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नहाय-खाय से हुई 4 दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत, बाजारों में दिखी रौनक

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Published : Oct 31, 2019, 8:20 PM IST

हिंदुओं में छठ पर्व काफी पवित्र माना जाता है. पूरे तन-मन और पवित्रता के साथ छठ के प्रसाद को बनाया जाता है. मान्यता है कि भगवान सूर्य आरोग्य के देवता हैं. जिनकी आराधना करने से रोगों से मुक्ति मिलती है.

नहाय-खाय से हुई 4 दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत

गया: लोक आस्था का 4 दिवसीय महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय के साथ गुरुवार से शुरू हो गया है. नहाय-खाय के विधि को करते हुए व्रतधारियों ने जिले के गंगा नदी में स्नान किया. वहीं महेश्वर घाट, सीढ़िया घाट, केंदुई घाट, झारखंडे घाट सहित अन्य छठ घाटों, बाजारों और घरों में पर्व से जुड़े गीत बजने से माहौल भक्तिमय हो गया है.

chhath mahaparva
गंगा में नहाने गई छठ व्रती

लोक अस्था का पर्व है छठ
छठ पूजा पूरे उतर भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दौरान व्रतधारियों को कई कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है. जिले में भी गुरुवार से 4 दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हो गई. वहीं इस महापर्व को लेकर घाटों पर एक ओर साफ-सफाई की जा रही है. तो दूसरी ओर बाजारों में पूजन सामग्री की दुकानें सजने लगी हैं. नहाय-खाय के दिन व्रतधारी फल्गु नदी में स्नान करते दिख रहे हैं.

नहाय-खाय से होती है छठ की शुरुआत
छठ व्रतधारी ने बताया कि इस पर्व में हमलोग नहाकर प्रसाद बनाएंगे. इसके बाद अगले दिन खरना का प्रसाद बनेगा. उन्होंने कहा कि फिर 2 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. उसके अगले दिन उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पवित्र छठ पर्व की समाप्ति होगी.

नहाय-खाय से हो गई छठ पर्व की शुरुआत

संतानों के सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है छठ
बता दें कि हिंदुओं में यह पर्व काफी पवित्र माना जाता है. पूरे तन-मन और पवित्रता के साथ छठ के प्रसाद को बनाया जाता है. छठ पर्व को लेकर मान्यता है कि भगवान सूर्य आरोग्य के देवता हैं. इनकी आराधना से बुद्धि, विवेक, संतान और धन की प्राप्ति होती है. वहीं इस पूजा को करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है.

गया: लोक आस्था का 4 दिवसीय महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय के साथ गुरुवार से शुरू हो गया है. नहाय-खाय के विधि को करते हुए व्रतधारियों ने जिले के गंगा नदी में स्नान किया. वहीं महेश्वर घाट, सीढ़िया घाट, केंदुई घाट, झारखंडे घाट सहित अन्य छठ घाटों, बाजारों और घरों में पर्व से जुड़े गीत बजने से माहौल भक्तिमय हो गया है.

chhath mahaparva
गंगा में नहाने गई छठ व्रती

लोक अस्था का पर्व है छठ
छठ पूजा पूरे उतर भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दौरान व्रतधारियों को कई कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है. जिले में भी गुरुवार से 4 दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से हो गई. वहीं इस महापर्व को लेकर घाटों पर एक ओर साफ-सफाई की जा रही है. तो दूसरी ओर बाजारों में पूजन सामग्री की दुकानें सजने लगी हैं. नहाय-खाय के दिन व्रतधारी फल्गु नदी में स्नान करते दिख रहे हैं.

नहाय-खाय से होती है छठ की शुरुआत
छठ व्रतधारी ने बताया कि इस पर्व में हमलोग नहाकर प्रसाद बनाएंगे. इसके बाद अगले दिन खरना का प्रसाद बनेगा. उन्होंने कहा कि फिर 2 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. उसके अगले दिन उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पवित्र छठ पर्व की समाप्ति होगी.

नहाय-खाय से हो गई छठ पर्व की शुरुआत

संतानों के सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है छठ
बता दें कि हिंदुओं में यह पर्व काफी पवित्र माना जाता है. पूरे तन-मन और पवित्रता के साथ छठ के प्रसाद को बनाया जाता है. छठ पर्व को लेकर मान्यता है कि भगवान सूर्य आरोग्य के देवता हैं. इनकी आराधना से बुद्धि, विवेक, संतान और धन की प्राप्ति होती है. वहीं इस पूजा को करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है.

Intro:लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ नहाय खाय के साथ आज से हुआ शुरू,
छठ व्रतियों ने फल्गु नदी में किया।


Body:गया: लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय के साथ आज से शुरू हो गया है। शहर के पिता महेश्वर घाट, सीढ़िया घाट, केंदुई घाट, झारखंडे घाट सहित अन्य छठ घाटों, बाजारों, घरों में पर्व से जुड़े गीत बजने से माहौल भक्तिमय हो गया है। घाटों पर एक ओर साफ-सफाई हो रही है।तो वहीं दूसरी और बाजारों में पूजन सामग्री की दुकानें सजने लगी है।
छठव्रतियों ने बताया कि आज से नहाए-खाए के साथ चार दिवसीय पर्व का शुभारंभ हुआ है। शहर के फल्गु नदी में स्नान करने के बाद हमलोग नहाए-खाए का प्रसाद बनाएंगे। इसके बाद अगले दिन खरना का प्रसाद बनेगा। फिर 2 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। उसके अगले दिन उदयीमान सूर्य को अर्घ देने के बाद पवित्र छठ पर्व की समाप्ति होगी ल। यह पर्व काफी पवित्र माना जाता है। पूरे तन-मन और पवित्रता के साथ छठ के प्रसाद को बनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान सूर्य आरोग्य के देवता हैं। इनकी आराधना से बुद्धि, विवेक और धन के अलावा सभी रोगों से मुक्ति मिलती है। संतान की प्राप्ति होती है। छठ पर्व के दौरान पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। महापर्व के प्रसाद को पकाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग करते हैं। कुछ लोग नई ईंट के अस्थाई चूल्हा से प्रसाद बनाते हैं। वहीं जलावन के रूप में आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।

बाइट-सीमा देवी, छठव्रती।
बाइट- मुन्नी देवी, छठव्रती।

रिपोर्ट- प्रदीप कुमार सिंह
गया




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