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आजाद भारत के पहले चुनाव में मतदान कर चुकीं गीता देवी इस बार भी वोटिंग को उत्सुक - लोकसभा चुनाव

गीता देवी जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अतरी प्रखंड की चिरियावां गांव की रहनेवाली हैं. वे 1952 से लेकर अबतक हर चुनाव में भाग लेती आई हैं. उम्र के मुश्किल पड़ाव में भी गीता देवी मतदान करने का तमन्ना रखती हैं.

वोटर कार्ड दिखाती गीता देवी
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Published : Apr 18, 2019, 12:09 PM IST

गया: लोकतंत्र के पर्व में भागीदारी निभाने के लिए जिले की सौ वर्षीय गीता देवी हर बार की तरह इसबार भी अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए उत्साहित हैं. वे अपनी लड़खड़ाती आवाज में लोकतंत्र के पर्व का शंखनाद करती हैं. वे सभी मतदाताओं से मतदान की अपील करती हैं.
गीता देवी जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अतरी प्रखंड की चिरियावां गांव की रहनेवाली हैं. वे 1952 से लेकर अबतक हर चुनाव में भाग लेती आई हैं. उम्र के मुश्किल पड़ाव में भी गीता देवी मतदान करने का तमन्ना रखती हैं.

पहले आम चुनाव में भी किया था मतदान
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर अतरी प्रखंड के पहाड़ों से घिरे चिरियावां गांव में गीता देवी अपने परिवार के साथ रहती हैं. प्रौढ़ावस्था में भी वे लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बना चाहती हैं. गीता कहती हैं कि देश में जब पहला आम चुनाव हुआ था, उस समय उन्होंने मतदान किया था. आज गीता देवी ने अपने जीवन के शतक को पूरा कर चुकी हैं. गीता देवी ने देश को आजाद होते देखा, देश मे लोकतंत्र को जन्मते देखा और उसको बढ़ते भी देख रही हैं.

सौ वर्षीय गीता देवी

मतदान का बदलता स्वरुप देखा
गीता देवी की आवाज लड़खड़ाती हैं, वे लाठी के सहारे घर में इधर-उधर घूमती है. गीता देवी बातचीत के क्रम में बताती हैं कि इस गांव में वे नव-नवेली दुल्हन बनकर आयी थी, तब देश भी आजाद हो गया था. आजादी के बाद देश पहला चुनाव हुआ. लोगों में नई व्यवस्था के लिए मतदान करने उत्सुकता थी. उनका कहना है कि उस दौर में ना कोई प्रचार था, ना ही कोई लड़ाई झगड़ा होता था. सब लोग देश के लिए मतदान करते थे. लंबी कतार लगी रहती थी. महिलाएं घूंघट में रहती थी. उस समय मोहर लगाकर वोट देते थे. धीरे-धीरे समय बदलते गया. लोग प्रचार करने आने लगे. शोर गुल भी होने लगा. कुछ समय ऐसा भी हुआ मतदान केंद्र महिला का जाना बंद हो गया.

इसबार वोट डालने को हैं बेहद उत्सुक
गीता कहती हैं कि अगर19 मई तक जिंदा रहूंगी तो इस बार भी मतदान करूंगी. गीता देवी के पौत्र समाजसेवी पंकज सिंह बताते हैं जब घर के भाई बहन को मतदान के बारे समझ आया तो दादी से पूछते थे पहले कैसे वोट पड़ता था. दादी सारी बात बताती थी. हमारा लोकसभा क्षेत्र जहानाबाद पड़ता है, यहां 19 मई को मतदान है. दादी इस बार भी मतदान करेगी. वे बताते हैं कि गीता देवी घर में और अगल-बगल के लोगों से चुनाव को लेकर खूब बातचीत करती हैं.

गया: लोकतंत्र के पर्व में भागीदारी निभाने के लिए जिले की सौ वर्षीय गीता देवी हर बार की तरह इसबार भी अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए उत्साहित हैं. वे अपनी लड़खड़ाती आवाज में लोकतंत्र के पर्व का शंखनाद करती हैं. वे सभी मतदाताओं से मतदान की अपील करती हैं.
गीता देवी जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अतरी प्रखंड की चिरियावां गांव की रहनेवाली हैं. वे 1952 से लेकर अबतक हर चुनाव में भाग लेती आई हैं. उम्र के मुश्किल पड़ाव में भी गीता देवी मतदान करने का तमन्ना रखती हैं.

पहले आम चुनाव में भी किया था मतदान
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर अतरी प्रखंड के पहाड़ों से घिरे चिरियावां गांव में गीता देवी अपने परिवार के साथ रहती हैं. प्रौढ़ावस्था में भी वे लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बना चाहती हैं. गीता कहती हैं कि देश में जब पहला आम चुनाव हुआ था, उस समय उन्होंने मतदान किया था. आज गीता देवी ने अपने जीवन के शतक को पूरा कर चुकी हैं. गीता देवी ने देश को आजाद होते देखा, देश मे लोकतंत्र को जन्मते देखा और उसको बढ़ते भी देख रही हैं.

