गयाः बिहार का सबसे बड़ा अनुमंडल शेरघाटी है. शेरघाटी अनुमंडल को जिला बनाने की मांग लगभग तीन दशक से चल रही है. बिहार के सत्ता में बैठे पक्ष और विपक्ष दोनों ने शेरघाटी के जनता से हर चुनाव में वादा किया था कि शेरघाटी को जिला बना दिया जाएगा. लेकिन अभी तक शेरघाटी को जिला बनाने के लिए कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रहा है.
शेरघाटी अनुमंडल को जिला बनाने की मांग
दरअसल शेरघाटी बिहार का सबसे बड़ा अनुमंडल है और गया के सबसे प्राचीन और प्रमुख शहरों में से एक है. 9 प्रखंडों वाला शेरघाटी अनुमंडल में जिला बनने के सारे संसाधन उपलब्ध है, फिर भी शेरघाटी अनुमंडल को जिला बनाये जाने को लेकर टोह लगा रखी है. हर राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर के चुनाव में शेरघाटी की जनता नेताओं का भाषण सुनने इसी उम्मीद से जाते है कि नेता इस बार शेरघाटी को जिला बनाने की घोषणा कर देंगे.
शेरघाटी अनुमंडल अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र
आपको बता दें कि शेरघाटी अनुमंडल राष्ट्रीय राज्यमार्ग दो पर बसा हुआ है. शेरघाटी अनुमंडल अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है. अभी भी नक्सली समय दर समय नक्सली हमले का अंजाम देते है. वहीं लोगों का कहना है कि जिला मुख्यालय इतने दूर रहने के वजह से नक्सलियों को बहुत फायदा मिलता है. शेरघाटी अनुमंडल का इमामगंज प्रखंड तो जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर है. इन जंगली इलाकों में किसी तरह के हादसा या नक्सली हमला होने पर मदद जल्दी नहीं पहुंचता है.
लॉकडाउन खत्म होने पर शेरघाटी को बनाया जाएगा जिला
इस संबंध में जदयू नेता का कहना है कि नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में कहा था कि बिहार में पहला जिला बनेगा तो शेरघाटी बनेगा. नीतीश कुमार वादा पूरा करने के लिए जाने जाते है. उन्होंने शेरघाटी को जिला बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. लेकिन लॉकडाउन के कारण वह घोषणा नहीं कर पा रहे हैं. लॉकडाउन खत्म होने पर शेरघाटी को जिला बना दिया जाएगा.
स्थानीय विधायक मामले को लेकर नहीं है गंभीर
वहीं राजद नेता ने कहा कि राजद की सरकार के समय मांगें उठी थी. लेकिन उस वक्त शेरघाटी में संसाधन की कमी थी. उस समय जिला बनने के लायक नहीं हुआ था. इन 15 सालों में हमलोगों ने शेरघाटी को जिला बनाने का मांग उठाया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई सभा में जनता से वादा किया था कि आप विधायक दो, अगली बार जिला बन जायेगा, आप सांसद दो अगली बार जिला बन जायेगा. सबसे बड़ी कमी रही स्थानीय विधायक की. स्थानीय विधायक ने इस मामले को लेकर गंभीर नहीं दिखे और उन्होंने आवाज तक नहीं उठाया.
नेताओं का सिर्फ आश्वासन
गौरतलब है कि शेरघाटी जिला संघर्ष समिति पिछले 37 सालों से संघर्ष कर रही है. इस संघर्ष में उन्हें कई नेताओं का सिर्फ आश्वासन मिला है. ऐसे कहा जाता है कि मगध क्षेत्र में अरवल को जिला बनाने के बाद शेरघाटी को जिला बनाने की मांग तेजी से उठने लगी थी. शेरघाटी अनुमंडल क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से, नक्सल प्रभावित क्षेत्र और एक जिला बनने के लिए हर एक संसाधन उपलब्ध रहने के बावजूद शेरघाटी को जिला अब तक नहीं बनाया गया.