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जज्बे को सलाम: मत्स्य पालन कर एक बेटी को बनाया इंजीनियर तो दूसरी को बनाया फैशन डिजाइनर

चाकन्द की रहने वाली एक महिला अनिता सिन्हा ने मत्स्य पालन कर समाज के सामने एक मिसाल कायम कर दी है. अनिता इस मत्स्य पालन से अपनी एक बेटी को इंजीनियर और दूसरी बेटी को फैशन डिजाइनर बनाकर आत्मनिर्भर बना दी है.

मत्स्य पालन
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Published : Mar 8, 2021, 11:12 AM IST

गया: महिलाओं की अनेक काम करते हुए देखा गया है. लेकिन महिलाओं को मत्स्य पालन करते बहुत कम या ना के बराबर देखा गया है. चाकन्द की रहने वाली एक महिला पिछले एक दशक से मत्स्य पालन कर रही है. इसी मत्स्य पालन से उन्होंने अपनी दोनो बेटियों को स्वालंबी बनाई हैं. आज महिला दिवस के अवसर पर लोग महिलाओं की उत्कृष्ट कार्यों का गुणगान कर रहे हैं. वहीं उनकी बेटियां अपनी मां पर गर्व महसूस कर रही हैं.

इसे भी पढ़ें: 'मशरूम लेडी' बीना देवी: पलंग के नीचे मशरूम उगा राष्ट्रीय फलक पर हुई स्थापित

मछली पालन से लेकर बेटियों के जिम्मेदारियों तक का सफर...
जी हां, हम बात कर रहे अनिता सिन्हा की, जो मछली पालन कर अपनी दोनों बेटियों को आत्मनिर्भर बना दी है. महिला ने यह काम करके पुरूष और महिला के बीच की दूरी को मिटा दिया है. यह महिला पुरुषों को टक्कर देते हुए मत्स्य पालन कर रही हैं. पिछले 11 सालों से मछली पालन कर अपनी दो बच्चियों को काबिल बना दी है.

मजबूत होकर कार्यों में जुटी
आपने तो सुना ही होगा हौसलों में अगर जान हो तो मुश्किल घुटना टेक ही देती है. जी हां, इसी कहावत को जिला के चाकन्द बाजार कि रहने वाली अनिता ने सच कर दिखाया है. अनिता सिन्हा ने मछली पालन और खेती कर अपनी दोनों बेटी को उच्च शिक्षा हासिल कराकर सशक्त बना दी है. पति के आकस्मिक मौत के बाद से अनिता टूटी नहीं और मजबूत होकर अपने कार्यों में लग गई. आज वह अपने आप में नारी सशक्तिकरण की मिसाल है.

देखें रिपोर्ट.

सन् 2009 में मेरे पति का निधन हो गया था. घर मछली पालन और खेती बाड़ी से चलता था. लेकिन पति के जाने के बाद घर चलाने के लिए सिर्फ एक ही साधन था खेती बाड़ी और मछली पालन. मैं उनके साथ रहते हुए मछली पालन सिख गई थी. पति की मौत के बाद मैं भी हिम्मत करके मछली पालन करना शुरू कर दी. मछली पालन में आसपास से लेकर घर के लोगों ने सहयोग किया. -अनिता सिन्हा, मछली पालक

ये भी पढ़ें: बौआ देवीः 12 साल में बाल विवाह होने के बावजूद हाथों से गढ़ी अपनी मुकाम

मत्स्य पालन और खेती
अनिता ने बताया कि शुरुआत के दौर में यह काम एक महिला के लिए बहुत मुश्किल था. मछुआरों के बीच रहकर काम करने में थोड़ी झिझक तो होती थी लेकिन उन्हें बेटियों के लिए भी कुछ कर गुजरना था. मछली पालन के साथ ही उन्होंने खेती भी शुरू कर दी. इसमें ज्यादातर मजदूरों का सहयोग ली. मछली पालन और खेती बाड़ी से अपनी एक बेटी को इंजीनियर बना दी तो वहीं दूसरी बेटी को फैशन डिजाइनर बना दी.

मछली को दाना खिलाती हुई महिला.
मछली को दाना खिलाती हुई महिला.