सौ वर्षीय गीता देवी

मतदान का बदलता स्वरुप देखा
गीता देवी की आवाज लड़खड़ाती हैं, वे लाठी के सहारे घर में इधर-उधर घूमती है. गीता देवी बातचीत के क्रम में बताती हैं कि इस गांव में वे नव-नवेली दुल्हन बनकर आयी थी, तब देश भी आजाद हो गया था. आजादी के बाद देश पहला चुनाव हुआ. लोगों में नई व्यवस्था के लिए मतदान करने उत्सुकता थी. उनका कहना है कि उस दौर में ना कोई प्रचार था, ना ही कोई लड़ाई झगड़ा होता था. सब लोग देश के लिए मतदान करते थे. लंबी कतार लगी रहती थी. महिलाएं घूंघट में रहती थी. उस समय मोहर लगाकर वोट देते थे. धीरे-धीरे समय बदलते गया. लोग प्रचार करने आने लगे. शोर गुल भी होने लगा. कुछ समय ऐसा भी हुआ मतदान केंद्र महिला का जाना बंद हो गया.

इसबार वोट डालने को हैं बेहद उत्सुक
गीता कहती हैं कि अगर19 मई तक जिंदा रहूंगी तो इस बार भी मतदान करूंगी. गीता देवी के पौत्र समाजसेवी पंकज सिंह बताते हैं जब घर के भाई बहन को मतदान के बारे समझ आया तो दादी से पूछते थे पहले कैसे वोट पड़ता था. दादी सारी बात बताती थी. हमारा लोकसभा क्षेत्र जहानाबाद पड़ता है, यहां 19 मई को मतदान है. दादी इस बार भी मतदान करेगी. वे बताते हैं कि गीता देवी घर में और अगल-बगल के लोगों से चुनाव को लेकर खूब बातचीत करती हैं.

Intro:गया के 100 वर्षीय गीता देवी की लड़खड़ाती आवाज लोकतंत्र के पर्व का शंखनाद करता है।जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के अतरी प्रखंड की चिरियावां गाँव के रहनेवाली गीता देवी 1952 से लेकर हर चुनाव में भाग लेती है। 100 बसंत देख चुकी गीता देवी उम्र के अंतिम पड़ाव में भी इस बार मतदान करने का तमन्ना रखती है। गीता देवी कहती है वोट सबको देना चाहिए, पहले से बहुत सुधार हुआ है।


Body:जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर अतरी प्रखंड के पहाड़ो से घिरा चिरियावां गांव में 100 वर्षीय गीता देवी है। गीता देवी उम्र के अंतिम पड़ाव पर है। इस पड़ाव पर भी आकर लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बना चाहती है। देश मे जब पहला आम चुनाव हुआ था उस वक़्त गीता देवी ने मतदान किया था। गीता देवी ने अपने जीवन का शतक को पूरा कर ली है पर इस शतकीय जीवन काल मे गीता देवी देश को आजाद होते देखी, देश मे लोकतंत्र को जन्म होते और उसको बढ़ते देखी है। पहाड़ो से घिरा गांव और खुद चाहरदीवारी में रहकर भी लोकतंत्र के हर पर्व में हिस्सा ली है।

गीता देवी का उम्र हो गया है, उनकी आवाज लड़खड़ाती हैं, लाठी के सहारे घर के इधर उधर घूमती है। गीता देवी बातचीत के क्रम में बताती है इस गांव में नव नवेली दुल्हन बनकर आयी थी, तब देश भी आजाद हो गया था। देश के आजादी के बाद देश पहला चुनाव हुआ। लोगो के बीच नया व्यवस्था था लोग काफी उत्सुकता से मतदान करने गए थे। ना कोई प्रचार ना ही कोई लड़ाई झगड़ा होता था। सब लोग देश के लिए मतदान करते थे।लंबी कतार लगी रहती थी महिलाएं घूंघट में रहती थी। उस वक़्त मोहर लगाकर वोट देते थे। धीरे धीरे समय बदलते गया लोग प्रचार भी करने आने लगे। शोर गुल भी होने लगा। कुछ समय ऐसा भी हुआ मतदान केंद्र महिला का जाना बंद हो गया। हमलोग जाते थे , पहले महिला ज्यादा जाती थी बीच मे कुछ कुछ घटना होने और लड़ाई झगड़ा से इसमें कमी आया था । अब भी उतनी महिला कतार में नही लगी रहती है। पहले ठप्पा लगाते थे अब बटन दबाकर मतदान करते हैं।19 मई तक जिंदा रहूंगी तो इस बार भी मतदान करूंगी। अपनी लड़खड़ाती आवाज में गीता देवी कहती है सबको वोट देना चाहिए।

गीता देवी के पौत्र समाजसेवी पंकज सिंह बताते हैं जब घर के भाई बहन को मतदान के बारे समझ आया तो दादी से पूछते थे पहले कैसे वोट पड़ता था। दादी सारी बात बताती थी। देश के आजाद होते दादी देखी है। हमारा लोकसभा क्षेत्र जहानाबाद पड़ता है, यहां 19 मई को मतदान है दादी इस बार भी मतदान करेगी। उम्र के इस पड़ाव पर आने पर भी दादी मतदान के लिए खुद उत्सुक उत्सुक रहती है। घर में और अगल-बगल के लोगों से चुनाव को लेकर खूब बातचीत करती है।






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