गया: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) अपने किसी न किसी बयान के चलते विवादों में फंस जाते हैं. कभी चूहा खाने वाला उनका बयान हो या कोई अन्य राजनीतिक मुद्दा. अब मंदिर को लेकर उन्होंने आपत्तिजनक बयान दिया है. इसके चलते बिहार में सियासी बवाल मचना तय है. पूर्व ने सीएम धर्म परिवर्तन पर अपनी बात रखते हुए नये विवाद को जन्म दे दिया है.
दरअसल, मांझी गया शहर से सटे नैली पंचायत इलाके में धर्मांतरण (Religion Conversion) के मुद्दे पर अपनी बात रख रहे थे. उन्होंने कहा है कि मान मर्यादा अगर नहीं मिलेगा तो लोग धर्म परिवर्तन करेंगे. कहीं न कहीं कमी तो रह गई होगी. इसके चलते लोग दूसरी ओर जा रहे हैं. धर्म परिवर्तन से भारत की सार्वभौमता पर क्या कोई खतरा है? ये धर्म निरपेक्ष देश है. यहां अपनी इच्छा के अनुसार धर्म का पालन, धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता है. इसलिए कौन कहां जा रहा है, मेरी समझ से यह समस्या का विषय नहीं है.
ये भी पढ़ें: धर्मांतरण : 'बजंगरबली' करा रहे 'घर वापसी'!
मांझी ने कहा कि जैसे हम जिस घर में हैं, वहां मान-मर्यादा नहीं है, कहीं और मिलती है तो स्वाभाविक तौर पर लोग जा रहे हैं. आजादी के इतने वर्षों बाद भी जात-पात, छुआछूत, ऊंच-नीच सारी बाते हैं. अब बिहार का मुख्यमंत्री किसी मंदिर में जाता है और मंदिर को धोया जाता है तो ये क्या है, कैसा वो मंदिर है. अगर जान जाता तो जाता ही नहीं, लघुशंका करने भी नहीं जाता.
दरअसल गया जिले में खास करके महादलित के लोग हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना रहे हैं. यह खेल लगभग डेढ़ दशक से गया जिले में चल रहा है. अभी गया जिले में हजारों लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया है. इसको लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है.
गया शहर स्थित अपने निजी आवास में स्थापना दिवस की तैयारी को लेकर बैठक में जीतनराम मांझी के समक्ष धर्मांतरण का मुद्दा उठाया गया. उन्होंने कहा कि घर में मान, इज्जत व मर्यादा न मिले और दूसरे जगह मान, इज्जत व मर्यादा मिल रही है तो स्वभाविक है लोग जाएंगे. घर के मालिक को समझना चाहिए कि आखिर वे क्यों जा रहे हैं? आपके यहां उनका विकास संभव नहीं है. आप छुआछूत की बात करते हैं. पूर्व सीएम ने कहा कि जब-जब धर्म लचीला हुआ है, तब-तब उस धर्म का प्रचार हुआ और जब-जब धर्म रिजिड हुआ, तब तब उस धर्म का नास हुआ है. इतिहास का विद्यार्थी हूं, इसलिए कह रहा हूं.
बता दें कि गया जिले के नैली पंचायत के दुबहल गांव से सटे कई दलित बस्तियों में पिछले 15 सालों से हिंदू धर्म से ईसाई धर्म में परिवर्तन करवाया जा रहा है. ईटीवी भारत की टीम मामले की पड़ताल के लिए वहां पहुंची तो वहां देखा कि अंधविश्वास की आड़ में ईसाई धर्म के लोगों द्वारा धर्मांतरण का खेल खेला जा रहा है.
गौरतलब है कि धान रोपनी के पहले आषाढ़ी पूजा होती है. उस पूजा को मांझी समाज के लोग करते हैं. जब इस साल पूजा नहीं हुई तो अन्य समाज के लोगों ने इसके बारे में जानकारी ली. तब पता चला कि मांझी परिवार के लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया है.
धार्मिक नगरी गया में इन दिनों धर्मांतरण का खेल लगातार जारी है. गया के लगभग 15 प्रखंडों में धर्मांतरण का खेल चल रहा है. कुछ दिन पूर्व गया शहर से सटे नैली पंचायत में धर्मांतरण के खेल का भंडाफोड़ हुआ था. उसके बाद लगतार आरएसएस के संगठनों ने वहां जाकर लोगों काे मनाने का प्रयास किया और घर वापसी की तैयारी हो रही है.