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टिड्डियों का दल राजस्थान से पहुंचा UP, गया सहित बिहार के चार जिलों को किया गया अलर्ट

कृषि निदेषक ने जिला कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे टिड्डियों के संभावित प्रकोप से बचने के लिये राज्य स्तर से निर्गत एडवाइजरी और नियंत्रण के निर्देशों का अनुपालन कराना सुनिश्चित करें.

विडियो कान्फ्रेन्सिंग
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Published : May 30, 2020, 1:32 PM IST

गया: राजस्थान में इन दिनों टिड्डी दल का कहर बना हुआ है. ये फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं. बताया जा रहा है कि अब टिड्डियों का दल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर पहुंच गया है. जिसको लेकर मगध प्रमण्डल के संयुक्त निदेशक आभांषु सी. जैन ने बिहार के जिला कृषि पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग की. इसके माध्यम से इन जिलों में टिड्डियों के संभावित प्रकोप से बचने के लिए की गई तैयारियों की जानकारी ली. उन्होंने बताया कि टिड्डियों का एक दल मिर्जापुर जिले में देखा गया है. जिसको लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है.

टिड्डियों के संभावित प्रकोप से बचने के उपाय
कृषि निदेषक ने जिला कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे टिड्डियों के संभावित प्रकोप से बचने के लिये राज्य स्तर से निर्गत एडवाइजरी और नियंत्रण के निर्देशों का अनुपालन कराना सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि सभी प्रखण्ड कृषि अधिकारी, कृषि समन्वयक, प्रखण्ड तकनीकी प्रबंधक, सहायक तकनीकी प्रबंधक और किसान सलाहकार अपने पदस्थापित प्रखण्डों और पंचायतों में 9 बजे दोपहर से शाम 7 बजे तक रहना सुनिश्चित करें. वे हर दिन शाम 6 से 7 बजे तक भ्रमण करके टिड्डियों की गतिविधियों पर नजर रखें.

साथ ही किसी भी प्रकार के खतरे से ससमय जिला और राज्य मुख्यालय को अवगत करायें. प्रगतिशील किसानों को टिड्डियों के खतरे से अवगत कराया जए. उन्हें भी टिड्डियों के दिखाई देने पर व्हाट्सऐप और अन्य माध्यमों से सूचना देने के लिये तत्पर किया जाय.

कीटनाशक स्प्रे करने की दी सलाह
कृषि निदेशक ने जिला कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जिला में उपलब्ध फायर ब्रिगेड के बडे़ और छोटे वाहनों से हर प्रखण्ड में कीटनाशक स्प्रे करें. साथ ही वाहनों को आवश्यकतानुसार पावर स्प्रेयर चिन्हित कर लें. जिले में टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिये छिड़काव किये जाने वाले रसायनों की आवश्यक्ता का आंकलन कर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करा लें. स्प्रे कराने के लिये स्किल्ड और अनस्किल्ड व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें एलर्ट मोड में रखा जाय.

बैठक में उपस्थित पौधा संरक्षण वैज्ञानिक डा. प्रमोद ने बताया कि टिड्डी के जीवन काल में तीन अवस्थाएं अण्डा, शिशु टिड्डी और व्यस्क टिड्डी की अवस्था होती है. मादा टिड्डियां एक बार में 100 से 200 अंडे तक देती है. तापमान के अनुसार 10 से 12 दिनों में अण्डों से नवजात निकलते हैं. जिनका रंग सफेद होता है ये सतह पर चलते हैं. जल्द ही अपना रंग बदल कर काले रंग के हो जाते हैं.

झुण्ड के रूप में उड़ते हैं टिड्डियां
टिड्डियों के दल दिन के समय सूरज की चमकीली रोशनी में तेज उड़ाका झुण्डों के रूप में उड़ते रहते हैं. शाम के समय झाड़ियों और पेड़ों पर आराम करने के लिये नीचे उतर आते हैं और अगली सुबह उड़ान भरने से पहले रात वहीं गुजारते हैं. टिड्डियों को उनके मार्ग से भटकाकर या रसायनिक दवाओं का छिड़काव करके नियंत्रित किया जा सकता है. दिन के समय टिड्डियों के दिखाई पड़ने पर एक साथ इकट्ठा होकर ढ़ोल, नगाड़ों, टीन के डिब्बों, थालियों आदि को बजाते हुए शोर मचाने से टिड्डियां अपना रास्ता बदल देती हैं. रसायनिक छिड़काव के लिए रात 11 बजे से सुबह सूर्योदय तक समय अच्छा होता है.

कीटनाशक दवाओं का छिड़काव
डॉ. प्रमोद ने बताया कि चार तरह के कीट नाशियों लैम्बडासायहेलोथ्रीन 5 ईसी की एक मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में, क्लोरोपायरीफाॅस 20 ईसी की 2.5 से 3 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में या फिपरोनिल 5 ईसी की एक मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में या डेल्टामेंथ्रीन 2.8 ईसी की 1 से 1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी. बैठक में उप निदेषक, पौधा संरक्षण मुकेश कुमार, जिला कृषि अधिकारी, गया अशोक कुमार सिन्हा, उप परियोजना निदेषक, आत्मा, गया नीरज कुमार वर्मा, सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण अभिषेक सिंह मौजूद रहे.

