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ईटीवी भारत की खबर का असर, गया में 9 एकड़ में लगाई गई अफीम की फसल को किया गया नष्ट

21 नवंबर को ईटीवी भारत ने गया में अफीम की खेती को लेकर खबर प्रकाशित किया था. इसके बाद प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए 9 एकड़ में लगे अफीम की फसल को नष्ट किया गया है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 5, 2023, 10:56 PM IST

गया : बिहार के गया में इस वर्ष ठंड के दिनों में गेहूं-चावल की तरह फिर से अफीम की फसल लगा दी गई है. अब प्रशासन के कान खड़े हुए हैं और अफीम की फसल को नष्ट करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इसी क्रम में गया जिले के बाराचट्टी थाना अंतर्गत शंखवा के इलाके में 9 एकड़ से भी अधिक भूमि में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया गया है.

गया में अफीम की खेती : इस तरह अफीम की खेती गया जिले के बाराचट्टी के अलावा धनगाई एवं इमामगंज विधानसभा के कई थाना इलाकों में व्यापक तौर पर लगाई गई है. पिछले करीब 3 दशकों से गया जिले में अफीम की खेती हो रही है. उसे नष्ट करने के लिए दिसंबर-जनवरी के महीने में प्रशासन के द्वारा अभियान चलाया जाता है. वैसे प्रशासन हर वर्ष दावा करता है कि अफीम की खेती को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है. सैकड़ों एकड़ में अफीम की फसल लहलहाती रह जाती है.

नक्सली-माफिया के गठजोड़ का परिणाम है अफीम की खेती : गया जिले के कई नक्सली प्रभावित इलाके ऐसे हैं, जहां नक्सली संगठन और माफिया के गठजोड़ का नतीजा अफीम की खेती को माना जाता है. अफीम की खेती की शुरुआत 1990 के दशक में नक्सली संगठन के द्वारा शुरू की गई थी और इसे आर्थिक मजबूती का बड़ा स्रोत बनाया था, जो धीरे-धीरे विस्तार रूप लेता चला गया और यह अफीम की खेती अब जिले के कई थाना क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर की जा रही है.

9 एकड़ पर जेसीबी और ट्रैक्टर चलाए गए : मंगलवार को अफीम की खेती के खिलाफ अभियान चलाया गया. बाराचट्टी के शंखवा के इलाके में अभियान चलाकर अफीम की लगी फसल को नष्ट किया गया. जेसीबी और ट्रैक्टर चलाकर अफीम की खेती को नष्ट किया गया. यह महज एक इलाका है, जहां से अफीम की खेती को नष्ट किया गया है. ऐसे दर्जनों इलाके हैं, जहां अफीम की खेती हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी लगा दी गई है.

उत्पाद विभाग को बनाया गया है नोडल : उत्पाद विभाग को इस बार भी नोडल बनाया गया है. अफीम की खेती नष्ट करने के लिए उत्पाद विभाग को नोडल बनाया गया है. इसे लेकर मंगलवार को बाराचट्टी के भलुआ पंचायत के शंखवा के इलाके में अफीम की खेती के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया गया. इस अभियान में एसएसबी 29 में बटालियन, एसपी अभियान के अलावा बाराचट्टी थानाध्यक्ष रूपेश कुमार सिन्हा, एनसीडी इंस्पेक्टर सुजीत कुमार, राजस्व प्राधिकारी बाराचट्टी आरती कुमारी, वन विभाग रेंजर आदि शामिल थे. उत्पाद विभाग ने सब इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार को नोडल पदाधिकारी बनाया है. पिछले बार भी प्रमोद कुमार उत्पाद विभाग के द्वारा नोडल पदाधिकारी बनाए गए थे.

ईटीवी भारत की खबर का असर : आमतौर पर जनवरी के महीने से या दिसंबर के अंतिम सप्ताह में अफीम की खेती के खिलाफ अभियान चलाया जाता है, लेकिन इस बार ईटीवी भारत की खबर का असर रहा कि दिसंबर के प्रथम सप्ताह से इसकी शुरुआत कर दी गई है. 21 नवंबर को ईटीवी भारत ने अफीम की खेती को लेकर पहले ही प्रशासन को आगाह किया था. इसके बाद अब अफीम की खेती को नष्ट करने की कार्रवाई शुरू की गई है.

