गया: बिहार के गया में शिला छोटी पर भक्तों की बड़ी आस्था है. यहां बड़ी संख्या में लोग अपनी मन्नत लेकर पहुंचते हैं. जब उन श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी हो जाती है, तब फिर से वहीं लोग वहां पहुंचते हैं और काफी उत्साह के साथ पूजा-पाठ करते हैं. बताया जाता है कि यह पूजन स्थल भृगु ऋषि के समय से है. इस मंदिर को बांकेबाजार स्थित भरारी स्थान मंदिर के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि इस मंदिर में मूर्ति नहीं है. यहां शिला की पूजा होती है. यहां स्थापित शिला के बारे में कहा जाता है कि यहां पर शिला छोटी जरूर है लेकिन यहां पहुंचने वाले भक्तों की संख्या भारी मात्रा में है. यहां ज्यादातर वैसे भक्त पहुंचते हैं, जिनके रोजगार और नौकरियां लगने में काफी विलंब होती है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर पहुंचकर जो भी लोग मन्नत मांगते हैं, उन लोगों की मुरादें पूरी हो जाती है.
ये भी पढ़ें...नहाए खाए के साथ महापर्व चैती छठ शुरू, गंगा घाट पर नहीं कोई व्यवस्था
भृगु ऋषि से जुड़े हैं कई प्रसंग: जिले के भरारी स्थान को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. यहां के कई प्रसंग भृगु ऋषि से भी जुड़े बताए जाते हैं. बताया जाता है कि यहां भृगु ऋषि ने काफी समय बिताए और उन्होंने यहां तप भी किया है. मान्यता है कि यहां निवास के दौरान भृगु ऋषि जो भी बातें कहते थे. वे सारे बात सही साबित होती आई है. जानकारी मिली है कि सतयुग से ही इस स्थान का जुड़ाव बताया जाता है. जो अब धीरे-धीरे काफी प्रसिद्ध हो रहा है. भृगु ऋषि से जुड़ाव के कारण इस प्राचीन भरारी स्थान को काफी प्रसिद्धि है.
नौकरी का लालशा लेकर आते लोग: कई लोगों का कहना है कि नौकरियां पाने में काफी बाधा झेले हैं. उसके बाद यहां पहुंचकर पूजा पाठ करते हुए लोग मन्नत मांगते हैं. ज्यादातर लोग यहां पहुंचते हैं. जिनकी नौकरी नहीं लगी हो. किसी का नौकरी में विलंब हो रहा हो. ऐसे लोग बाबा भरारी के दरबार में पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं. लोगों के मुताबिक जब मन्नतें पूरी होती है, तब दोबारा पहुंचकर यहां बाबा को मत्था टेकते हैं.
रेलवे की नौकरी के बाद आए श्रद्धालु: भरारी बाबा के दरबार में दूसरी बार शशि कुमार वर्मा पहुंचे. बताया कि बाबा भरारी के प्रति उनकी काफी आस्था जुड़ी हुई है. यहां मांगी गई मन्नत पूरी होती है. उनकी नौकरी नहीं लग पा रही थी. तब कुछ लोगों ने यहां आकर पूजा-पाठ करने को कहा. उसके बाद यहां आकर मन्नत मांगी तब जाकर हमें रेलवे में नौकरी मिली है. जिसके बाद हम यहां दूसरी बार बाबा के दरबार में पहुंचकर मत्था टेकनें आए. यहां के पुजारी नागो प्रसाद बताते हैं कि इसका इतिहास सतयुग काल से बताया जाता है. यहां बिहार- झारखंड के अलावे अन्य राज्यों से भी भक्त आते हैं. यहां आकर सभी लोगों की मन्नत पूरी होती है.
'बाबा भरारी के प्रति उनकी काफी आस्था जुड़ी हुई है. यहां की आस्था प्रचलित है. यहां मांगी गई मन्नत पूरी होती है. उनकी नौकरी नहीं लग पा रही थी. तब कुछ लोगों ने यहां आकर पूजा-पाठ करने को कहा. उसके बाद यहां आकर मन्नत मांगी तब जाकर हमें रेलवे में नौकरी मिली है'.- शशि कुमार वर्मा, रेलवे कर्मचारी
ये भी पढ़ें...व्रती कर रहीं खरना पूजा, कोरोना के चलते छठ घाट सील