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जापानी कंपनी बिहार में ऑर्गेनिक तरीके से कर रही है खरबूजा की खेती, युवा भी ले रहे ट्रेनिंग

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Published : Nov 21, 2019, 11:44 AM IST

Updated : Nov 21, 2019, 12:44 PM IST

प्रोग्राम ऑफिसर दीपक कुमार ने बताया कि जनवरी महीने में जापान से 10 किसान गया आ रहे हैं, जो अपने साथ बीज भी लाएंगे. इस बार जापान का बीज और जापान की तकनीक से सफलता शत प्रतिशत मिलेगी.

ऑर्गेनिक तरीके से खरबूजा की खेती

गयाः हमारे देश में आज भी ज्यादातर क्षेत्रों में पारंपरिक तरीके से खेती की जाती है. उसमें यूरिया और केमिकल का प्रयोग किया जाता है. लेकिन बोधगया के बकरौर पंचायत के बतसपुर गांव में जापान की निक्को संस्था जैविक खेती कर रही है. जापान की इस संस्था ने इस गांव में 25 लाख की लागत से पॉली हाउस बनाया है. जहां खरबूजा और टमाटर की खेती होती है.

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ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर पॉली हाउस

ग्रामीण युवाओं को दी जा रही है ट्रेनिंग
जापान, जिसकी तकनीक का दुनिया लोहा मानती है. जापान जितना तकनीक के मामले में आगे है उतना ही उन्नत खेती करने में अव्वल है. जापान देश की निक्को संस्था के सहयोग से बोधगया में पहली बार ऑर्गेनिक खेती से खरबूजे की खेती की जा रही है. ये संस्था बकरौर पंचायत में सिर्फ खेती ही नहीं कर रही बल्कि ग्रामीण युवाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है. कम जगहों में मौसम के विपरीत जैविक खेती कैसे करनी है, ये बताया जा रहा है. बकरौर पंचायत के सैकड़ों युवा किसान सोमवार और मंगलवार को जैविक खेती की ट्रेनिंग लेने आते हैं.

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पॉली हाउस में काम करता मजदूर

पारंपरिक तरीके से हटकर हो रही खेती
पॉली हाउस में काम करने वाले मजदूर प्रशांत ने बताया कि जापान से दो लोग आए हैं, उनके निर्देश के अनुसार ही हम लोग काम करते हैं. हमलोग पारंपरिक तरीके से अलग खेती करते हैं. ये लोग यूरिया और कैमिकल का उपयोग नहीं करते. हमें कीड़े मकौड़ा को मारने के लिए गाय से निकलने वाले गोबर, गौ मूत्र, दूध, मट्ठा, निम के पत्ते का उपयोग करना बताया जाता है. दूध और मठ्ठे से भी कीड़ा मरता है. ये जापानी लोगों ने करके दिखाया है.

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ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किए गए खरबूजे

ये भी पढ़ेंः पटना: कृषि विभाग ने लगाया किसान चौपाल, आधुनिक खेती को लेकर किया गया जागरूक

खरबूजा और चेरी टमाटर की जैविक खेती
प्रोग्राम ऑफिसर दीपक कुमार ने बताया कि यहां दो तरह की फसल लगी है, खरबूजा और चेरी टमाटर. टमाटर का 50 हजार रुपये किलो बीज पूसा दिल्ली से लाया गया है. खरबूजा का बीज ऑनलाइन मंगवाया गया था. इंडियन बीज और जापानी तकनीक से फसल तैयार किया गया है. इसमें हमें 70 प्रतिशत सफलता हासिल हुई है. दीपक ने बताया कि जनवरी माह में जापान से 10 किसान आ रहे हैं और वो अपने साथ बीज ला रहे हैं. इस बार जापान का बीज और जापान की तकनीक रहेगी, तब सफलता शत प्रतिशत मिलेगी.

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दीपक कुमार, प्रोग्राम ऑफिसर

'किसानों को होगा इस खेती का फायदा'
वहीं, प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर मनोरंजन कुमार ने बताया कि खरबूजा और टमाटर की खेती जापान के सहयोग से पूर्णतः जैविक पद्दति से की जा रही है. हमारी और जापानी संस्था का मकसद यही है कि जैविक पद्दति से पौष्टिक फल की उपज हो. इसके लिए खरबूजे के एक पेड़ में एक ही फल लगने दिया जाता है. बाकी फल को नष्ट कर दिया जाता है. ताकि उसके आकार और वजन के साथ- साथ पौष्टिकता बनी रहे. साथ ही इस खेती से आगे चलकर किसानों को बहुत फायदा होने वाला है. हमलोग जापान की मदद से बिहार में पहली बार खरबूजा का खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस फसल में हमलोगों को सफलता मिली है अब आगे हमलोग ब्लैक राइस की खेती करेंगे.

