गया: चमकी बुखार से बुखार से बिहार त्राहिमाम कर रहा है. वहीं, सूबे के अस्पताल खुद आईसीयू में भर्ती हैं. बीते एक दशक से मगध के जिलों में बच्चों की जान लेने वाली बीमारी जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) और एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (AES) का असर है. ये दोनों बीमारी कुपोषित बच्चों को तुरंत अपने चपेट में लेता हैं. गया में एक वर्ष में कुपोषित 366 बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती हुए. इस वर्ष के मार्च से जून तक 68 बच्चे बुखार से पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती हुए. बुखार से पीड़ित बच्चों के आने का सिलसिला जारी है. पुनर्वास केंद्र की प्रभारी बताती हैं कि बारिश होने पर जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) बुखार बच्चों को अधिक लगता है.
जिले में 20 बेड का एकमात्र पोषण पुनर्वास केंद्र
गया में एकमात्र 20 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र मानपुर है. जो बच्चे जन्म से या जन्म के बाद से कुपोषित हैं उनको यहां रखकर इलाज किया जाता है. जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) और एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (AES) कुपोषित बच्चों को अपने चपेट में बहुत जल्दी लेता है. पोषण पुनर्वास केंद्र मानपुर में पिछले तीन महीने से बुखार से पीड़ित अधिक बच्चे भर्ती हो रहे हैं. हालांकि पोषण पुनर्वास केंद्र मानपुर के अधिकारियों का दावा हैं सारे बच्चे ठीक होकर जा रहे हैं.
एक वर्ष में 366 कुपोषित बच्चे हुए भर्ती
हालांकि इतने बड़े जिले में 20 बेड के छोटे अस्पताल और एक वर्ष में 366 कुपोषित बच्चे भर्ती होना सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलता है. वो भी तब सरकार और जिला प्रशासन जिले के हर कुपोषित बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहा है.
जापानी बुखार से हो चुकी है कई बच्चों की मौत
गया में 2002 के बाद जापानी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत हुई है. मौत के बाद नेताओं के दौरे का सिलसिला और घोषणाओं के भाषण हर वर्ष होते रहते हैं लेकिन जमीनी हकीकत पर आज तक कुछ काम नहीं हुआ. गया के मानपुर स्थित पीएससी के परिसर में पोषण पुनर्वास केंद्र में इन महीनों ज्यादातर बच्चे बुखार से पीड़ित आये है. पोषण पुनर्वास केंद्र में गर्मी की इन 3 महीनों में 68 बच्चे एडमिट जिसमें कुछ 39 बच्चों को छुट्टी दे दी गई है. इन तीन महीनों में आने वाले बच्चे ज्यादातर बुखार से पीड़ित है. वही वित्तीय वर्ष में 366 बच्चे भर्ती हुए जिसमें 310 बच्चे ठीक हो कर चले गए.
इलाज से संतुष्ट दिखे मरीज के परिजन
गया जिले के दूरदराज से आए पीड़ित बच्चे की मां ने बताया की मेरे बच्चे को कई दिन से बुखार लग रहा था. मेरे बच्चे का विकास भी नहीं हो पा रहा था. गांव की आशा दीदी और आंगनबाड़ी के द्वारा हम लोगों को जानकारी दी गयी अपने कुपोषण बच्चे के पोषण पुनर्वास केंद्र में दिखाएं इसके बाद यहां आए इलाज चल रहा है. हालांकि अच्छी बात ये है कि यहां इलाज ठीक ढंग से हो रहा है. अब बच्चा ठीक है.
यूनिसेफ द्वारा चलाया जाता है अस्पताल
पोषण पुनर्वास केंद्र की प्रभारी माधुरी प्रसाद ने बताया ये केन्द्र पहले एनजीओ संचालित करती थी. अब बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति और यूनिसेफ द्वारा चलाया जाता है. इस केंद्र मे कुपोषित बच्चे भर्ती होते हैं. आशा दीदी और आंगनबाड़ी दीदी की मदद से बच्चे यहां आते हैं. बच्चों का पूर्ण ख्याल रखा जाता है. साथ ही बच्चे के साथ उसकी मां की भी रहने खाने का व्यवस्था है. इस केंद्र में 1 माह से लेकर 59 माह तक के बच्चों का इलाज होता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से डॉक्टर चेकअप करने आते हैं और 24 घण्टे एएनएम कार्यरत रहती है.