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विश्वशांति, भाईचारा और करुणा का संदेश है भारत- दलाई लामा

दलाईलामा ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान बहुत उपयोगी है. अहिंसा और करुणा दुनिया को अपनाना चाहिए और भारत को भी आधुनिक भारत में इस ज्ञान को पुनः स्थापित करना जरूरी है, फिर से इस ज्ञान को जागृत करना मानवीय जरूरत बन गई है.

gaya
बौद्ध आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा
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Published : Dec 25, 2019, 3:07 PM IST

गयाः ज्ञान और मोक्ष की भूमि बोधगया में तिब्बतियों के आध्यात्मिक बौद्ध धर्मगुरु 14वें दलाई लामा बोधगया पहुंचे. जहां तिब्बती धर्मशाला में उन्होंने रात्री विश्राम किया. उसके बाद बुधवार को वो विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध का दर्शन करने गए. इस दौरान उन्होंने दुनिया के सभी जीवों के कल्याण के लिये प्रार्थना की. साथ ही विश्वशांति के लिये विशेष पूजा अर्चना की गई.

'अहिंसा और करुणा दुनिया को अपनाना चाहिए'
पूजा अर्चना करने के बाद दलाई लामा ने महाबोधी मंदिर का परिभ्रमण भी किया. उसके बाद पवित्र बोधि वृक्ष को भी नमन किया. बौद्ध आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान बहुत उपयोगी है. अहिंसा और करुणा दुनिया को अपनाना चाहिए और भारत को भी आधुनिक भारत में इस ज्ञान को पुनः स्थापित करना जरूरी है, फिर से इस ज्ञान को जागृत करना मानवीय जरूरत बन गई है.

gaya
दलाईलामा के दर्शन के लिए खड़े श्रद्धालु

'चीन में सबसे ज्यादा संख्या बुद्धिस्ट की है'
दलाई लामा ने कहा कि चीन पारंपरिक रूप से बुद्धिस्ट देश है. चीन में सबसे ज्यादा संख्या बुद्धिस्ट की है, वहां के लोग तिब्बतियन बुद्धिज़्म को फॉलो करते हैं. चाइनीज विश्विद्यालयों में बुद्धिस्ट स्कॉलरों की संख्या अधिक है. चीन में बुद्धिस्ट की संख्या बढ़ रही है, वहां परिस्थियां बदल रही है. हमारे पास सच्चाई की ताकत है, जबकि चाइनीज कम्युनिस्ट के पास बंदूक की ताकत है.

महाबोधी मंदिर में दलाईलामा व अन्य

ये भी पढ़ेंः Merry Christmas : यीशु के जन्म पर मुस्कुराया पटना, हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा त्योहार

विशेष प्रवचन देंगे दलाई लामा
आपको बता दें कि सात दिनों तक विश्राम के बाद 2 जनवरी से 6 जनवरी तक दलाईलामा विख्यात कालचक्र मैदान में विशेष शिक्षा देंगे. इसमें 47 देश के लगभग 50 हजार बौद्ध श्रद्धालु शामिल होंगे. 20 से ज्यादा भाषाओं में प्रवचन प्रसारित होगा. वहीं, बौद्ध धर्मगुरु की एक झलक पाने के लिये कई घंटों तक बौद्ध श्रद्धालु अपने हाथ में प्रसिद्ध खादा लेकर और हाथ जोड़कर कतार में खड़े रहे.

गयाः ज्ञान और मोक्ष की भूमि बोधगया में तिब्बतियों के आध्यात्मिक बौद्ध धर्मगुरु 14वें दलाई लामा बोधगया पहुंचे. जहां तिब्बती धर्मशाला में उन्होंने रात्री विश्राम किया. उसके बाद बुधवार को वो विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध का दर्शन करने गए. इस दौरान उन्होंने दुनिया के सभी जीवों के कल्याण के लिये प्रार्थना की. साथ ही विश्वशांति के लिये विशेष पूजा अर्चना की गई.

'अहिंसा और करुणा दुनिया को अपनाना चाहिए'
पूजा अर्चना करने के बाद दलाई लामा ने महाबोधी मंदिर का परिभ्रमण भी किया. उसके बाद पवित्र बोधि वृक्ष को भी नमन किया. बौद्ध आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा ने कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान बहुत उपयोगी है. अहिंसा और करुणा दुनिया को अपनाना चाहिए और भारत को भी आधुनिक भारत में इस ज्ञान को पुनः स्थापित करना जरूरी है, फिर से इस ज्ञान को जागृत करना मानवीय जरूरत बन गई है.

