गया: रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद जिस तरह भारत सरकार ने कदम उठाए थे. उससे पूरे विश्व में भारत प्रशंसा का पात्र बन गया था. ऑपरेशन गंगा चलाकर केंद्र सरकार ने 22,000 से अधिक भारतीय छात्रों को देश वापसी (Indian Students Return To Country) कराई थी. तब इन सभी छात्रों की जान रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच खतरे में थी. लेकिन जिस तरह से केंद्र सरकार ने ऑपरेशन गंगा चलाकर छात्रों की जिंदगी बचाते हुए स्वदेश वापसी करवाई, उस तरह से इन छात्रों के करियर को बचाने (Future of Students Returned From Ukraine Is Bad) के लिए ठोस कदम नहीं उठाया गया.
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यूक्रेन से वापस लौटे छात्रों का भविष्य अंधकारमय : गया के बोधगया के राजापुर की रहने वाली स्वाति राज बताती हैं कि रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद 4 मार्च को वापस वो और उनका भाई शुभम स्वदेश को लौटे थे. अब अक्टूबर हो गया है, लेकिन जैसे आए थे, वैसे ही हैं. कुछ बदला नहीं है. सरकार नोटिस दे रही थी कि ऐसे छात्रों के लिए कुुछ किया जाएगा. लेकिन कुछ नहीं किया गया. मैं थर्ड ईयर में जाने वाली हूं. किंतु भारत सरकार डिसीजन नहीं ले पा रही है. सिर्फ तारीख पर तारीख बढ़ाई जा रही है. आखिर कब तक ऑनलाइन पढ़ाई करेंगे.
मिसाइल अटैक से ऑनलाइन पढ़ाई भी बाधित : स्वाति राज और उनके भाई शुभम कुमार बताते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई तकरीबन प्रतिदिन मिसाइल अटैक या बम ब्लास्ट के बाद रुक जाती है. स्वाती अपने भाई शुभम के साथ ही यूक्रेन में रहकर पढ़ाई करती थी. शुभम दूसरे वर्ष का छात्र था. वहीं वो तीसरे वर्ष की मेडिकल की छात्रा है. स्वाति कहती हैं कि अब जो करना है, खुद ही करना है. फिर से वीजा बनाना एडमिशन लेना जो भी चार्ज लगेंगे, हमें करना होगा. फर्स्ट टाइम फिर से एडमिशन लेना पड़ेगा.
'टालमटोल नहीं सॉल्यूशन चाहिए' : स्वाती बताती हैं कि सॉल्यूशन चाहिए, टालमटोल नहीं. टाइम बीत रहा है, मेडिकल में सेमेस्टर बैक का मतलब पीछे हो जाना होता है. ऑनलाइन पढ़ाई होती ही नहीं है. जब पढ़ाई शुरू होती है तो ब्लास्ट की आवाज आती है. टीचर कहते हैं, ब्लास्ट होना शुरू हो गया है तो ऐसे में क्या पढ़ाई होगी?. मेरे मां-पिता ने सपने देखे थे, यह सपने टूट रहे हैं. सरकार से सीधी गुजारिश है कि समय ना बढ़ाएं, टालमटोल ना करें, और कहे कि किस कंट्री में जाना है. ऐसा ना हो कि फिर किसी देश में जाएं तो भागम-भाग की स्थिति हो और फिर से इस स्थिति में पहुंच जाएं.
'यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान वापस लौटे थे. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. सरकार ने मना कर दिया है कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. सिचुएशन खराब है, यूक्रेन में और वह फोर्थ ईयर के छात्र हैं. ऐसे में उसका करियर बर्बाद होता जा रहा है. ऑनलाइन पढ़ाई, मिसाइल अटैक के कारण बाधित होती है. सरकार से अपील है कि हम जैसे छात्रों के लिए सरकार लचीला रुख करे ताकि हमारी जिंदगी और भविष्य संवर सके.' - उत्कर्ष राज, यूक्रेन से लौटे छात्र
'मेरे पुत्र और पुत्री यूक्रेन में जाकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. इस बीच युद्ध हुआ तो वह घर वापस आ गए हैं. अब घर में ही बैठे हैं. मेरे दोनों बच्चों के सपनों को पंख नहीं लग रहे हैं. इससे परिवार में निराशा है. सरकार से गुजारिश है कि कोई कदम उठाए, जिससे हम जैसे परिवार के लोग अपने बच्चों का भविष्य संवारने में सफल हो सकें.' - मनोज कुमार, यूक्रेन से लौटी स्वाति के पिता