गया : बिहार के गया का बतसपुर गांव जिले का पहला ऐसा गांव है, जहां गोबर की खरीददारी हो रही है. प्रति किलो 50 पैसे की दर से यहां गोबर की खरीददारी की जाती है. सरकार के गोवर्धन योजना से यहां प्लांट बैठाया गया है. इस प्लांट से अब ग्रामीणों के घरों में किचन तक गोबर से बने गैस की सीधी सप्लाई की जा रही है. पाइपलाइन के माध्यम से गोबर से बनी गैस ग्रामीण घरों में पहुंचने लगे हैं.
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प्रतिदिन 2 टन की खरीददारी : गया में स्वच्छता मिशन के तहत सरकार ने कई योजनाएं चला रखी हैं. इसी क्रम में सरकार की एक बड़ी योजना देखने को मिल रही है, जो कि गोवर्धन योजना के तौर पर है. गोवर्धन योजना के तहत ग्रामीण घरों तक पाइपलाइन से सीधे गोबर से बने गैस की सप्लाई की जानी है. अब यह धरातल पर उतरने लगी है. गया जिले के बोधगया के बतसपुर गांव में इसकी पहली शुरुआत हुई है. बतसपुर गांव में करीब 50 लोगों को गोबर से बने गैस की पाइप लाइन से सप्लाई का कनेक्शन दिया गया है. उनके घरों पर मीटर भी लगाई गई हैं.
गोबर के एवज में मुफ्त मिल जा रही गैस : किसानों को पहला फायदा यह हो रहा है कि उन्हें गैस की कीमत नहीं देनी पड़ रही, क्योंकि उनके पशुओं के गोबर खरीद लिए जा रहे हैं, जिससे हजारों की आमदनी हो रही है. वहीं इसके गोबर से बने गैस की सप्लाई के बदले उन्हें करीब सिर्फ 600 रुपए ही देने पड़ते हैं. ऐसे में एक तरह से उन्हें गोबर के बदले मुफ्त में गैस मिल जा रही है. आर्थिक बचत भी अलग से हो जा रही है.
बढ़ने लगी पशुओं की संख्या : गोवर्धन योजना के बाद से पशुपालक किसानों की संख्या बढ़ी है. वहीं, पहले जितने मवेशी थे, अब वह दुगने हो गए हैं. गाय भैंस की लोग खरीददारी कर रहे, क्योंकि उन्हें दूध के साथ-साथ अब गोबर का भी पैसा मिल रहा है. एक तो फायदा यह है कि गोबर उठाने और फेंकने में मशक्कत करनी पड़ती थी, उससे निजात मिल गई है. वहीं मवेशियों के गोबर खरीदे जा रहे हैं और घरों से ले जाए जा रहे हैं. बदले में प्रति किलो 50 पैसे की दर से राशि भी अदा की जा रही है.
50 घरों में गोबर से बने गैस की हो रही सप्लाई : इस संबंध में बसाढ़ी के उप मुखिया मनोरंजन कुमार समदर्शी बताते हैं कि 50 घरों में गोबर से बने गैस की सप्लाई शुरू कर दी गई है. सरकार के गोवर्धन योजना के तहत यहां इसकी शुरुआत जिले में बतसपुर गांव से पहली दफा शुरू की गई है. बतसपुर गांव में रोजाना गोबर कलेक्ट किए जाते हैं. 50 पैसे प्रति किलो की दर से गोबर खरीदे जा रहे हैं. प्रतिदिन 2 टन के करीब गोबर की खरीददारी हो रही है.
''स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह बड़ी पहल है. गोबर के अवशिष्ट से वर्मी कंपोस्ट जो की खेतों में डाले जाते हैं, वह भी तैयार हो जा रहे हैं. इस तरह गोवर्धन प्रोजेक्ट किसानों के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित हो रहा है. अभी फिलहाल में गोबर गैस से बने गैस के सप्लाई में 50 को कनेक्शन दिया गया है. 50 पैसे प्रति किलो गोबर की खरीदारी की जा रही है. गैस का प्रति महीने चार्ज 600 रूपए ही होता है.''- मनोरंजन कुमार समदर्शी, बसाढ़ी के उप मुखिया
पर्यावरण भी दूषित नहीं होता है : समदर्शी बताते हैं कि किसान गोबर की बिक्री कर हजारों काम ले रहे हैं. ऐसे में उन्हें महंगे गैस से नहीं जूूझना पड़ रहा है और सस्ते दर पर गोबर से बना गैस किचन तक पहुंच जा रहा है. इससे एक ओर विस्फोट आदि का खतरा कम होता है तो दूसरा लाभ ही लाभ है. क्योंकि गोबर से बने गैस का खाना पकाने से फायदा होते हैं. वहीं इस संबंध में ग्रामीण अनूप लाल बताते हैं कि गोबर से बने गैस से खाना पकाने से लाभ हैं. वहीं इससे पर्यावरण भी दूषित नहीं होगा. गोवर्धन प्रोजेक्ट काफी महत्वपूर्ण है. 2 टन रोज गोबर की खरीदारी हो रही है.