री जैसे पद को भी उन्होंने ठुकरा दिया था. वर्तमान समय में उनके पदचिन्हों पर चलने कि अवश्यकता है. उन्होंने कहा कि शहर में जेपी की जीवनी से संबंधित कोई भी निशानी नही है. इसलिए जिला प्रशासन जेपी की जीवनी से जुड़े बोर्ड को शहर में लगाए. जिससे शहरवासी महान स्वतंत्रता सेनानी को जान सकें.
'निरंकुश शासन व्यवस्था के खिलाफ लड़े थे संपूर्ण क्रांति के योद्धा'
वहीं, पूर्व विधायक विनोद कुमार यादवेन्दु ने कहा कि जेपी संपूर्ण क्रांति के एक महान योद्धा थे. उन्होंने निरंकुश शासन व्यवस्था के खिलाफ देश में क्रांति की मशाल जलाई थी. उन्होंने छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया था. लेकिन उनका सपना आज भी अधूरा है. आज छात्रों की बात कोई उठाने वाला नहीं है. युवा बेरोजगार है. जब तक समाज के अंतिम पायदान को लोगों का विकास नहीं होगा तब तक जेपी का सपना अधूरा है.
अपनी मिट्टी से जुड़े रहने को जेपी ने किया था प्रेरित
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को जिला के रिविलगंज प्रखंड स्थित सिताब दियारा के लाल टोला में हुआ था. उनके गांव में प्लेग फैलने और नदी में हुए कटाव के कारण बचपन में ही वह उत्तरप्रदेश में जा बसे. उत्तर प्रदेश का वह स्थान आज जयप्रकाश नगर के नाम से जाना जाता है. वह अपने परिवार के सदस्यों, मित्रों और सहयोगियों के प्रति काफी प्रेममयी संबंध रखते थे. उन्होंने अपने परिवार और परिजनों को संस्कार देने के साथ-साथ अपनी मिट्टी से जुड़े रहने को भी प्रेरित किया. आज भी कई लोग उनकी विचारधाराओं का पालन करते हैं.
लोकतंत्र की रक्षा के लिए किए कई आंदोलन
लोकतंत्र की रक्षा के दौरान जेपी को जेल भी जाना पड़ा. जेल से भागकर उन्होंने सशस्त्र क्रांति की शुरूआत की. उन्होंने किसान भूदान, छात्र आंदोलन, समस्या और सर्वोदय आंदोलन सहित कई छोटे-बड़े आंदोलन किए. उन्होंने आजादी की लड़ाई के दौरान एक सच्चे देशभक्त के रूप में मातृभूमि के लिए समर्पण और त्याग जैसे उच्च आदर्शों की वकालत की. उन्होंने जनता को एक स्वतंत्र, शोसन रहित, एक्ताबद्ध और मजबूत भारत के निर्माण के लिए प्रेरित किया. वे खासतौर पर समाज के निचले तबके के लोगों के कल्याण के लिए गहरी संवेदना रखते थे.
'आजाद भारत के गांधी' के नाम से जाने जाते है जेपी
देश आजाद होने के बाद इंदिरा सरकार पर कई घोटाले के आरोप लगे ऐसी स्थिति में जेपी आगे आए और युवाओं को अपने साथ लेकर बेरोजगारी, भूखमरी से परेशान लोगों के जनआवाज बनते हुए सत्ता परिवर्तन के लिए-’संपूर्ण क्रांति’ की बात कही. लेकिन उनका साफ कहना था कि संपूर्ण क्रांति का रास्ता अहिंसक होगा. उनके अहिंसावादी आंदोलन को देखकर कुछ लोगों ने उन्हें 'आजाद भारत के गांधी' की उपाधि दी थी.
उनके जीवन से जुड़ी प्रमुख बातें
- जयप्रकाश नारायण राष्ट्रवादी थे और उन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश शैली के स्कूलों को छोड़ बिहार विद्यापीठ से अपनी उच्चशिक्षा पूरी की.
- जेपी ने समाजशास्त्र से एम. ए. किया था. उन्होंने अमेरिकी विश्वविद्यालय में 8 वर्षों तक अध्ययन किया था
- अमेरिका से वापस आने के बाद उनका संपर्क गांधी जी और जवाहर लाल नेहरु से हुआ.
- अंग्रेजों ने उन्हें सितम्बर 1932 में मद्रास से गिरफ्तार कर नासिक जेल में भेज दिया था.
- 1939 में उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज सरकार के खिलाफ लोक आन्दोलन का नेतृत्व किया.
- 1948 में उन्होंने कांग्रेस के समाजवादी दल का नेतृत्व किया और बाद में गांधीवादी दल के साथ मिलकर समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की.
- वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे. 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अन्तर्गत जेपी सहित 6०० से भी अधिक विरोधी नेताओं को बन्दी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गयी थी.
- 1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया.
- जयप्रकाश नारायण का निधन उनके निवास स्थान पटना में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ था.