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27 साल बाद कोर्ट का फैसला, विष्णुपद मंदिर अन्य मंदिरों की तरह सार्वजनिक स्थल

गया शहर के विष्णुपद मोहल्ला स्थित ऐतिहासिक विष्णुपद मंदिर गयापाल पंडा समाज की निजी संपत्ति नहीं है. यह फैसला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 27 साल पुराने मामले की सुनवाई के दौरान दिया है.

gaya civil court news
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Published : Dec 15, 2020, 1:53 PM IST

गया: सिविल कोर्ट ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में सुनाया फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि विष्णुपद मंदिर अन्य मंदिरों की तरह सार्वजनिक स्थल है. यह फैसला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 27 साल पुराने मामले की सुनवाई के दौरान दिया है.

विष्णुपद मंदिर अन्य मंदिरों की तरह सार्वजनिक स्थल
इस मामले को लेकर वर्ष 1993 में अपील दायर की गई थी. जिसमें बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड को जीत मिली है. केस की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश वन वीरेन्द्र कुमार मिश्रा की अदालत ने विष्णुपद मंदिर को सार्वजनिक स्थल मानते हुए बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में फैसला दिया है. वर्ष 1992 में गयापाल पंडा समाज को मिले एकतफा फैसले के खिलाफ धार्मिक न्यास बोर्ड के राजन प्रसाद ने 1993 में अपील की थी. पिछले कई साल से इस मामले में सुनवाई चल रही थी. पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इस मामले में फिर सुनवाई चल रही थी.

बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में फैसला
हालांकि इस मामले में 30 नवंबर को ही बहस पूरी हो गई थी. जिसमें गयापाल पंडा समाज और धार्मिक न्यास बोर्ड की तरफ से अपनी अपनी दलीलें रखी गई थीं. बहस पूरी होने के बाद 14 दिसंबर को फैसले का दिन निर्धारित किया गया था. कोर्ट ने धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में फैसला दिया है. इस फैसले के अनुसार विष्णुपद मंदिर अन्य मंदिरों की तरह ही सार्वजनिक स्थल है. यहां पहले की तरह ही गयापाल पंडा समाज के सहयोग से पूजा-पाठ, पिंडदान और श्राद्ध कर्मकांड संपन्न होते रहेंगे. इस फैसले के बाद धार्मिक न्यास बोर्ड नई प्रबंधकारिणी कमेटी का गठन कर सकता है.

हालांकि कोर्ट के फैसले पर गयापाल पंडा समाज के अधिवक्ता राकेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह फैसला तथ्यों और धार्मिक ग्रंथों की मान्यता के खिलाफ है. इसलिए वे लोग इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

गया: सिविल कोर्ट ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में सुनाया फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि विष्णुपद मंदिर अन्य मंदिरों की तरह सार्वजनिक स्थल है. यह फैसला अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने 27 साल पुराने मामले की सुनवाई के दौरान दिया है.

विष्णुपद मंदिर अन्य मंदिरों की तरह सार्वजनिक स्थल
इस मामले को लेकर वर्ष 1993 में अपील दायर की गई थी. जिसमें बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड को जीत मिली है. केस की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश वन वीरेन्द्र कुमार मिश्रा की अदालत ने विष्णुपद मंदिर को सार्वजनिक स्थल मानते हुए बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में फैसला दिया है. वर्ष 1992 में गयापाल पंडा समाज को मिले एकतफा फैसले के खिलाफ धार्मिक न्यास बोर्ड के राजन प्रसाद ने 1993 में अपील की थी. पिछले कई साल से इस मामले में सुनवाई चल रही थी. पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इस मामले में फिर सुनवाई चल रही थी.

बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में फैसला
हालांकि इस मामले में 30 नवंबर को ही बहस पूरी हो गई थी. जिसमें गयापाल पंडा समाज और धार्मिक न्यास बोर्ड की तरफ से अपनी अपनी दलीलें रखी गई थीं. बहस पूरी होने के बाद 14 दिसंबर को फैसले का दिन निर्धारित किया गया था. कोर्ट ने धार्मिक न्यास बोर्ड के पक्ष में फैसला दिया है. इस फैसले के अनुसार विष्णुपद मंदिर अन्य मंदिरों की तरह ही सार्वजनिक स्थल है. यहां पहले की तरह ही गयापाल पंडा समाज के सहयोग से पूजा-पाठ, पिंडदान और श्राद्ध कर्मकांड संपन्न होते रहेंगे. इस फैसले के बाद धार्मिक न्यास बोर्ड नई प्रबंधकारिणी कमेटी का गठन कर सकता है.

हालांकि कोर्ट के फैसले पर गयापाल पंडा समाज के अधिवक्ता राकेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह फैसला तथ्यों और धार्मिक ग्रंथों की मान्यता के खिलाफ है. इसलिए वे लोग इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

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