गया: पछुआ हवा के बहाव से आगजनी की घटना बढ़ जाती है. इस आगजनी में जान-माल का भारी नुकसान होता है. गया अग्निशमन विभाग के लिए विदेशों की तर्ज पर फायरप्रूफ ड्रेस लाया गया है. जिसके तहत अग्निशमन कर्मी आगजनी के दौरान उस ड्रेस को पहनकर फंसे लोगों को रेस्क्यू कर सकेंगे. इस दो फायरप्रूफ ड्रेस के आने से जवानों के हौसले बुलंद हो गए है.
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विदेशों की तर्ज पर पहल
दरअसल विदेशों में आगजनी की घटना के समय सभी अग्निशमन कर्मी फायरप्रूफ ड्रेस पहने रहते हैं. अब गया में भी इसकी पहल शुरू कर दी गई है. शुरुआती दौर में गया में दो फायरप्रूफ ड्रेस लाया गया है. यह ड्रेस स्वराजपुरी रोड स्थित फायर स्टेशन में पदस्थापित जवानों के लिए लाया गया है.
सालों पहले पेट्रोमैक्स से लाइट आती थी. उसी लाइट में लगी कवर अबरख की बनी रहती थी. उसकी तर्ज पर इस फायरप्रूफ ड्रेस को बनाया गया है. इस ड्रेस में अबरख के साथ सोडियम बायोकार्बोनेट का सिल्कन उपयोग किया जाता है. इसे प्रॉक्सिमिटी सूट कहा जाता है. इस सूट को पहनकर जवान खुद की रक्षा कर सकते हैं , साथ ही रेस्क्यू भी बड़ी आसानी कर सकते हैं. -अरविंद कुमार, पदाधिकारी, अग्निशमन विभाग
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तापमान को सहने की शक्ति
बता दें कि यह ड्रेस आग के तापमान को कुछ देर तक सहने की शक्ति रखता है. उतने देर में जवान रेस्क्यू कर लोगों की जान बचा सकते हैं. पहले आग लगने पर फायर बिग्रेड कर्मी जान हथेली पर रखकर आग बुझाने के लिए घरों में जाते थे. जिससे वे भी जख्मी हो जाते थे. लेकिन यह फायर सूट सुरक्षा कवच की तरह उनकी मदद करेगा.
अगजनी से बचाव को लेकर मॉक ड्रिल
गौरतलब है कि अग्निशमन विभाग आगजनी से बचाव को लेकर लगातार मॉक ड्रिल कर रहा है. जिससे लोग जागरुक भी हो रहे हैं. इस समय पछुआ हवा और गेहूं की दमनी आग को दावत देती है. गेहूं कटने के बाद किसान खलिहान में थ्रेसर के माध्यम से गेहूं की दमनी करते हैं. इसी दौरान थ्रेसर से निकलने वाली चिंगारी अगलगी की कारण बन जाती है.