ऑर्गेनिक तरीके से खरबूजा की खेती और जानकारी देते लोग

16 हजार वर्ग फिट में फैला ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर
बता दें कि 16 हजार वर्ग फिट में फैला ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर पॉली हाउस को जापान की संस्था ने बनाया है. इस पॉली हाउस का उद्घाटन कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने किया था. इस दो फसलों को तैयार करने में अब तक एक लाख रुपये का गोबर लग चुका है. यह संस्था ग्रामीण महिलाओं को इससे जोड़ने के लिए शिक्षा दे रही है. साथ ही युवा किसानों को भी इससे जोड़ने के लिए कार्यक्रम और जागरूकता फैला रही है.

गयाः हमारे देश में आज भी ज्यादातर क्षेत्रों में पारंपरिक तरीके से खेती की जाती है. उसमें यूरिया और केमिकल का प्रयोग किया जाता है. लेकिन बोधगया के बकरौर पंचायत के बतसपुर गांव में जापान की निक्को संस्था जैविक खेती कर रही है. जापान की इस संस्था ने इस गांव में 25 लाख की लागत से पॉली हाउस बनाया है. जहां खरबूजा और टमाटर की खेती होती है.

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ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर पॉली हाउस

ग्रामीण युवाओं को दी जा रही है ट्रेनिंग
जापान, जिसकी तकनीक का दुनिया लोहा मानती है. जापान जितना तकनीक के मामले में आगे है उतना ही उन्नत खेती करने में अव्वल है. जापान देश की निक्को संस्था के सहयोग से बोधगया में पहली बार ऑर्गेनिक खेती से खरबूजे की खेती की जा रही है. ये संस्था बकरौर पंचायत में सिर्फ खेती ही नहीं कर रही बल्कि ग्रामीण युवाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है. कम जगहों में मौसम के विपरीत जैविक खेती कैसे करनी है, ये बताया जा रहा है. बकरौर पंचायत के सैकड़ों युवा किसान सोमवार और मंगलवार को जैविक खेती की ट्रेनिंग लेने आते हैं.

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पॉली हाउस में काम करता मजदूर

पारंपरिक तरीके से हटकर हो रही खेती
पॉली हाउस में काम करने वाले मजदूर प्रशांत ने बताया कि जापान से दो लोग आए हैं, उनके निर्देश के अनुसार ही हम लोग काम करते हैं. हमलोग पारंपरिक तरीके से अलग खेती करते हैं. ये लोग यूरिया और कैमिकल का उपयोग नहीं करते. हमें कीड़े मकौड़ा को मारने के लिए गाय से निकलने वाले गोबर, गौ मूत्र, दूध, मट्ठा, निम के पत्ते का उपयोग करना बताया जाता है. दूध और मठ्ठे से भी कीड़ा मरता है. ये जापानी लोगों ने करके दिखाया है.

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ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किए गए खरबूजे

ये भी पढ़ेंः पटना: कृषि विभाग ने लगाया किसान चौपाल, आधुनिक खेती को लेकर किया गया जागरूक

खरबूजा और चेरी टमाटर की जैविक खेती
प्रोग्राम ऑफिसर दीपक कुमार ने बताया कि यहां दो तरह की फसल लगी है, खरबूजा और चेरी टमाटर. टमाटर का 50 हजार रुपये किलो बीज पूसा दिल्ली से लाया गया है. खरबूजा का बीज ऑनलाइन मंगवाया गया था. इंडियन बीज और जापानी तकनीक से फसल तैयार किया गया है. इसमें हमें 70 प्रतिशत सफलता हासिल हुई है. दीपक ने बताया कि जनवरी माह में जापान से 10 किसान आ रहे हैं और वो अपने साथ बीज ला रहे हैं. इस बार जापान का बीज और जापान की तकनीक रहेगी, तब सफलता शत प्रतिशत मिलेगी.

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दीपक कुमार, प्रोग्राम ऑफिसर

'किसानों को होगा इस खेती का फायदा'
वहीं, प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर मनोरंजन कुमार ने बताया कि खरबूजा और टमाटर की खेती जापान के सहयोग से पूर्णतः जैविक पद्दति से की जा रही है. हमारी और जापानी संस्था का मकसद यही है कि जैविक पद्दति से पौष्टिक फल की उपज हो. इसके लिए खरबूजे के एक पेड़ में एक ही फल लगने दिया जाता है. बाकी फल को नष्ट कर दिया जाता है. ताकि उसके आकार और वजन के साथ- साथ पौष्टिकता बनी रहे. साथ ही इस खेती से आगे चलकर किसानों को बहुत फायदा होने वाला है. हमलोग जापान की मदद से बिहार में पहली बार खरबूजा का खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस फसल में हमलोगों को सफलता मिली है अब आगे हमलोग ब्लैक राइस की खेती करेंगे.

ऑर्गेनिक तरीके से खरबूजा की खेती और जानकारी देते लोग

16 हजार वर्ग फिट में फैला ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर
बता दें कि 16 हजार वर्ग फिट में फैला ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर पॉली हाउस को जापान की संस्था ने बनाया है. इस पॉली हाउस का उद्घाटन कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने किया था. इस दो फसलों को तैयार करने में अब तक एक लाख रुपये का गोबर लग चुका है. यह संस्था ग्रामीण महिलाओं को इससे जोड़ने के लिए शिक्षा दे रही है. साथ ही युवा किसानों को भी इससे जोड़ने के लिए कार्यक्रम और जागरूकता फैला रही है.

