गया: बिहार के गया में पर्वत पुरुष दशरथ मांझी (Mountain Man Dasharatha Manjhi) को भारत रत्न उपाधि से नवाजे जाने की मांग को लेकर गया से दर्जनों लोग पैदल दिल्ली यात्रा पर निकले हैं. पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के गांव गहलौर से पैैदल यात्रा की शुरूआत की गई है. गहलोर स्थित बाबा दशरथ मांझी के समाधि स्थल से पदयात्रा की शुरुआत हुई. भारत रत्न की मांग को लेकर यह पैदल यात्रा 2 महीने की है.
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पर्वत पुरुष दशरथ मांझी को भारत रत्न देने की मांग : गया के गहलोर स्थित माउंटेन मैन दशरथ मांझी के समाधि स्थल से 2 महीने की दिल्ली पैदल यात्रा शुरू हुई. गहलोत स्थित बाबा दशरथ मांझी के समाधि स्थल के बाद गया स्थित गांधी मंडप में महात्मा गांधी के स्तूप पर पुष्पांजलि अर्पित कर दल दिल्ली के लिए लगातार पैदल यात्रा के लिए रवाना हो गया है. बाबा दशरथ मांझी को भारत रत्न से नवाजे जाने के लिए यह 35 लोग स्थाई रूप से चलेंगे. वहीं, बीच में कुछ लोग अस्थाई रूप से जुड़ते रहेंगे और गहलोर घाटी से होकर निकली यह पैदल यात्रा दिल्ली के लिए बढ़ती रहेगी. साथ ही बाबा के लिए भारत रत्न की मांग की आवाज को बुलंद किया जाएगा.
छेनी-हथौड़ी से पहाड़ को चीरकर बना दिया था रास्ता : बाबा दशरथ मांझी को भारत रत्न दिलाने की पैदल यात्रा में शामिल सत्येंद्र गौतम मांझी ने बताया कि गहलोर घाटी से दिल्ली के लिए पैदल पदयात्रा की शुरुआत की गई है, जो कि 2 महीने में दिल्ली पहुंचेगी. बाबा की कर्मभूमि समाधि स्थल गहलोर घाटी से यह पदयात्रा निकाली गई है. बताया की बाबा दशरथ मांझी वीर योद्धा थे, और उन्होंने ऐसा काम किया है कि विश्व में कम ही ऐसे मिसाल मिलते हैं. समाज हित देश हित के लिए उन्होंने अपने छेनी हथौड़े से 22 वर्षों तक अथक परिश्रम करके पहाड़ को चीर कर रास्ता बना दिया था.
"बाबा का बनाया गया यह रास्ता मील का पत्थर साबित हुआ है. बाबा ने इतना बड़ा काम किया तो उन्हें पुरस्कार दिलाने के लिए दिल्ली पैदल यात्रा कर रहे हैं, जो कि 2 महीने की रहेगी. वहां पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करेंगे कि बाबा को भारत रत्न मिले. इस तरह करोड़ों लोगों का यह सम्मान होगा. 35 लोग अस्थाई रूप से गहलोर घाटी से दिल्ली के लिए निकले हैं. कुछ लोग बीच में अस्थाई रूप से जुड़ते रहेंगे और बाबा को भारत रत्न की मांग को लेकर पैदल यात्रा चलती रहेगी." - सत्येंद्र गौतम मांझी, बाबा दशरथ मांझी उद्यान सेवा संस्थान के अध्यक्ष.
"बाबा दशरथ मांझी के जीवित रहते उन्हें भारत रत्न मिल जाना चाहिए था. दशरथ मांझी ने पर्वत को काटकर रास्ता बनाकर दम दिखाया था. उन्हें अब भारत रत्न से नवाजे जाने के लिए पदयात्रा गया के गहलोर घाटी से दिल्ली के लिए निकाली गई है." - अरविंद वर्मा, बाबा दशरथ मांझी उद्यान सेवा संस्थान के संरक्षक
"सभी धर्म और जाति के लोगों एवं प्रगतिशील समाज को आगे आकर दशरथ मांझी को भारत रत्न की मांग में अपनी सहभागिता दिखानी चाहिए. यह बिहार और देश के लिए सम्मान की बात होगी. इतना बड़ा पहाड़ काटकर सराहनीय काम बाबा दशरथ मांझी ने किया था. भारत सरकार उन्हें भारत रत्न देकर सम्मान दे." - शंकर मांझी, अनुयायी