''पिछले वर्ष 1382 एकड़ भूमि में लगी अफीम की फसल को नष्ट किया गया था. इस वर्ष 2023 में इसकी शुरुआत कर दी गई है और बाराचट्टी थाना अंतर्गत 9.3 एकड़ में लगी अफीम की फसल को मंगलवार को नष्ट किया गया है. उत्पाद विभाग को नोडल बनाया गया है. इसे लेकर अफीम की खेती खिलाफ बड़ा अभियान चलेगा.''- प्रेम प्रकाश, सहायक आयुक्त, उत्पाद विभाग गया

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गया : बिहार के गया में इस वर्ष ठंड के दिनों में गेहूं-चावल की तरह फिर से अफीम की फसल लगा दी गई है. अब प्रशासन के कान खड़े हुए हैं और अफीम की फसल को नष्ट करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इसी क्रम में गया जिले के बाराचट्टी थाना अंतर्गत शंखवा के इलाके में 9 एकड़ से भी अधिक भूमि में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया गया है.

गया में अफीम की खेती : इस तरह अफीम की खेती गया जिले के बाराचट्टी के अलावा धनगाई एवं इमामगंज विधानसभा के कई थाना इलाकों में व्यापक तौर पर लगाई गई है. पिछले करीब 3 दशकों से गया जिले में अफीम की खेती हो रही है. उसे नष्ट करने के लिए दिसंबर-जनवरी के महीने में प्रशासन के द्वारा अभियान चलाया जाता है. वैसे प्रशासन हर वर्ष दावा करता है कि अफीम की खेती को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है. सैकड़ों एकड़ में अफीम की फसल लहलहाती रह जाती है.

नक्सली-माफिया के गठजोड़ का परिणाम है अफीम की खेती : गया जिले के कई नक्सली प्रभावित इलाके ऐसे हैं, जहां नक्सली संगठन और माफिया के गठजोड़ का नतीजा अफीम की खेती को माना जाता है. अफीम की खेती की शुरुआत 1990 के दशक में नक्सली संगठन के द्वारा शुरू की गई थी और इसे आर्थिक मजबूती का बड़ा स्रोत बनाया था, जो धीरे-धीरे विस्तार रूप लेता चला गया और यह अफीम की खेती अब जिले के कई थाना क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर की जा रही है.

9 एकड़ पर जेसीबी और ट्रैक्टर चलाए गए : मंगलवार को अफीम की खेती के खिलाफ अभियान चलाया गया. बाराचट्टी के शंखवा के इलाके में अभियान चलाकर अफीम की लगी फसल को नष्ट किया गया. जेसीबी और ट्रैक्टर चलाकर अफीम की खेती को नष्ट किया गया. यह महज एक इलाका है, जहां से अफीम की खेती को नष्ट किया गया है. ऐसे दर्जनों इलाके हैं, जहां अफीम की खेती हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी लगा दी गई है.

उत्पाद विभाग को बनाया गया है नोडल : उत्पाद विभाग को इस बार भी नोडल बनाया गया है. अफीम की खेती नष्ट करने के लिए उत्पाद विभाग को नोडल बनाया गया है. इसे लेकर मंगलवार को बाराचट्टी के भलुआ पंचायत के शंखवा के इलाके में अफीम की खेती के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया गया. इस अभियान में एसएसबी 29 में बटालियन, एसपी अभियान के अलावा बाराचट्टी थानाध्यक्ष रूपेश कुमार सिन्हा, एनसीडी इंस्पेक्टर सुजीत कुमार, राजस्व प्राधिकारी बाराचट्टी आरती कुमारी, वन विभाग रेंजर आदि शामिल थे. उत्पाद विभाग ने सब इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार को नोडल पदाधिकारी बनाया है. पिछले बार भी प्रमोद कुमार उत्पाद विभाग के द्वारा नोडल पदाधिकारी बनाए गए थे.

ईटीवी भारत की खबर का असर : आमतौर पर जनवरी के महीने से या दिसंबर के अंतिम सप्ताह में अफीम की खेती के खिलाफ अभियान चलाया जाता है, लेकिन इस बार ईटीवी भारत की खबर का असर रहा कि दिसंबर के प्रथम सप्ताह से इसकी शुरुआत कर दी गई है. 21 नवंबर को ईटीवी भारत ने अफीम की खेती को लेकर पहले ही प्रशासन को आगाह किया था. इसके बाद अब अफीम की खेती को नष्ट करने की कार्रवाई शुरू की गई है.

''पिछले वर्ष 1382 एकड़ भूमि में लगी अफीम की फसल को नष्ट किया गया था. इस वर्ष 2023 में इसकी शुरुआत कर दी गई है और बाराचट्टी थाना अंतर्गत 9.3 एकड़ में लगी अफीम की फसल को मंगलवार को नष्ट किया गया है. उत्पाद विभाग को नोडल बनाया गया है. इसे लेकर अफीम की खेती खिलाफ बड़ा अभियान चलेगा.''- प्रेम प्रकाश, सहायक आयुक्त, उत्पाद विभाग गया

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