जानिए क्या कहती है अनिता की बेटी
बता दें कि अनिता की दोनों बेटियां नौकरी करती है. अनिता का कहना है कि जिस भी महिला के पति नहीं है वे महिलाएं बगैर हिम्मत हारे थोड़े बहुत संसाधन या जमीन से काम शुरू कर सकती हैं. अनिता सिन्हा की बेटी शानू सिन्हा बताती है कि-

हम दोनों बहनों को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए मां एक मजबूत पिलर रही हैं. शिक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ने में उनका बड़ा योगदान रहा है. पिता की मौत के बाद मां के पास एक ही लक्ष्य था कि हम दोनो बहनों को उच्च शिक्षा ग्रहण करवाकर स्वालंबी बना दे. आज मुझे अपनी मां पर बहुत गर्व है. मैं बेंगलुरु स्थित एक संस्थान से इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त कर बेंगलुरु में एक कंपनी में जॉब करने लगी हूं. हमारी छोटी बहन शिवानी सिन्हा कोलकाता के शिक्षण संस्थान से फैशन डिजाइनिंग कर मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत है. - शानू सिन्हा, मछली पालक की बेटी

गया: महिलाओं की अनेक काम करते हुए देखा गया है. लेकिन महिलाओं को मत्स्य पालन करते बहुत कम या ना के बराबर देखा गया है. चाकन्द की रहने वाली एक महिला पिछले एक दशक से मत्स्य पालन कर रही है. इसी मत्स्य पालन से उन्होंने अपनी दोनो बेटियों को स्वालंबी बनाई हैं. आज महिला दिवस के अवसर पर लोग महिलाओं की उत्कृष्ट कार्यों का गुणगान कर रहे हैं. वहीं उनकी बेटियां अपनी मां पर गर्व महसूस कर रही हैं.

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मछली पालन से लेकर बेटियों के जिम्मेदारियों तक का सफर...
जी हां, हम बात कर रहे अनिता सिन्हा की, जो मछली पालन कर अपनी दोनों बेटियों को आत्मनिर्भर बना दी है. महिला ने यह काम करके पुरूष और महिला के बीच की दूरी को मिटा दिया है. यह महिला पुरुषों को टक्कर देते हुए मत्स्य पालन कर रही हैं. पिछले 11 सालों से मछली पालन कर अपनी दो बच्चियों को काबिल बना दी है.

मजबूत होकर कार्यों में जुटी
आपने तो सुना ही होगा हौसलों में अगर जान हो तो मुश्किल घुटना टेक ही देती है. जी हां, इसी कहावत को जिला के चाकन्द बाजार कि रहने वाली अनिता ने सच कर दिखाया है. अनिता सिन्हा ने मछली पालन और खेती कर अपनी दोनों बेटी को उच्च शिक्षा हासिल कराकर सशक्त बना दी है. पति के आकस्मिक मौत के बाद से अनिता टूटी नहीं और मजबूत होकर अपने कार्यों में लग गई. आज वह अपने आप में नारी सशक्तिकरण की मिसाल है.

देखें रिपोर्ट.

सन् 2009 में मेरे पति का निधन हो गया था. घर मछली पालन और खेती बाड़ी से चलता था. लेकिन पति के जाने के बाद घर चलाने के लिए सिर्फ एक ही साधन था खेती बाड़ी और मछली पालन. मैं उनके साथ रहते हुए मछली पालन सिख गई थी. पति की मौत के बाद मैं भी हिम्मत करके मछली पालन करना शुरू कर दी. मछली पालन में आसपास से लेकर घर के लोगों ने सहयोग किया. -अनिता सिन्हा, मछली पालक

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मत्स्य पालन और खेती
अनिता ने बताया कि शुरुआत के दौर में यह काम एक महिला के लिए बहुत मुश्किल था. मछुआरों के बीच रहकर काम करने में थोड़ी झिझक तो होती थी लेकिन उन्हें बेटियों के लिए भी कुछ कर गुजरना था. मछली पालन के साथ ही उन्होंने खेती भी शुरू कर दी. इसमें ज्यादातर मजदूरों का सहयोग ली. मछली पालन और खेती बाड़ी से अपनी एक बेटी को इंजीनियर बना दी तो वहीं दूसरी बेटी को फैशन डिजाइनर बना दी.

मछली को दाना खिलाती हुई महिला.
मछली को दाना खिलाती हुई महिला.

जानिए क्या कहती है अनिता की बेटी
बता दें कि अनिता की दोनों बेटियां नौकरी करती है. अनिता का कहना है कि जिस भी महिला के पति नहीं है वे महिलाएं बगैर हिम्मत हारे थोड़े बहुत संसाधन या जमीन से काम शुरू कर सकती हैं. अनिता सिन्हा की बेटी शानू सिन्हा बताती है कि-

हम दोनों बहनों को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए मां एक मजबूत पिलर रही हैं. शिक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ने में उनका बड़ा योगदान रहा है. पिता की मौत के बाद मां के पास एक ही लक्ष्य था कि हम दोनो बहनों को उच्च शिक्षा ग्रहण करवाकर स्वालंबी बना दे. आज मुझे अपनी मां पर बहुत गर्व है. मैं बेंगलुरु स्थित एक संस्थान से इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त कर बेंगलुरु में एक कंपनी में जॉब करने लगी हूं. हमारी छोटी बहन शिवानी सिन्हा कोलकाता के शिक्षण संस्थान से फैशन डिजाइनिंग कर मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत है. - शानू सिन्हा, मछली पालक की बेटी

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