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गया: लगातार बारिश से किसानों की कई एकड़ नकदी फसल नष्ट, हुआ लाखों का नुकसान

इस गांव के एक युवा किसान ने बताया कि लगातार आठ दिनों तक बारिश होती रही और खेतों में बाढ़ जैसे हालात हो गए. बारिश छूटने के बाद तेज धूप निकली, जिससे फसल नष्ट हो गए.

गया
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Published : Oct 10, 2019, 10:07 AM IST

गया: जिले के बोधगया प्रखंड का बकरौर गांव गोभी की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यहां के किसान गोभी के लगभग सभी प्रकार की उपज करते हैं. इस साल भी किसान गोभी की खेती में जुटे थे, लेकिन पिछले सप्ताह हुई आठ दिन की लगातार बारिश ने इनकी फसल पर पानी फेर दिया. बारिश से कई एकड़ की फसल तबाह हो गई और किसानों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ा.

बकरौर गांव का है ऐतिहासिक महत्व
बौद्ध धर्म के अनुसार बकरौर गांव का ऐतिहासिक महत्व है. इस गांव से गौतम बुद्ध के जुड़ाव के भी किस्से हैं. महाबोधि मंदिर के सामने निरंजना नदी के उस पार स्थित ये गांव सब्जी की खेती करने के लिए जाना जाता है. बोधगया अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थल होने की वजह से किसान यहां देश-विदेश की सब्जियों की खेती करते हैं. इलाके में पर्यटकों का हलचल रहने के कारण यहां इस तरह की फसल की खपत भी है.

पेश है खास रिपोर्ट

प्रकृति की दोहरी मार
यहां के ज्यादातर किसान फूलगोभी की खेती करते हैं. एक किसान कम से कम पांच तरह का फूलगोभी उपजाता हैं. इस वर्ष भी किसानों ने खेती में पूंजी और पसीने की मेहनत लगाई थी, लेकिन आफत की बारिश ने इनकी फसल को नष्ट कर दिया. प्रकृति से किसानों को दोहरी मार पड़ी है. एक महीने पहले तक यहां पानी का हाहाकार मचा था. इलाके में पानी के लिए यज्ञ कराए जा रहे थे.

गया
खेतों में मेहनत करते किसान

बारिश के बाद धूप बनी आफत
इस गांव के एक युवा किसान ने बताया कि लगातार आठ दिनों तक बारिश होती रही और खेतों में बाढ़ जैसे हालात हो गए. बारिश छूटने के बाद तेज धूप निकली, जिससे फसल नष्ट हो गए. उन्होंने ढाई बीघे में फूलगोभी की खेती की थी. पिछले साल इतनी ही जमीन पर फूलगोभी की फसल छह लाख में बिकी थी. इस बार पूरी फसल की कीमत व्यापारियों ने आठ लाख रुपये लगाई थी, लेकिन इस बारिश ने सब बर्बाद कर दिया.

गया
बाढ़ के पानी से फसल को हुआ नुकसान

दूसरे चरण की खेती में जुटे किसान
इस गांव में फूलगोभी की खेती की शुरुआत करने वाले अनिल कुमार ने बताया कि मेरी गोभी के साथ-साथ बैंगन की भी फसल बर्बाद हो गई. बारिश ने इसके जड़ों को खराब कर दिया और पत्तों में कीड़े लग गए. उन्होंने कहा कि अब किसान दूसरे चरण की खेती में जुट गया हैं. लेकिन इस फसल के तैयार होने तक गोभी की कीमत गिर जाएगी, जो फसल बर्बाद हो गई वो अक्टूबर महीने के अंत तक तैयार हो जाती, उस समय गोभी की कीमत अच्छी मिल जाती है.

सरकार से मुआवजे की मांग
इलाके के किसानों का भारी नुकसान हुआ है लेकिन सरकार या प्रशासन से इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. किसानों ने बताया कि प्रखंड से कुछ लोग आए थे, खेतों की फोटो लेकर गए हैं, लेकिन फिर कुछ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि इस बारिश ने हम किसानों की कमर तोड़ दी है, सरकार से हम मुआवजे की मांग करते हैं.

गया: जिले के बोधगया प्रखंड का बकरौर गांव गोभी की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यहां के किसान गोभी के लगभग सभी प्रकार की उपज करते हैं. इस साल भी किसान गोभी की खेती में जुटे थे, लेकिन पिछले सप्ताह हुई आठ दिन की लगातार बारिश ने इनकी फसल पर पानी फेर दिया. बारिश से कई एकड़ की फसल तबाह हो गई और किसानों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ा.

बकरौर गांव का है ऐतिहासिक महत्व
बौद्ध धर्म के अनुसार बकरौर गांव का ऐतिहासिक महत्व है. इस गांव से गौतम बुद्ध के जुड़ाव के भी किस्से हैं. महाबोधि मंदिर के सामने निरंजना नदी के उस पार स्थित ये गांव सब्जी की खेती करने के लिए जाना जाता है. बोधगया अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थल होने की वजह से किसान यहां देश-विदेश की सब्जियों की खेती करते हैं. इलाके में पर्यटकों का हलचल रहने के कारण यहां इस तरह की फसल की खपत भी है.

पेश है खास रिपोर्ट

प्रकृति की दोहरी मार
यहां के ज्यादातर किसान फूलगोभी की खेती करते हैं. एक किसान कम से कम पांच तरह का फूलगोभी उपजाता हैं. इस वर्ष भी किसानों ने खेती में पूंजी और पसीने की मेहनत लगाई थी, लेकिन आफत की बारिश ने इनकी फसल को नष्ट कर दिया. प्रकृति से किसानों को दोहरी मार पड़ी है. एक महीने पहले तक यहां पानी का हाहाकार मचा था. इलाके में पानी के लिए यज्ञ कराए जा रहे थे.