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दलाईलामा के दर्शन के लिए खड़े श्रद्धालु

'चीन में सबसे ज्यादा संख्या बुद्धिस्ट की है'
दलाई लामा ने कहा कि चीन पारंपरिक रूप से बुद्धिस्ट देश है. चीन में सबसे ज्यादा संख्या बुद्धिस्ट की है, वहां के लोग तिब्बतियन बुद्धिज़्म को फॉलो करते हैं. चाइनीज विश्विद्यालयों में बुद्धिस्ट स्कॉलरों की संख्या अधिक है. चीन में बुद्धिस्ट की संख्या बढ़ रही है, वहां परिस्थियां बदल रही है. हमारे पास सच्चाई की ताकत है, जबकि चाइनीज कम्युनिस्ट के पास बंदूक की ताकत है.

महाबोधी मंदिर में दलाईलामा व अन्य

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विशेष प्रवचन देंगे दलाई लामा
आपको बता दें कि सात दिनों तक विश्राम के बाद 2 जनवरी से 6 जनवरी तक दलाईलामा विख्यात कालचक्र मैदान में विशेष शिक्षा देंगे. इसमें 47 देश के लगभग 50 हजार बौद्ध श्रद्धालु शामिल होंगे. 20 से ज्यादा भाषाओं में प्रवचन प्रसारित होगा. वहीं, बौद्ध धर्मगुरु की एक झलक पाने के लिये कई घंटों तक बौद्ध श्रद्धालु अपने हाथ में प्रसिद्ध खादा लेकर और हाथ जोड़कर कतार में खड़े रहे.

Intro:Pure vishv ke jiv jantu v shanti v karuna ke liye dharm guru ne mahabodhi mandir ke garbhgreh me kiya puja archana।
Body:ज्ञान व मोक्ष की भूमि गया बोधगया में तिब्बतीयो के अध्यात्मिक बौद्ध धर्मगुरु 14वे दलाईलामा जी का कल बोधगया में आगमन हुआ था।
उसके बाद तिब्बती धर्मशाला में रात्री विश्राम किये ।
आज परम पावन दलाईलामा जी विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध का दर्शन किये।
उसके बाद दुनिया के सभी जीवों के कल्याण के लिये प्राथना किये। साथ ही साथ विश्वशांति का कामना के लिये विशेष पूजा अर्चना किये।
पूजा अर्चना करने के बाद महाबोधी मंदिर का परिभ्रमण भी किये उसके बाद पवित्र बोधि वृक्ष को भी नमन किया।
बौद्ध आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा कि  प्राचीन भारतीय ज्ञान बहुत उपयोगी है। अहिंसा और करुणा दुनिया को अपनाना चाहिए और भारत को भी। आधुनिक भारत मे इस ज्ञान को पुनः स्थापित करना जरूरी है। फिर से इस ज्ञान को जागृत करना मानवीय जरूरत बन गई है। ताकि भारत आधुनिक शिक्षा और प्राचीन शिक्षा को एक साथ ले सके। यह आंतरिक शांति की जरूरत है। पूरी दुनिया को अहिंसा और करुणा का रास्ता अपनाना चाहिए।
दलाई लामा ने कहा कि चीन पारंपरिक रूप से बुद्धिस्ट देश है। चीन में सबसे ज्यादा संख्या बुद्धिस्ट की है, वहां के लोग तिब्बतियन बुद्धिज़्म को फॉलो करते हैं। चाइनीज विश्विद्यालयों में बुद्धिस्ट स्कॉलरों की संख्या अधिक है। चीन में बुद्धिस्ट की संख्या बढ़ रही है, वहां परिस्थियां बदल रही है। हमारे पास सच्चाई की ताकत, जबकि चाइनीज कम्युनिस्ट के पास बंदूक की ताकत है।
आपको बता दे कि सात दिनों तक विश्राम के बाद 2 जनवरी से6 जनवरी तक विख्यात कालचक्र मैदान विशेष टीचिंग देगे बेहतर इंसान व दया ज्ञान पेरणा देगे दलाईलामा जी ।टीचिंग में 47 देश के लगभग 50 हजार बौद्ध सर्द्धालु होंगे शमिल। 20 से ज्यादा भाषाओ में प्रवचन होगा प्रसारित ।
बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा जी को बौद्ध सार्धलुओ एक झलक पाने के लिये कई घंटों तक अपने हाथ में प्रशिद्ध खादा लेकर व हाथ जोड़कर कतारबन्द खड़े रहे।Conclusion:
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