Intro:हमारे देश में आज भी अधिकांश क्षेत्रो में पारंपरिक तरीके से खेती की जाती है उसमें यूरिया और केमिकल का प्रयोग किया जाता है। लेकिन गया के बोधगया प्रखण्ड के बकरौर पंचायत का बतसपुर गांव में जापान की निकको संस्था जैविक खेती कर रहा है। जापान की संस्था इस गांव में 25 लाख के लागत से पॉली हाउस बनाकर खरबूजा और टमाटर का खेती कर रहा है।


Body:जापान जिसके तकनीक के आगे दुनिया लोहा मानती है जापान जितना तकनीक के मामले में आगे उतना ही उन्नत खेती करने में अव्वल है। जापान देश की निक्को संस्था के सहयोग से बोधगया में पहली बार ऑर्गेनिक खेती पद्दति से खरबूजा का खेती किया जा रहा है। जापान की संस्था बकरौर पंचायत को चयन कर सिर्फ खेती ही नही कर रही है बल्कि ग्रामीण युवाओं को ट्रेनिंग भी दे रही है कम जगहों में , मौसम के विपरीत और जैविक खेती कैसे करनी है। बकरौर पंचायत के सैकड़ों युवा किसान सोम और मंगलवार को खेती लेने आते हैं।

पॉली हाउस में काम करनेवाल मजदूर प्रशांत ने बताया जापान से दो लोग आए हैं उनके निर्देश के अनुसार हमलोग करते हैं। हमलोग जैसे पारंपरिक तरीके से खेती करते हैं उसे अलग खेती करते हैं। ये लोग यूरिया और कैमिकल का उपयोग नही करते हैं। ये लोग कीड़ा मकौड़ा को मारने के लिए गाय से निकलने वाले गोबर, गौ मूत्र, दूध, मट्ठा, निम का पता का उपयोग करते हैं। दूध और मठ्ठा से भी कीड़ा मरता है ये जापानी लोगो ने करके दिखाया है।

दीपक प्रोग्राम ऑफिसर ने बताया यहां दो तरह का फसल लगा है खरबूजा और चेरी टमाटर का, टमाटर का 50 हजार रुपये किलो बीज पूसा दिल्ली से लाया गया और खरबूजा का बीज ऑनलाइन मंगवाया गया था। इंडियन बीज और जापानी तकनीक से फसल तैयार किया गया है इसमें हमे 70 प्रतिशत सफलता हासिल हुआ है। जनवरी माह में जापान से 10 किसान आ रहे है और वो अपने साथ बीज ला रहे हैं इस बार जापान का बीज और जापान की तकनीक रहेगा तब सफलता शत प्रतिशत मिलेगा।

प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर मनोरंजन कुमार ने बताया खरबूजा और टमाटर के खेती जापान के सहयोग से पूर्णतः जैविक पद्दति से खेती की जा रही है। 16 हजार वर्ग फिट में फैला ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर पाली हाउस को जापान के संस्था ने बनाया है। इस पॉली हाउस का उद्घाटन कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने किया था। इस दो फसलों को तैयार करने में अब तक एक लाख रुपये का गोबर लग चुका है। हमारा और जापान कर संस्था की मकसद है जैविक पद्दति से पौष्टिक फल का उपज हो इसके लिए खरबूजा का एक पेड़ में एक ही फल लगने दिया जाता है बाकी फल को नष्ट कर दिया जाता है ताकि उसका आकार व वजन के साथ- साथ पौष्टिकता बना रहे।

मेरे हिसाब कोई भी खरबूजा के खेती ऑर्गेनिक तरीके से नही किया , हमलोग ही जापान के मदद से बिहार में पहली बार खरबूजा का खेती कर रहे हैं । खरबूजा में औषधीय गुण है इसके खेती करने किसानों का आय भी बढ़ेगा।

निक्को संस्था बकरौर पंचायत के छः गांवों को इससे जोड़ा है इसके बाद बकरौर गांव में पॉली हाउस का निर्माण किया जाएगा। छः गांव के किसान को हमलोग बुलाकर उनको बताते हैं कैसे कम पैसों में जैविक खेती कर सकेंगे। गाय का गोबर,दूध,मूत्र से एक फसल तैयार कर सकते हैं इसकी जानकारी जापान की संस्था देती है। इस फसल हमलोग को सफलता मिला है आगे हमलोग ब्लैक राइस का खेती करेगे।

जापान के निक्को संस्था अपने माध्यम से पॉली हाउस का निर्माण किया है उसके साथ ही ग्रामीण महिलाओं को इससे जोड़ने के लिए शिक्षा दे रही है युवा किसानों को जोड़ने के लिए कार्यक्रम और जागरूकता फैला रही है।


Conclusion:
Last Updated : Nov 21, 2019, 12:44 PM IST
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