गया: जिले के बोधगया प्रखंड स्थित हथियार गांव में वियतनाम संस्था सेमी गवर्मेंट स्कूल की तर्ज पर निःशुल्क शिक्षा दे रही है. ज्ञान भूमि के नाम से विख्यात इस जिले में अच्छी शिक्षा व्यवस्था नहीं है. यह स्कूल सरकार को आइना दिखा रही है. जहां शिक्षा का अलख जगाया जा रहा है. यहां बच्चों को ड्रेस, किताब, मिड-डे-मिल के साथ कम्प्यूटर, संगीत और नृत्य की निःशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है. आसपास के गांव के बच्चे सरकारी स्कूलों से नाम कटवाकर इस स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं.
900 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा
इस संस्था द्वारा संचालित स्कूल में 900 बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है. सिद्धार्थ कम्पेशन स्कूल 40 गरीब बच्चों के साथ समुदायिक भवन से शुरु किया गया था. धीरे-धीरे स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़ती चली गयी. यहां की समाज सेविका कुक तरण उर्फ माता जी और समाजसेवी विवेक कुमार कल्याण ने 15 साल पहले गिरती शिक्षा व्यवस्था को देखते हुए इसकी शुरुआत की थी. गरीब और दलित बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की सोच ने आज हजारों बच्चों को शिक्षित कर मुकाम तक पहुचा दिया है. स्कूल की छात्रा नेहा बताती हैं कि वह सरकारी स्कूल में पढ़ने जाती थी, लेकिन वहां पढ़ाई नहीं होती थी. शिक्षक बैठे रहते थे. परीक्षा की भी सही व्यवस्था नही थी. फिर सिद्धार्थ कम्पेशन स्कूल के बारे में पता चला जहां निःशुल्क शिक्षा मिलती है. तीन साल से यहां पढ़ाई करते हुए वह कंप्यूटर और नृत्य भी सिख रही हैं.
2004 में 40 गरीब बच्चों से स्कूल की हुई थी शुरुआत
सिद्धार्थ कम्पेशन ट्रस्ट के डायरेक्टर विवेक कुमार कल्याण ने बताया कि यह ट्रस्ट बोधगया में पिछले 15 सालों से दलित और वंचित लोगों के बीच कार्य कर रही है. वियतनाम की माताजी कुक तरण और उनके द्वारा 2004 में 40 गरीब बच्चों से स्कूल की शुरुआत की गयी थी. आज हजारों बच्चें नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. इस ट्रस्ट द्वारा संचालित प्राथमिक उच्च विद्यालय में कंप्यूटर कोर्स ,सिलाई ट्रेनिंग केंद्र, डेंटल क्लिनिक, फिजिकल क्लिनिक, म्यूजिक क्लास, डांस क्लास , ये सारी चीजें 15 सालों से नि:शुल्क दी जा रही हैं.
रामनाथ कोविंद ने किया था स्कूल का उद्घाटन
इस स्कूल का उद्घाटन उस वक्त के राज्यपाल राम नाथ कोविंद ने किया गया था. स्कूल का विजिट वियतनाम के राष्ट्रपति की पत्नी नगुयेन हिन ने भी किया था. उनहोंने बताया कि वो लोग गांव-गांव जाकर गरीब और दलित बच्चों के अभिभावको को स्कूल के बारे में बताते हैं. यहां सरकारी स्कूल जैसा सारी सुविधा मिलती है. शुरू में लोगों का विश्वास कम था कम छात्र आते थे, पर अब सरकारी स्कूलों से नाम कटवाकर यहां नामांकन करवा रहे हैं. वे लोग साल में दो बार ग्रामीण इलाकों में विजिट करने जाते हैं.