गया: बिहार में 24 सीटों पर होने वाले विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council Election) को लेकर एनडीए में सीट शेयरिंग (Seat Sharing in NDA) का ऐलान हुए कई दिन हो गए हैं. लेकिन एनडीए में शामिल हम और वीआईपी को सीट नहीं मिलने की टीस अब भी दिख रही है. वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी के बाद अब हम अध्यक्ष जीतनराम मांझी (Jitan ram manjhi on mlc elections) ने भी कहा है कि सीट बंटवारे से पहले एनडीए में शामिल सभी नेताओं से बात करनी चाहिए थी.
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बोधगया में मांझी ने कहा कि सीट बंटवारे पर एनडीए में चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. अगर चर्चा होती भी तो हम अपने लिए कोई सीट नहीं मांगते. हम सभी की सहमति पर अपनी सहमति दे देते, लेकिन हम लोगों की अनदेखी की गई, यह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि जब हम राजद के साथ महागठबंधन में थे, तो वहां भी हमसे बिना कोई बात किए लोग खुद निर्णय ले लेते थे. यही वजह है कि हम महागठबंधन से अलग हो गए. अभी एनडीए में भी एमएलसी चुनाव को लेकर हमसे कोई राय नहीं ली गई.
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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनने में आया है कि एमएलसी चुनाव में 40 से 50 हजार रुपये लेकर वोट खरीदे जा रहे हैं. हमारे पास ऐसे कोई उम्मीदवार नहीं हैं, जो इतना पैसा दे. विधायक और सांसद के चुनाव में भी हमलोग कोई पैसा खर्च नहीं करते हैं. हमलोग जनता के प्यार से जीतते हैं. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा गरीबों की पार्टी है, ऐसे में अगर हमें एक सीट मिलती भी तो हम चुनाव नहीं लड़ते. क्योंकि हमारी पार्टी पैसे देकर वोट लेने में सक्षम नहीं है. जो लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं, वे लोग पैसे के माध्यम से वोट बनाने में लगे हुए हैं.
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वहीं आने वाले बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए मांझी ने कहा कि बजट में महंगाई को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए. सभी लोग यही उम्मीद रखते हैं कि बजट में सामानों के दाम ना बढ़े, क्योंकि गरीब, मजदूर और मध्यम वर्ग के लोगों के सामने महंगाई आज सबसे बड़ी समस्या है. इसके अलावा जीएसटी सहित कई तरह के टैक्स से व्यापारी परेशान हैं. इसलिए हम सरकार से यह मांग करते हैं कि बजट में महंगाई पर कंट्रोल करने की दिशा में काम करें.
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मांझी ने कहा कि पूरे देश की बात करें तो बिहार में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है. यह संभव नहीं है कि सभी को रोजगार दिया जा सके, लेकिन बिहार के युवाओं के नियोजन की प्रक्रिया अविलंब पूरी होनी चाहिए. अभी तरह-तरह की बातें आ रही हैं. सरकार नियोजन में क्या कर रही है? पता नहीं? लेकिन हर हाल में युवाओं को नियोजित करना चाहिए, ताकि युवाओं को रोजगार मिले.
हम अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को मजदूरों के प्रति भी ध्यान देना चाहिए. क्योंकि जो संगठित मजदूर हैं वे तो हड़ताल कर अपनी मांग पूरी करा लेते हैं, लेकिन जो असंगठित हैं, उनकी स्थिति दिन पर दिन दयनीय होती जा रही है, ऐसी स्थिति में मजदूरों के लिए भी बजट में ध्यान देना चाहिए.
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