गया: जिले के बोधगया प्रखंड का बकरौर गांव गोभी की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यहां के किसान गोभी के लगभग सभी प्रकार की उपज करते हैं. इस साल भी किसान गोभी की खेती में जुटे थे, लेकिन पिछले सप्ताह हुई आठ दिन की लगातार बारिश ने इनकी फसल पर पानी फेर दिया. बारिश से कई एकड़ की फसल तबाह हो गई और किसानों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ा.
बकरौर गांव का है ऐतिहासिक महत्व
बौद्ध धर्म के अनुसार बकरौर गांव का ऐतिहासिक महत्व है. इस गांव से गौतम बुद्ध के जुड़ाव के भी किस्से हैं. महाबोधि मंदिर के सामने निरंजना नदी के उस पार स्थित ये गांव सब्जी की खेती करने के लिए जाना जाता है. बोधगया अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थल होने की वजह से किसान यहां देश-विदेश की सब्जियों की खेती करते हैं. इलाके में पर्यटकों का हलचल रहने के कारण यहां इस तरह की फसल की खपत भी है.
प्रकृति की दोहरी मार
यहां के ज्यादातर किसान फूलगोभी की खेती करते हैं. एक किसान कम से कम पांच तरह का फूलगोभी उपजाता हैं. इस वर्ष भी किसानों ने खेती में पूंजी और पसीने की मेहनत लगाई थी, लेकिन आफत की बारिश ने इनकी फसल को नष्ट कर दिया. प्रकृति से किसानों को दोहरी मार पड़ी है. एक महीने पहले तक यहां पानी का हाहाकार मचा था. इलाके में पानी के लिए यज्ञ कराए जा रहे थे.
बारिश के बाद धूप बनी आफत
इस गांव के एक युवा किसान ने बताया कि लगातार आठ दिनों तक बारिश होती रही और खेतों में बाढ़ जैसे हालात हो गए. बारिश छूटने के बाद तेज धूप निकली, जिससे फसल नष्ट हो गए. उन्होंने ढाई बीघे में फूलगोभी की खेती की थी. पिछले साल इतनी ही जमीन पर फूलगोभी की फसल छह लाख में बिकी थी. इस बार पूरी फसल की कीमत व्यापारियों ने आठ लाख रुपये लगाई थी, लेकिन इस बारिश ने सब बर्बाद कर दिया.
दूसरे चरण की खेती में जुटे किसान
इस गांव में फूलगोभी की खेती की शुरुआत करने वाले अनिल कुमार ने बताया कि मेरी गोभी के साथ-साथ बैंगन की भी फसल बर्बाद हो गई. बारिश ने इसके जड़ों को खराब कर दिया और पत्तों में कीड़े लग गए. उन्होंने कहा कि अब किसान दूसरे चरण की खेती में जुट गया हैं. लेकिन इस फसल के तैयार होने तक गोभी की कीमत गिर जाएगी, जो फसल बर्बाद हो गई वो अक्टूबर महीने के अंत तक तैयार हो जाती, उस समय गोभी की कीमत अच्छी मिल जाती है.
सरकार से मुआवजे की मांग
इलाके के किसानों का भारी नुकसान हुआ है लेकिन सरकार या प्रशासन से इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. किसानों ने बताया कि प्रखंड से कुछ लोग आए थे, खेतों की फोटो लेकर गए हैं, लेकिन फिर कुछ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि इस बारिश ने हम किसानों की कमर तोड़ दी है, सरकार से हम मुआवजे की मांग करते हैं.