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पोस्टर पॉलिटिक्स पर बोले मांझी- जो काम करते हैं वो स्लोगन का डफली नहीं बजाते

एनआरसी के मुद्दे पर जीतन राम मांझी ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये सरकार दलितों और अल्पसंख्यकों को देश से बाहर कर देना चाहती है. हाल ही में असम में 20 लाख लोगों को एनआरसी से बाहर कर दिया गया.

जीतनराम मांझी
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Published : Sep 6, 2019, 8:42 AM IST

पटना: प्रदेश में चुनावी सुगबुगाहट होने लगी है. जदयू और राजद के पोस्टर वार के बाद अब हम सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर हमला बोला. मांझी वनाधिकार कानून, एनआरसी का मुद्दा और नीतीश कुमार के हालिया पोस्टर पर हमलावर दिखे. पूर्व सीएम जिले के गोदावरी सरोवर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे.

गया
जीतनराम मांझी की फाइल फोटो

'सरकार विकास का सब्जबाग दिखा रही है'
बिहार में हो रहे पोस्टर पॉलिटिक्स पर भी तंज कसते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये लोग स्लोगन के भरोसे ही जीते हैं. जो सत्ता में रहते हुए काम करता है, उसे अपने कामों का डफली नहीं बजाना पड़ता है, वो जनता पर विश्वास करता है. ये लोग जनता को जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर मुर्ख बना रहे हैं. विकास का सब्जबाग दिखाकर ये लोग सत्ता में हैं, इसलिए नारा देना पड़ रहा है.

गया
जीतनराम मांझी की फाइल फोटो

'वनवासियों के साथ हो रही है ज्यादती'
जीतनराम मांझी ने कहा कि जो जंगल में रहता है, उसे वनाधिकार कानून के तहत जंगल में रहने के लिए और खेती करने के लिए जमीन मिलती हैं. इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के सोनदाहा में वनवासियों पर विभाग ने जंगल काटने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराया है. मैंने इस संबंध में एक सितंबर को जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा था. मांझी ने कहा कि जिस जमीन पर वनवासी रह रहे हैं, वो जमीन भूदान और परवाना का है, जो उनके पास 1955 से ही है. फिर फॉरेस्ट विभाग ज्यादती क्यों कर रही है. उन्होंने जिलाधिकारी पर काम में कोताही बरतने का आरोप लगाया. मांझी ने सोनदहा गांव के लोगों पर हुए एफआईआर को गलत बताते हुए एफआईआर को वापस लेने और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की.

पत्रकार से बात करते मांझी

'एनआरसी भाजपा की साजिश है'
एनआरसी के मुद्दे पर जीतन राम मांझी ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये सरकार दलितों और अल्पसंख्यकों को देश से बाहर कर देना चाहती है. हाल ही में असम में 20 लाख लोगों को एनआरसी से बाहर कर दिया गया. हद तो तब हो गई जब एनआरसी की लिस्ट में पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के सदस्यों का भी नाम नहीं मिला. उन्होंने कहा कि भाजपा साजिश के तहत देश से दलितों और अल्पसंख्यकों को भगोड़ा साबित करने में लगी है.

पटना: प्रदेश में चुनावी सुगबुगाहट होने लगी है. जदयू और राजद के पोस्टर वार के बाद अब हम सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर हमला बोला. मांझी वनाधिकार कानून, एनआरसी का मुद्दा और नीतीश कुमार के हालिया पोस्टर पर हमलावर दिखे. पूर्व सीएम जिले के गोदावरी सरोवर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे.

गया
जीतनराम मांझी की फाइल फोटो

'सरकार विकास का सब्जबाग दिखा रही है'
बिहार में हो रहे पोस्टर पॉलिटिक्स पर भी तंज कसते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये लोग स्लोगन के भरोसे ही जीते हैं. जो सत्ता में रहते हुए काम करता है, उसे अपने कामों का डफली नहीं बजाना पड़ता है, वो जनता पर विश्वास करता है. ये लोग जनता को जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर मुर्ख बना रहे हैं. विकास का सब्जबाग दिखाकर ये लोग सत्ता में हैं, इसलिए नारा देना पड़ रहा है.

गया
जीतनराम मांझी की फाइल फोटो

'वनवासियों के साथ हो रही है ज्यादती'
जीतनराम मांझी ने कहा कि जो जंगल में रहता है, उसे वनाधिकार कानून के तहत जंगल में रहने के लिए और खेती करने के लिए जमीन मिलती हैं. इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के सोनदाहा में वनवासियों पर विभाग ने जंगल काटने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराया है. मैंने इस संबंध में एक सितंबर को जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा था. मांझी ने कहा कि जिस जमीन पर वनवासी रह रहे हैं, वो जमीन भूदान और परवाना का है, जो उनके पास 1955 से ही है. फिर फॉरेस्ट विभाग ज्यादती क्यों कर रही है. उन्होंने जिलाधिकारी पर काम में कोताही बरतने का आरोप लगाया. मांझी ने सोनदहा गांव के लोगों पर हुए एफआईआर को गलत बताते हुए एफआईआर को वापस लेने और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की.