गया
खेतों में मेहनत करते किसान

बारिश के बाद धूप बनी आफत
इस गांव के एक युवा किसान ने बताया कि लगातार आठ दिनों तक बारिश होती रही और खेतों में बाढ़ जैसे हालात हो गए. बारिश छूटने के बाद तेज धूप निकली, जिससे फसल नष्ट हो गए. उन्होंने ढाई बीघे में फूलगोभी की खेती की थी. पिछले साल इतनी ही जमीन पर फूलगोभी की फसल छह लाख में बिकी थी. इस बार पूरी फसल की कीमत व्यापारियों ने आठ लाख रुपये लगाई थी, लेकिन इस बारिश ने सब बर्बाद कर दिया.

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बाढ़ के पानी से फसल को हुआ नुकसान

दूसरे चरण की खेती में जुटे किसान
इस गांव में फूलगोभी की खेती की शुरुआत करने वाले अनिल कुमार ने बताया कि मेरी गोभी के साथ-साथ बैंगन की भी फसल बर्बाद हो गई. बारिश ने इसके जड़ों को खराब कर दिया और पत्तों में कीड़े लग गए. उन्होंने कहा कि अब किसान दूसरे चरण की खेती में जुट गया हैं. लेकिन इस फसल के तैयार होने तक गोभी की कीमत गिर जाएगी, जो फसल बर्बाद हो गई वो अक्टूबर महीने के अंत तक तैयार हो जाती, उस समय गोभी की कीमत अच्छी मिल जाती है.

सरकार से मुआवजे की मांग
इलाके के किसानों का भारी नुकसान हुआ है लेकिन सरकार या प्रशासन से इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. किसानों ने बताया कि प्रखंड से कुछ लोग आए थे, खेतों की फोटो लेकर गए हैं, लेकिन फिर कुछ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि इस बारिश ने हम किसानों की कमर तोड़ दी है, सरकार से हम मुआवजे की मांग करते हैं.

Intro:गया के बोधगया प्रखंड के बकरौर गांव कोबी के खेती के लिए प्रसिद्ध है यहां हर तरह के कोबी का खेती किया जाता है। देशी - विदेशी कोबी का खेती कर इस गांव के किसान संपन्न है। अब इस गांव का किसान पिछले सप्ताह हुए बारिश के कारण काफी नुकसान में है। इस गांव के सभी किसानों का बारिश से कोबी का फसल नष्ट हो गया है।


Body:बोधगया के बकरौर गांव बौद्ध धर्म के अनुसार काफी ऐतिहासिक महत्व रखता है इस गांव से गौतम बुद्ध का जुड़ाव रहा है। महाबोधि मंदिर ठीक सामने निरंजना नदी के उस पार स्थित बकरौर गांव में सब्जी की खेती होता है। अंतराष्ट्रीय स्थल होने के वजह से किसान यहां देश-विदेश के सब्जियां के खेती करते हैं। बोधगया पर्यटक स्थल होने से इनका फसल देशी हो या विदेशी खपत हो जाता है। यहां के किसान ज्यादातर फुलकोबी के खेती करते हैं। एक किसान कम से कम पांच तरह का फुलकोबी का खेती करता है। इस वर्ष भी इस गांव के किसानों ने पूंजी और मेहनत लगाकर कोबी का खेती किये लेकिन फसल देने के वक़्त बारिश ने सारा पूंजी और मेहनत पर पानी फेर दिया।

पिछले माह आषाढ़ तक गया में बारिश होने के लिए मन्नत मांगी जा रही थी, यज्ञ किया जा रहा था , शहर से लेकर गांव तक पीने के पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ था। लगातार तीन दिन के बारिश में पीने के पानी तो मिल गया लेकिन कम पानी के पैदावार फसल बर्बाद हो गया । किसान के आंखों के सामने उसका फसल बर्बाद हो गया।

बकरौर गांव के युवा किसान महेश बताते हैं इस वर्ष ढाई बिगहा में 18 हजार रुपया के लागत से फुलकोबी के फसल लगाया था। जब फसल से में फल निकलना था तब ही लगातार बारिश हुआ उसके बाद तेज धूप हुआ जिससे सारा फसल मर गया। मुझे इस वर्ष आठ लाख का नुकसान है पिछले वर्ष इसी फसल से छः लाख की कमाई हुआ था। इस वर्ष तो पिछले वर्ष से ज्यादा होता लेकिन आफत के बारिश ने सब बर्बाद कर दिया। अब दूसरे चरण का फुलकोबी के फसल के बीज डाल रहे हैं। जिला प्रशासन और सरकार तरफ से कोई फायदा नही पहुचा है।

बकरौर गांव के सफल किसान अनिल कुमार ने बताया इस बारिश ने सबका फसल को बर्बाद कर दिया । मेरा कोबी और बैगन के फसल को सुखा दिया। फुलकोबी इस वक़्त महंगा बिकता है इस वक़्त हमलोग का कोबी भी खेत से महंगा बिकता था। लेकिन सारा फसल बर्बाद हो गया । जब पौधा में फल आने लगा तब ही बारिश होने लगा। इतना बारिश हुआ जड़ और पता दोनो को खराब कर दिया। दूसरा चरण के लिए फुलकोबी लगा रहे हैं लेकिन इस वक़्त सस्ता बिकता है इस फसल में फायदा नही होता है। अक्टूबर और नवम्बर में बिकने वाला फुलकोबी को हमलोग कुंवारी फुलकोबी कहते हैं इस दो माह में कोबी बाजार में महंगा बिकता है यही कुँवारी कोबी मार खा गया। प्रखंड से कुछ लोग आए थे फ़ोटो लेकर चले गए। हमलोग का कौन सुनता है।


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