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श्मशान में छोटे भाई के शव को लेकर पहुंच तो गया, पर अंत्येष्टि के लिए घंटों तक करता रहा इंतजार

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Published : May 15, 2021, 11:05 AM IST

Updated : May 15, 2021, 11:52 AM IST

प्रशासन का तो कहना है कि कोविड से मारे जाने पर शव का नि:शुल्क अंतिम संस्कार किया जाएगा. पर हकीकत कुछ और ही देखने को मिलती है. गया में एक भाई घंटों तक अपने छोटे भाई के शव को केलकर श्मशान घाट में बैठा रहा. पढ़ें यह रिपोर्ट...

शव के साथ इंतजार करता भाई
शव के साथ इंतजार करता भाई

गया: कोरोना की दूसरी लहर में मौत का आंकड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है. मगध क्षेत्र के कोविड अस्पताल में हर दिन एक दर्जन के लगभग लोगों की मौत हो रही है. ऐसे ही नालंदा निवासी एक व्यक्ति को भी कोरोना ने अपनी आगोश में ले लिया. मरीज की मौत के बाद बड़ा भाई एम्बुलेंस से शव को विष्णु मसान घाट ले गया. लेकिन उसके पास ना तो पैसे थे और ना ही लोग. जिससे वह भाई का अंतिम संस्कार कर सके. प्रशासन भी यहां पर जैसे कान में तेल डालकर सोया था.

यह भी पढ़ें- धोखा! पुराने एम्बुलेंस पर नए स्टिकर लगाकर दूसरी बार वर्चुअल उदघाट्न करेंगे अश्विनी चौबे

एंबुलेंसकर्मी ने ले लिए रुपए
दरअसल, नालंदा जिले के रहनेवाले सुधीर राम के चचेरे भाई की मौत कोविड अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हो गयी थी. कोविड अस्पताल से शव को कोविड प्रोटोकॉल के तहत पैक कर एम्बुलेंस के जरिये विष्णु मसान घाट अत्येष्टि के लिए भेजा गया. एम्बुलेंस कर्मी शव को घाट के नजदीक रख मेहनताना के नाम पर 500 रुपया लेकर चले गए. बेचारे भाई के पास ना तो इतने पैसे थे और ना ही लोग थे कि अपने भाई का अंतिम संस्कार कर सके. बेचारा भाई परिजनों के इंतजार में घंटों भाई के शव के साथ बैठा रहा. आने-जाने वाले लोगों में अपनों की तलाश करता रहा. लेकिन घंटों तक कोई नहीं मिला.

पिता के निधन के बाद हुआ था संक्रमित
मृतक के बड़े भाई ने बताया कि दस दिन पहले पिताजी का निधन हो गया था. उनका दाह संस्कार करने के बाद भाई की तबीयत खराब हुई तो गया के कोविड अस्पताल में ले आए थे. सही से इलाज नहीं मिलने से इसकी भी मौत हो गयी. शव को अस्पताल में प्लास्टिक में पैक करके एम्बुलेंस से श्मशान घाट भेज दिया. एम्बुलेंस कर्मियों ने यहां लाने के लिए हजारों की मांग की थी. उनको काफी मिन्नत कर 500 रुपया दिया. मेरे पास ना तो रुपए हैं और ना ही लोग. इसका शवदाह कैसे करूं. श्मशान घाट पर शवदाह करने के लिए मुहमांगी कीमत मांग रहे हैं. मृतक भाई का साला गया में रहता है. उसी का इंतजार कर रहे हैं. वो आएगा तो इसका शवदाह करेंगे.

यह भी पढ़ें- कोविड हॉस्पिटल का हाल तो देखिये, बेड खाली पर मरीजों की नहीं हो रही भर्ती

यह भी पढ़ें- पटना: IGIMS में बढ़ाए जाएंगे 25 ICU बेड, स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल प्रबंधन को दिया आदेश

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एंबुलेंसकर्मी ने ले लिए रुपए
दरअसल, नालंदा जिले के रहनेवाले सुधीर राम के चचेरे भाई की मौत कोविड अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हो गयी थी. कोविड अस्पताल से शव को कोविड प्रोटोकॉल के तहत पैक कर एम्बुलेंस के जरिये विष्णु मसान घाट अत्येष्टि के लिए भेजा गया. एम्बुलेंस कर्मी शव को घाट के नजदीक रख मेहनताना के नाम पर 500 रुपया लेकर चले गए. बेचारे भाई के पास ना तो इतने पैसे थे और ना ही लोग थे कि अपने भाई का अंतिम संस्कार कर सके. बेचारा भाई परिजनों के इंतजार में घंटों भाई के शव के साथ बैठा रहा. आने-जाने वाले लोगों में अपनों की तलाश करता रहा. लेकिन घंटों तक कोई नहीं मिला.

पिता के निधन के बाद हुआ था संक्रमित
मृतक के बड़े भाई ने बताया कि दस दिन पहले पिताजी का निधन हो गया था. उनका दाह संस्कार करने के बाद भाई की तबीयत खराब हुई तो गया के कोविड अस्पताल में ले आए थे. सही से इलाज नहीं मिलने से इसकी भी मौत हो गयी. शव को अस्पताल में प्लास्टिक में पैक करके एम्बुलेंस से श्मशान घाट भेज दिया. एम्बुलेंस कर्मियों ने यहां लाने के लिए हजारों की मांग की थी. उनको काफी मिन्नत कर 500 रुपया दिया. मेरे पास ना तो रुपए हैं और ना ही लोग. इसका शवदाह कैसे करूं. श्मशान घाट पर शवदाह करने के लिए मुहमांगी कीमत मांग रहे हैं. मृतक भाई का साला गया में रहता है. उसी का इंतजार कर रहे हैं. वो आएगा तो इसका शवदाह करेंगे.

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Last Updated : May 15, 2021, 11:52 AM IST
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