गया: लोकतंत्र के पर्व में भागीदारी निभाने के लिए जिले की सौ वर्षीय गीता देवी हर बार की तरह इसबार भी अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए उत्साहित हैं. वे अपनी लड़खड़ाती आवाज में लोकतंत्र के पर्व का शंखनाद करती हैं. वे सभी मतदाताओं से मतदान की अपील करती हैं.
गीता देवी जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अतरी प्रखंड की चिरियावां गांव की रहनेवाली हैं. वे 1952 से लेकर अबतक हर चुनाव में भाग लेती आई हैं. उम्र के मुश्किल पड़ाव में भी गीता देवी मतदान करने का तमन्ना रखती हैं.
पहले आम चुनाव में भी किया था मतदान
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर अतरी प्रखंड के पहाड़ों से घिरे चिरियावां गांव में गीता देवी अपने परिवार के साथ रहती हैं. प्रौढ़ावस्था में भी वे लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बना चाहती हैं. गीता कहती हैं कि देश में जब पहला आम चुनाव हुआ था, उस समय उन्होंने मतदान किया था. आज गीता देवी ने अपने जीवन के शतक को पूरा कर चुकी हैं. गीता देवी ने देश को आजाद होते देखा, देश मे लोकतंत्र को जन्मते देखा और उसको बढ़ते भी देख रही हैं.
मतदान का बदलता स्वरुप देखा
गीता देवी की आवाज लड़खड़ाती हैं, वे लाठी के सहारे घर में इधर-उधर घूमती है. गीता देवी बातचीत के क्रम में बताती हैं कि इस गांव में वे नव-नवेली दुल्हन बनकर आयी थी, तब देश भी आजाद हो गया था. आजादी के बाद देश पहला चुनाव हुआ. लोगों में नई व्यवस्था के लिए मतदान करने उत्सुकता थी. उनका कहना है कि उस दौर में ना कोई प्रचार था, ना ही कोई लड़ाई झगड़ा होता था. सब लोग देश के लिए मतदान करते थे. लंबी कतार लगी रहती थी. महिलाएं घूंघट में रहती थी. उस समय मोहर लगाकर वोट देते थे. धीरे-धीरे समय बदलते गया. लोग प्रचार करने आने लगे. शोर गुल भी होने लगा. कुछ समय ऐसा भी हुआ मतदान केंद्र महिला का जाना बंद हो गया.
इसबार वोट डालने को हैं बेहद उत्सुक
गीता कहती हैं कि अगर19 मई तक जिंदा रहूंगी तो इस बार भी मतदान करूंगी. गीता देवी के पौत्र समाजसेवी पंकज सिंह बताते हैं जब घर के भाई बहन को मतदान के बारे समझ आया तो दादी से पूछते थे पहले कैसे वोट पड़ता था. दादी सारी बात बताती थी. हमारा लोकसभा क्षेत्र जहानाबाद पड़ता है, यहां 19 मई को मतदान है. दादी इस बार भी मतदान करेगी. वे बताते हैं कि गीता देवी घर में और अगल-बगल के लोगों से चुनाव को लेकर खूब बातचीत करती हैं.