पत्रकार से बात करते मांझी

'एनआरसी भाजपा की साजिश है'
एनआरसी के मुद्दे पर जीतन राम मांझी ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये सरकार दलितों और अल्पसंख्यकों को देश से बाहर कर देना चाहती है. हाल ही में असम में 20 लाख लोगों को एनआरसी से बाहर कर दिया गया. हद तो तब हो गई जब एनआरसी की लिस्ट में पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के सदस्यों का भी नाम नहीं मिला. उन्होंने कहा कि भाजपा साजिश के तहत देश से दलितों और अल्पसंख्यकों को भगोड़ा साबित करने में लगी है.

Intro:चुनावी साल के आहट में जमीनी मुद्दा उठाया जाने लगा है। हम सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने आज अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में वनवासी के समर्थन में वनाधिकार कानून के उल्लंघन पर जिलाधिकारी को घेरा, एनआरसी मुद्दा पर भाजपा सरकार पर आरोप लगाया, जदयू के नए स्लोगन पर चुटकी लिया।


Body:पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी गया शहर के गोदावरी सरोवर स्थित अपने निजी आवास पर प्रेस कांफ्रेंस किया, प्रेस कांफ्रेंस का मुख्य मुद्दा वनाधिकार कानून का उल्लंघन और एनआरसी लिस्ट का विरोध था।

जीतनराम मांझी ने कहा जो इंसान जंगल मे रहता है वो वनवासी कहलाता है। वनाधिकार कानून के तहत उसे जंगल मे रहने के लिए और खेती करने के लिए जमीन मिलता हैं। इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के सोनदाहा में वनवासी पर फॉरेस्ट विभाग वाले जंगल काटने के नाम पर एफआईआर दर्ज किया और मारपीट किया है। मैं इस संबंध में जिलाधिकारी को एक सितंबर को पत्र लिखकर बताया था वनवासियों पर किस तरह का जुल्म किया जा रहा है। जिस जमीन पर वनवासी है वो जमीन भूदान और परवाना का है। फिर फॉरेस्ट विभाग द्वारा ज्यादती किया जा रहा है। साथ ही गया में वनाधिकार कानून का पुरजोर उलंघन किया जा रहा है। जिलाधिकारी बताए हर तीन माह पर इसके सदस्यों के साथ बैठना मीटिंग करना रहता है। आज तक कितने बार मीटिंग हुआ। मेरा मांग है सोनदहा में जो एफआईआर किया गया वो बिल्कुल गलत है इस एफआईआर को वापस लिया जाए और दोषियों अधिकारियों पर कारवाई किया जाए।

एनआरसी के मुद्दे पर जीतन राम मांझी ने कहा असम में एनआरसी लिस्ट में पूर्व राष्ट्रपति के परिवार को भी नहीं रखा गया है। यह एक सुनियोजित तरीके से भाजपा द्वारा षड्यंत्र रचा जा रहा है। हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक और दलितों को भगोड़ा साबित किया जा रहा है और उनको देश से भगाने का प्रयास किया जा रहा है ।मैं और मेरा पार्टी इस एनआरसी का विरोध करते हैं।
भाजपा के मंत्री विनोद कुमार ने कहा कि बिहार के किशनगंज में कई ऐसे लोग हैं जो बाहर से आए हैं और यहां रह रहे हैं वह सारे आतंकवादी हो सकते हैं। इस तरह का बयान साबित करता है भाजपा किस मानसिकता से एनआरसी लागू कर रही है।

भाजपा के नए स्लोगन पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा इसे पहले भी एक स्लोगन बना था बिहार में बहार हैं नीतीशे कुमार है , इस स्लोगन के बाद बिहार में किसका बहार हैं। अभी का स्लोगन जो दिया गया है ठीक है तो नीतीश कुमार, जब ठीक है फिर क्यों डफली बजा रहे हैं। जो अच्छा रहता है वो डफली बजाता है। ये सब नारा जनता को बरगलाने के लिए लाया गया है। ये नारा जदयू के लोग सिर्फ कह रहे हैं, भाजपा इस नारा के विरोध में है। जैसे तलवार और ढाल रहता है उसी तरह ये दोनों हैं।




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