गयाः आमतौर पर गया को धार्मिक ज्ञान और मोक्ष की भूमि कही जाती है. लेकिन गया के मिजाज में मेहनत और संघर्ष भी है. दशरथ मांझी ने अपनी मेहनत से पहाड़ काटकर सड़क बनाया था. उसी मेहनती मिजाज ने गया के केवाल मिट्टी में केले की खेती करने में सफलता पाई है.
केले की खेती में सफलता
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बसा बड़गांव जहां आने और जाने के लिए एक अदब से सड़क नहीं है. वहां के किसान कच्ची सड़को पर चलकर बड़ी सफलता पाने का दमखम रखते हैं. मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर कोच प्रखंड के किसान रवि रंजन ने जिले की मिट्टी में केले की खेती करने में सफलता पाई है. केले की खेती में सफलता मिलने के बाद दूर-दूर से लोग किसान के यहां केले की खेती के बारे में जानकारी लेने के लिए आ रहे हैं.
कम लागत में ज्यादा मुनाफा
किसान रवि रंजन ने बताया कि विदेश से पढ़ाई करके आए प्रभात ने उन्हें केले की खेती करने की सलाह दी थी. उनके कहने पर 1200 केले के पौधे लगाकर इसकी शुरुआत की थी. उन्होंने केले के बारे में बताया कि यह भुसाल प्रजाति के 9 जी केला की खेती की है. इस खेती में सिर्फ हल्का पानी और जैविक खाद देकर पौधे को रोप दिया था. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि कम लागत और मेहनत पर ज्यादा मुनाफा और सफलता मिलेगी.
खेती की जानकारी लेने आ रहे हैं लोग
केले की खेती को देखने आसपास के लोग आ रहे हैं. पास के गांव से रोहित कुमार अपने परिवार के साथ केले के खेती के बारे में जानकारी लेने आये थे. उन्होंने ने बताया कि यहां आकर विश्वास हो रहा है कि गया में भी केले की खेती सकती है.