गया: कड़ाके की ठंड में जिस तरह से गर्म कपड़ों की डिमांड बढ़ जाती है ठीक उसी तरह से इम्यूनिटी बढ़ाने की चीजों की भी काफी डिमांड होती है. ऐसे में पूरे बिहार खासकर गया में कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड काफी बढ़ गई है. इस साल ठंड पड़ने के साथ ही अब तक कई क्विंटल कड़कनाथ मुर्गी की बिक्री पोल्ट्री फार्म के संचालक द्वारा की जा चुकी है. सिर्फ गया में रोजाना 50 हजार किलो चिकेन की खपत है. (demand increased of kadaknath chicken ) (Kadaknath Poultry Farming In Gaya)
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एमपी में पाया जाता है कड़कनाथ मुर्गा : कड़कनाथ मुर्गे की यह नस्ल मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के जबुआ इलाके की है. वहीं, गया में रोजाना अकेले फॉर्म वाला मुर्गा रोजाना 45 हजार किलोग्राम गया के लोग खा रहे हैं. इसके अलावा कड़कनाथ और देसी मुर्गी की बिक्री हो रही है. वही कड़कनाथ अंडे की भी काफी डिमांड है. (consumption of 50 thousand kg chicken in Gaya )
बाजार में छाया है कड़कनाथ: इन दिनों गया के पोल्ट्री फार्म में फार्म वाले मुर्गे के साथ-साथ कड़कनाथ छाया हुआ है. कड़कनाथ मुर्गा खाने से जहां सेहत को काफी फायदा होता है. वही ठंड से भी बचाव के लिए इसका सेवन लाभकारी माना जाता है.
रोजाना 50 हजार किलो चिकन की बिक्री : ठंड के मौसम में पोल्ट्री फार्म के मुर्गे की भी काफी बिक्री है. अकेले करीब 45 हजार किलो से अधिक पोल्ट्री फार्म की मुर्गी की बिक्री रोजाना हो रही है. वहीं, 5 हजार किलोग्राम कड़कनाथ और देसी मुर्गे को मिलाकर रोजाना बिक्री हो रही है. पोल्ट्री फार्म के मुर्गी की कीमत प्रति किलो 110 से लेकर 130 रूपये तक के बीच है. वहीं, कड़कनाथ मुर्गा 700 से 1000 रुपए प्रति किलो बिक रहा. इसी प्रकार देसी मुर्गा 600 किलो से लेकर 800 रुपए किलो तक बेचा जा रहा है.
कड़कनाथ मुर्गे के ये हैं फायदे: कड़कनाथ मुर्गे के मांस और अंडों में कई आवश्यक विटामिन, प्रोटीन आदि होते हैं. इसमें विटामिन सी, विटामिन बी, विटामिन 12, आयरन अधिक रहने की बात कड़कनाथ मुर्गे के पोल्ट्री फार्म के संचालक बताते हैं. उनके अनुसार शरीर में आयरन, कैल्शियम आदि की कमी को कड़कनाथ पूरा करता है.
"अस्थमा, सिरदर्द समेत कई बीमारियों में भी कड़कनाथ मुर्गे का सेवन लाभप्रद है. ठंड के लिए यह वरदान के समान है. इसका सेवन ठंड से बचाव का भी काम करता है."- सुरेश कुमार, संचालक, गोदरेज पोल्ट्री फीड गया
कड़कनाथ की ठंड के दिनों में होती है विशेष बिक्री: कड़कनाथ का बड़ा पोल्ट्री फार्म संचालन करने वाले प्रभात कुमार बताते हैं कि कड़कनाथ मुर्गे की ठंड के दिनों में बिक्री काफी बढ़ जाती है. कड़कनाथ मुर्गे से जहां ठंड से बचाव होता है. वहीं, शरीर में कई प्रकार के विटामिन की कमियों को भी इसके सेवन से दूर किया जा सकता है. इसमें आयरन समेत कई पोषक तत्व की मात्रा काफी होती है.
"कई बीमारियां इसके सेवन से दूर होती है. मध्यप्रदेश के जबुआ से चूजे लाकर कड़कनाथ मुर्गी पोल्ट्री फार्म का संचालन कर रहा हूं. वहीं से चूजे को लाया गया है और वर्तमान में कड़कनाथ मुर्गे- मुर्गियों के अलावा इसके अंडे भी उपलब्ध हैं और उसकी काफी सप्लाई है. अब मध्य प्रदेश से चूजे लाने की जरूरत नहीं है."- प्रभात कुमार, सप्लायर
काला होता है मांस: कड़कनाथ मुर्गे का मांस काला होता है. यह रंग इसे अन्य मुर्गे से अलग बनाता है. कड़कनाथ मुर्गे को लेकर सरकार के द्वारा भी प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है. इसके तहत कड़कनाथ मुर्गे को लेकर नाबार्ड सहयोग करती है. वहीं, सब्सिडी भी दी जाती है. गया के टिकारी में कड़कनाथ मुर्गी के बड़े पोल्ट्री फार्म को प्रभात कुमार नाम के युवक संचालित कर रहे हैं. इनके द्वारा संचालित पोल्ट्री फार्म में हजार से ज्यादा कड़कनाथ मुर्गे हैं.
गया बना हब: गया के लोग प्रतिदिन 50 हजार किलोग्राम से अधिक चिकन खा रहे हैं. इस संबंध में गोदरेज पोल्ट्री फीड गया के सुरेश प्रसाद बताते हैं कि उनके पास इसका एक आंकड़ा है. आंकड़े के अनुसार गया जिले में 50 हजार किलो से भी ज्यादा चिकन का सेवन प्रतिदिन होता है. पोल्ट्री फार्म के मुर्गा पालन का गया हब बना हुआ है. ठंड के दिनों में इसकी बिक्री काफी बढ़ जाती है.