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गया के किसानों के लिये खुशखबरी! फसलों के नुकसान का किया जा रहा आंकलन, जल्द मिलेगा मुआवजा - gaya latest news

जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि असामान्य बारिश से क्षति के आंकलन के लिए कृषि विभाग की तरफ से सर्वे कराया गया है. जिसमें 617 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है. इसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है.

गया
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Published : Oct 22, 2019, 3:30 AM IST

गया: प्रदेश में हुई भारी बारिश किसानों के लिए आफत लेकर आई. इस सीजन में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी है. पहले तो सूखा के कारण धान की बुआई प्रभावित हुई. वहीं, जिन किसानों ने किसी तरह से बुआई कर लिया था, उनके फसल तैयार होने के पहले ही बारिश की भेट चढ़ गये. जिले में कृषि विभाग ने प्राथमिक सर्वे में 617 हेक्टेयर भूमि को चिन्हित किया है, जिसमें बारिश की वजह से धान या नकदी फसल को नुकसान पहुंचा है.

प्रकृति की दोहरी मार
इस बार हुई तेज गर्मी ने खेतों से शुरुआती बरसात के पानी को सोख लिया था. फिर मॉनसून में बारिश नहीं हुई. जिससे किसान धान की रोपनी ठीक से नहीं कर पाए. जिले के आमस प्रखंड के कई पंचायतों में महज दस प्रतिशत तक ही रोपनी हो पाई थी. वहीं, जिन किसानों ने धान की बुआई की भी थी, उन्होंने बिजली या ईंधन की मदद से भूमिगत जलस्त्रोत से खेतों तक पानी पहुंचाया था. फसल में अब दाने आने शुरू ही हुए थे कि आफत की बारिश ने उसे भी नष्ट कर दिया. प्रकृति के सताए किसान अब सरकार की तरफ उम्मीद की नजर से देख रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

सरकार से उम्मीद
किसान नेता रामवृक्ष प्रसाद ने बताया कि, गया में किसान प्रकृति की मार से हताश और सरकार के उदासीनता से आक्रोशित हैं. खेत में धान के फसल मरणासन्न अवस्था में है. नगदी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गये हैं. किसानों की पूंजी डूब गई है. अब वो दलहन और गेहूं की खेती कैसे करेंगे? उन्होंने कहा कि सरकार से जो मदद मिलती है, वो महज खानापूर्ती करने की कोशिश होती है. इससे किसानों के लागत मूल्य भी नहीं निकलते. उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों की स्थिति को देखते हुए मुआवजे की राशि तय की जाये.

गया
बारिश से खेतों में धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है

किया जा रहा है क्षति का आंकलन
जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि असामान्य बारिश से क्षति के आंकलन के लिए कृषि विभाग की तरफ से सर्वे कराया गया है. जिसमें 617 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है. इसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है. साथ ही सूखा से प्रभावित इलाकों में भी किसानों के नुकसान के आंकलन का निर्देश मिला है. इसका सर्वे भी करा कर जल्द ही सरकार को रिपोर्ट भेज दी जाएगी, ताकि किसानों को अनुदान और कृषि सहायता का लाभ मिल सके.

गया: प्रदेश में हुई भारी बारिश किसानों के लिए आफत लेकर आई. इस सीजन में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी है. पहले तो सूखा के कारण धान की बुआई प्रभावित हुई. वहीं, जिन किसानों ने किसी तरह से बुआई कर लिया था, उनके फसल तैयार होने के पहले ही बारिश की भेट चढ़ गये. जिले में कृषि विभाग ने प्राथमिक सर्वे में 617 हेक्टेयर भूमि को चिन्हित किया है, जिसमें बारिश की वजह से धान या नकदी फसल को नुकसान पहुंचा है.

प्रकृति की दोहरी मार
इस बार हुई तेज गर्मी ने खेतों से शुरुआती बरसात के पानी को सोख लिया था. फिर मॉनसून में बारिश नहीं हुई. जिससे किसान धान की रोपनी ठीक से नहीं कर पाए. जिले के आमस प्रखंड के कई पंचायतों में महज दस प्रतिशत तक ही रोपनी हो पाई थी. वहीं, जिन किसानों ने धान की बुआई की भी थी, उन्होंने बिजली या ईंधन की मदद से भूमिगत जलस्त्रोत से खेतों तक पानी पहुंचाया था. फसल में अब दाने आने शुरू ही हुए थे कि आफत की बारिश ने उसे भी नष्ट कर दिया. प्रकृति के सताए किसान अब सरकार की तरफ उम्मीद की नजर से देख रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

