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कोरोना काल में सरकार ने 36 डॉक्टरों समेत 162 कर्मियों को नौकरी से निकाला

गया में आयुष परियोजना केंद्र के डाक्टरों और अन्य कर्मियों की सेवा एक झटके में समाप्त कर दी गई है. चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के बजाय आयुर्वेद संस्थान के 36 डॉक्टरों समेत 162 कर्मियों की नौकरी चली गयी.

ताला लगा
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Published : May 1, 2021, 7:36 AM IST

गया: कोरोना काल में जिले में चिकित्सकों की घोर कमी है. चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के बजाय आयुर्वेद संस्थान के 36 डॉक्टरों समेत 162 कर्मियों की नौकरी ही चली गयी. आयुष परियोजना से जुड़े डॉक्टर-कर्मियों की सेवा एक झटके में समाप्त कर दी गयी. जिले में आज से सेंटर बन्द हो गया.

यह भी पढ़ें- शहरों से दायरा बढ़ाकर गांवों में पहुंचा कोरोना, बिहार में हाहाकार

162 कर्मी हुए बेरोजगार
दरअसल, यह मामला क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान द्वारा गया जिले के 18 जगहों पर चल रहे आयुष परियोजना केंद्र से जुड़ा है. जहां के डाक्टरों और अन्य कर्मियों की सेवा एक झटके में समाप्त कर दी गई है.

सरकार के इस निर्देश से जिले में कार्यरत 162 कर्मी आज से बेरोजगाार हो गए. आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सीसीआरसीएस द्वारा संचालित एनपीसीडीसीएस आयुष परियोजना की शुरुआत एक अप्रैल 2016 से तीन राज्यों- बिहार के गया, राजस्थान के भीलवाड़ा और गुजरात के सुरेंद्र नगर की गयी थी. जिले में यह केंद्र 18 जगहों पर चल रहा था.

बढ़चढ़ कर दी सेवा
आयुष डॉक्टर राहुल सेंगर ने बताया कि स्थापना काल से हम लोगों ने बढ़चढ़ कर अपनी सेवाएं दीं. मरीजों को भी खासा लाभ हुआ. यही नहीं, पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण काल में जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने सभी डॉक्टरों व फार्मासिस्ट से जमकर सेवा ली.

इसके बावजूद अब सरकार ने हमें बेरोजगार कर दिया. उन्होंने बतायाा कि इस आयुष परियोजना केंद्र में कार्यरत अधिकांश कर्मी उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान के हैं. अब सभी बेरोगजगार हो गये हैं.

चिकित्सा प्रभारी क सौंप दी केंद्र की चाबियां
उन्होंने बताया कि हम लोंगों ने सेंटर बंद कर चाबी केंद्र के चिकित्सा प्रभारी को सौंप दी है. आपको बता दें कि गया में यह केंद्र 18 जगहों पर चल रहा था. अब इसका नामोनिशान यहां खत्म हो गया. एक सेंटर पर दो डॉक्टर और फार्मासिस्ट, योगा टीचर आदि काम करते थे.

गया: कोरोना काल में जिले में चिकित्सकों की घोर कमी है. चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के बजाय आयुर्वेद संस्थान के 36 डॉक्टरों समेत 162 कर्मियों की नौकरी ही चली गयी. आयुष परियोजना से जुड़े डॉक्टर-कर्मियों की सेवा एक झटके में समाप्त कर दी गयी. जिले में आज से सेंटर बन्द हो गया.

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162 कर्मी हुए बेरोजगार
दरअसल, यह मामला क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान द्वारा गया जिले के 18 जगहों पर चल रहे आयुष परियोजना केंद्र से जुड़ा है. जहां के डाक्टरों और अन्य कर्मियों की सेवा एक झटके में समाप्त कर दी गई है.

सरकार के इस निर्देश से जिले में कार्यरत 162 कर्मी आज से बेरोजगाार हो गए. आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सीसीआरसीएस द्वारा संचालित एनपीसीडीसीएस आयुष परियोजना की शुरुआत एक अप्रैल 2016 से तीन राज्यों- बिहार के गया, राजस्थान के भीलवाड़ा और गुजरात के सुरेंद्र नगर की गयी थी. जिले में यह केंद्र 18 जगहों पर चल रहा था.

बढ़चढ़ कर दी सेवा
आयुष डॉक्टर राहुल सेंगर ने बताया कि स्थापना काल से हम लोगों ने बढ़चढ़ कर अपनी सेवाएं दीं. मरीजों को भी खासा लाभ हुआ. यही नहीं, पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण काल में जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने सभी डॉक्टरों व फार्मासिस्ट से जमकर सेवा ली.

इसके बावजूद अब सरकार ने हमें बेरोजगार कर दिया. उन्होंने बतायाा कि इस आयुष परियोजना केंद्र में कार्यरत अधिकांश कर्मी उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान के हैं. अब सभी बेरोगजगार हो गये हैं.

चिकित्सा प्रभारी क सौंप दी केंद्र की चाबियां
उन्होंने बताया कि हम लोंगों ने सेंटर बंद कर चाबी केंद्र के चिकित्सा प्रभारी को सौंप दी है. आपको बता दें कि गया में यह केंद्र 18 जगहों पर चल रहा था. अब इसका नामोनिशान यहां खत्म हो गया. एक सेंटर पर दो डॉक्टर और फार्मासिस्ट, योगा टीचर आदि काम करते थे.

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