गया: राजस्थान में इन दिनों टिड्डी दल का कहर बना हुआ है. ये फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं. बताया जा रहा है कि अब टिड्डियों का दल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर पहुंच गया है. जिसको लेकर मगध प्रमण्डल के संयुक्त निदेशक आभांषु सी. जैन ने बिहार के जिला कृषि पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग की. इसके माध्यम से इन जिलों में टिड्डियों के संभावित प्रकोप से बचने के लिए की गई तैयारियों की जानकारी ली. उन्होंने बताया कि टिड्डियों का एक दल मिर्जापुर जिले में देखा गया है. जिसको लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है.

टिड्डियों के संभावित प्रकोप से बचने के उपाय
कृषि निदेषक ने जिला कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे टिड्डियों के संभावित प्रकोप से बचने के लिये राज्य स्तर से निर्गत एडवाइजरी और नियंत्रण के निर्देशों का अनुपालन कराना सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि सभी प्रखण्ड कृषि अधिकारी, कृषि समन्वयक, प्रखण्ड तकनीकी प्रबंधक, सहायक तकनीकी प्रबंधक और किसान सलाहकार अपने पदस्थापित प्रखण्डों और पंचायतों में 9 बजे दोपहर से शाम 7 बजे तक रहना सुनिश्चित करें. वे हर दिन शाम 6 से 7 बजे तक भ्रमण करके टिड्डियों की गतिविधियों पर नजर रखें.

साथ ही किसी भी प्रकार के खतरे से ससमय जिला और राज्य मुख्यालय को अवगत करायें. प्रगतिशील किसानों को टिड्डियों के खतरे से अवगत कराया जए. उन्हें भी टिड्डियों के दिखाई देने पर व्हाट्सऐप और अन्य माध्यमों से सूचना देने के लिये तत्पर किया जाय.

कीटनाशक स्प्रे करने की दी सलाह
कृषि निदेशक ने जिला कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जिला में उपलब्ध फायर ब्रिगेड के बडे़ और छोटे वाहनों से हर प्रखण्ड में कीटनाशक स्प्रे करें. साथ ही वाहनों को आवश्यकतानुसार पावर स्प्रेयर चिन्हित कर लें. जिले में टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिये छिड़काव किये जाने वाले रसायनों की आवश्यक्ता का आंकलन कर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करा लें. स्प्रे कराने के लिये स्किल्ड और अनस्किल्ड व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें एलर्ट मोड में रखा जाय.

बैठक में उपस्थित पौधा संरक्षण वैज्ञानिक डा. प्रमोद ने बताया कि टिड्डी के जीवन काल में तीन अवस्थाएं अण्डा, शिशु टिड्डी और व्यस्क टिड्डी की अवस्था होती है. मादा टिड्डियां एक बार में 100 से 200 अंडे तक देती है. तापमान के अनुसार 10 से 12 दिनों में अण्डों से नवजात निकलते हैं. जिनका रंग सफेद होता है ये सतह पर चलते हैं. जल्द ही अपना रंग बदल कर काले रंग के हो जाते हैं.

झुण्ड के रूप में उड़ते हैं टिड्डियां
टिड्डियों के दल दिन के समय सूरज की चमकीली रोशनी में तेज उड़ाका झुण्डों के रूप में उड़ते रहते हैं. शाम के समय झाड़ियों और पेड़ों पर आराम करने के लिये नीचे उतर आते हैं और अगली सुबह उड़ान भरने से पहले रात वहीं गुजारते हैं. टिड्डियों को उनके मार्ग से भटकाकर या रसायनिक दवाओं का छिड़काव करके नियंत्रित किया जा सकता है. दिन के समय टिड्डियों के दिखाई पड़ने पर एक साथ इकट्ठा होकर ढ़ोल, नगाड़ों, टीन के डिब्बों, थालियों आदि को बजाते हुए शोर मचाने से टिड्डियां अपना रास्ता बदल देती हैं. रसायनिक छिड़काव के लिए रात 11 बजे से सुबह सूर्योदय तक समय अच्छा होता है.

कीटनाशक दवाओं का छिड़काव
डॉ. प्रमोद ने बताया कि चार तरह के कीट नाशियों लैम्बडासायहेलोथ्रीन 5 ईसी की एक मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में, क्लोरोपायरीफाॅस 20 ईसी की 2.5 से 3 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में या फिपरोनिल 5 ईसी की एक मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में या डेल्टामेंथ्रीन 2.8 ईसी की 1 से 1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी. बैठक में उप निदेषक, पौधा संरक्षण मुकेश कुमार, जिला कृषि अधिकारी, गया अशोक कुमार सिन्हा, उप परियोजना निदेषक, आत्मा, गया नीरज कुमार वर्मा, सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण अभिषेक सिंह मौजूद रहे.

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