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गया के कालचक्र मैदान में पांच दिवसीय प्रवचन की शुरुआत , 47 देशों के 35 हजार श्रद्धालु हुए शामिल

इस वर्ष आस-पास के ग्रामीणों से फालेप की खरीदारी की जाएगी. फालेप तिब्बती रोटी है, जो मैदा और आटे की बनी मोटी रोटी होती है. फालेप की आपूर्ति के लिए आसपास के 200 ग्रामीणों से संपर्क कर उन्हें फालेप बनाने का जिम्मेदारी दी गई है.

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पांच दिवसीय प्रवचन की शुरुआत पांच दिवसीय प्रवचन की शुरुआत
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Published : Jan 3, 2020, 5:17 AM IST

गयाः जिले के कालचक्र मैदान में बृहस्पतिवार से 14वें दलाई लामा का पांच दिवसीय प्रवचन शुरु हो गया है. जो 6 जनवरी तक चलेगा. प्रवचन को सुनने के लिए 47 देशों से 35 हजार श्रद्धालु उपस्थित हुए. प्रवचन के बाद पहले दिन चार हजार लीटर दूध से बना चाय 35 हजार श्रद्धालुओं को पिलाया गया. बता दें कि प्रवचन के बाद चाय का स्वाद लेने के लिए बौद्ध श्रद्धालुओं में खासा इंतजार रहता है.

दो प्रकार की चाय का वितरण
प्रवचन के बाद आयोजन समिति की ओर से दो प्रकार की मसलन चीनी और नमक की चाय वितरण किया गया. चाय बनाने के लिए 80 लीटर क्षमता वाले तीन बड़े-बड़े लोहे के बर्तन का इस्तेमाल किया गया. चाय तिब्बती मंदिर के लामा की देखरेख में लोकल कारीगरों ने बनाया.

Gaya
चाय पिते श्रद्धालु

शुरू से हो रहा है चाय का वितरण
चाय बनाने वाले कर्मी राज कुमार अग्रवाल ने बताया बिड़ला मंदिर के पीछे चाय का किचन बनाया गया है. यहां 35 हजार लोगों के लिए चाय बनाया गया है. बौद्ध लामा प्रवचन होने के बाद श्रद्धालुओं को चाय पिलाने के लिए तत्पर रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसे परंपरा कहिए या जरूरत लेकिन शुरू से ही ऐसा चलता आ रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

200 ग्रामीणों को फालेप बनाने की जिम्मेदारी
जानकारी के अनुसार इस वर्ष आस-पास के ग्रामीणों से फालेप की खरीदारी की जाएगी. फालेप तिब्बती रोटी है, जो मैदा और आटे की बनी मोटी रोटी होती है. फालेप की आपूर्ति के लिए आसपास के 200 ग्रामीणों से संपर्क कर उन्हें फालेप बनाने का जिम्मेदारी दी गई है.

गयाः जिले के कालचक्र मैदान में बृहस्पतिवार से 14वें दलाई लामा का पांच दिवसीय प्रवचन शुरु हो गया है. जो 6 जनवरी तक चलेगा. प्रवचन को सुनने के लिए 47 देशों से 35 हजार श्रद्धालु उपस्थित हुए. प्रवचन के बाद पहले दिन चार हजार लीटर दूध से बना चाय 35 हजार श्रद्धालुओं को पिलाया गया. बता दें कि प्रवचन के बाद चाय का स्वाद लेने के लिए बौद्ध श्रद्धालुओं में खासा इंतजार रहता है.

दो प्रकार की चाय का वितरण
प्रवचन के बाद आयोजन समिति की ओर से दो प्रकार की मसलन चीनी और नमक की चाय वितरण किया गया. चाय बनाने के लिए 80 लीटर क्षमता वाले तीन बड़े-बड़े लोहे के बर्तन का इस्तेमाल किया गया. चाय तिब्बती मंदिर के लामा की देखरेख में लोकल कारीगरों ने बनाया.

Gaya
चाय पिते श्रद्धालु

शुरू से हो रहा है चाय का वितरण
चाय बनाने वाले कर्मी राज कुमार अग्रवाल ने बताया बिड़ला मंदिर के पीछे चाय का किचन बनाया गया है. यहां 35 हजार लोगों के लिए चाय बनाया गया है. बौद्ध लामा प्रवचन होने के बाद श्रद्धालुओं को चाय पिलाने के लिए तत्पर रहते हैं. उन्होंने कहा कि इसे परंपरा कहिए या जरूरत लेकिन शुरू से ही ऐसा चलता आ रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

200 ग्रामीणों को फालेप बनाने की जिम्मेदारी
जानकारी के अनुसार इस वर्ष आस-पास के ग्रामीणों से फालेप की खरीदारी की जाएगी. फालेप तिब्बती रोटी है, जो मैदा और आटे की बनी मोटी रोटी होती है. फालेप की आपूर्ति के लिए आसपास के 200 ग्रामीणों से संपर्क कर उन्हें फालेप बनाने का जिम्मेदारी दी गई है.

Intro:तिब्बतीयो के 14 वे दलाईलामा का पांच दिवसीय प्रवचन आज से शुरू हो गया , प्रवचन के बाद पहले दिन चार हजार लीटर दूध से बना चाय 35 हजार श्रद्धालुओं को पिलाया गया। प्रवचन के चाय का स्वाद लेने के बौद्ध श्रद्धालुओं में खासा इंतजार रहता है।


Body:आपको बता दे तिब्बत के धर्मगुरु बोधगया के कालचक्र मैदान में आज से बोधिसत्व पर अपना प्रवचन शुरू किया है ये प्रवचन छः जनवरी तक चलेगा। प्रवचन को सुने के लिए 47 देशों से 35 हजार श्रद्धालु पहले दिन उपस्थित हुए। प्रवचन के बाद एक रिवाज है प्रवचन सुने आये अनुयायियों को फालेप और चाय का वितरण किया जाता है। पहले दिन चार हजार लीटर दूध से बना चाय का वितरण किया गया।

vo:1 दलाईलामा जी के प्रवचन के बाद आयोजन समिति की ओर से दो प्रकार मसलन चीनी और नमक की चाय निःशुल्क वितरण किया गया। चाय बनाने के लिए 80 लीटर क्षमता वाले तीन बड़े बड़े तीन लोहे का बर्तन का इस्तेमाल किया गया है। चाय तिब्बती मंदिर के लामा के निगरानी में लोकल कारीगरों द्वारा बनाया जाता है।

vo:2 चाय बनाने वाले कर्मी ने बताया बिड़ला मन्दिर के पीछे चाय किचन बनाया गया है 35 हजार लोगों के लिए चाय यहां बनाया जा रहा है। बौद्ध लामा प्रवचन होने के बाद तत्पर रहते हैं बौद्ध श्रद्धालुओं को चाय पिलाने के लिए। इसे परंपरा कहिए या जरूरत लेकिन ये शुरू से ऐसे चलते आ रहा है।

बाईट- राज कुमार अग्रवाल (किचन कर्मी)


Conclusion:जानकारी के अनुसार इस वर्ष आसपास के ग्रामीणों से फालेप का खरीदारी की जाएगी। फालेप तिब्बती रोटी है जो मैदा और आटे की बनी मोटी रोटी रहती हैं। फालेप के आपूर्ति के लिए आसपास के 200 ग्रामीणों से संपर्क उन्हें फालेप बनाने का जिम्मेदारी दिया गया है इस पहले इसी किचन में फालेप बनाया जाता था।

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