सरकार से उम्मीद
किसान नेता रामवृक्ष प्रसाद ने बताया कि, गया में किसान प्रकृति की मार से हताश और सरकार के उदासीनता से आक्रोशित हैं. खेत में धान के फसल मरणासन्न अवस्था में है. नगदी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गये हैं. किसानों की पूंजी डूब गई है. अब वो दलहन और गेहूं की खेती कैसे करेंगे? उन्होंने कहा कि सरकार से जो मदद मिलती है, वो महज खानापूर्ती करने की कोशिश होती है. इससे किसानों के लागत मूल्य भी नहीं निकलते. उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों की स्थिति को देखते हुए मुआवजे की राशि तय की जाये.

गया
बारिश से खेतों में धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है

किया जा रहा है क्षति का आंकलन
जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया कि असामान्य बारिश से क्षति के आंकलन के लिए कृषि विभाग की तरफ से सर्वे कराया गया है. जिसमें 617 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की गई है. इसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है. साथ ही सूखा से प्रभावित इलाकों में भी किसानों के नुकसान के आंकलन का निर्देश मिला है. इसका सर्वे भी करा कर जल्द ही सरकार को रिपोर्ट भेज दी जाएगी, ताकि किसानों को अनुदान और कृषि सहायता का लाभ मिल सके.

Intro:बिहार के अन्य जिलों सहित गया में पिछले दिनों भारी बारिश हुआ था जिससे किसानों को बहुत नुकसान पहुचा है। गया के किसानों को प्रकृति के प्रकोप से दोहरी मार हुआ है। पहले सुखाड़ से धान की बुआई नही हुआ फिर भारी बारिश से बुआई हुआ धान का फसल बर्बाद हो गया है। कृषि विभाग के प्राथमिक सर्वे से 617 हेक्टेयर में भारी बारिश से धान और नगदी फसल का नुकसान हुआ है।


Body:गया जिला जहाँ हर मौसम का अत्यधिक प्रकोप रहता है गर्मी के मौसम ने प्रकोप दिखाया शुरुआती बरसात के पानी को सूखा दिया। गया में मानसून की पहली बरसात नही हुआ जिससे जिले में धान के रोपणी नही हुआ , गया के आमस प्रखंड के कई पंचायत में दस प्रतिशत रोपणी हुआ। गया में किसान बिजली और ईंधन से भूमीगत जलस्त्रोत से धान का फसल रोप लेकिन जैसे धान में दाने लगने शुरू हुए तो आफत का बारिश पिछले दिनों हो गया हैं। गया के किसान को इस वर्ष प्रकृति ने दोहरी मार दिया। गया के किसान प्रकृति के इस रवैया से हताश और निराश हैं वही सरकार के उदासीनता से आक्रोशित है।

गया के किसान नेता रामवृक्ष प्रसाद ने बताया गया में किसान प्रकृति के मार और सरकार के उदासीनता से आक्रोशित हैं। किसान के बच्चे अब पलायन कर रहे हैं। गया के सुदूर इलाको में सन्नाटा पसरा है। खेत मे धान का फसल मरणासन्न अवस्था छुकी है नगदी फसल पूर्ण रूप से बर्बाद हो गया है। गया के किसान का पूंजी बर्बाद हो गया है अब वो दलहन और गेहूं के खेती कैसे करेगे , हम सरकार से मांग करते हैं किसानों फसल सहायता तहत कम राशि मिलती है इनसे उनकी लागत भी वापस नही होगा। गया के किसानों के साथ आपदा वाली घटना घटित हुआ है। इनको उस स्तर का मुआवजा मिले जिससे इनके नुकसान का भरपाई हो सके।

जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया असामान्य बारिश से क्षति का सर्वे जिले के सभी प्रखंड में करवाया गया है। शुरुआती आंकड़ा में 617 हेक्टेयर में भारी बारिश से नुकसान हुआ है। इसकी सूचना सरकार और विभाग को दे दिया गया है। नुकसान हुआ स्थान और किसानों को चिन्हित कर लिया गया है। इसके साथ ही शुरुआत मई और जून में सुखाड़ हुआ था उनको भी मुआवजा दिया जाएगा। जैसे ही सरकार से अनुमति मिलेगा। सभी चिन्हित किसानों को नुकसान का मुआवजा मिल जाएगा।


Conclusion:
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