गया: जिले में सेंटर 'डायरेक्ट संस्था' ने बाल श्रमिक दलाल को उम्र कैद की सजा दिलायी. इस अवसर सेंटर डायरेक्ट संस्था और ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क ने बाल श्रम सवाल और जमीनी पत्रकारिता विशेष पर संगोष्ठी किया. जिसमें वक्ताओं ने बाल श्रम को एक स्वर में समाज के लिए कलंक बताया.
'अबतक 500 बाल मजदूरों को कराया जा चुका है मुक्त'
इस बाबत सेंटर डायरेक्ट संस्था के कार्यकारी निदेशक सुरेश कुमार और वरिष्ठ पत्रकार पुष्यमित्र ने कहा कि जिले में करीब 78 हजार बाल श्रमिक हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि मीडिया और सामाजिक सहयोग से जिले के माथे पर से बाल मजदूरी का कलंक मिट सकेगा. वहीं, वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि आपसी सहयोग के बिना इस मुद्दे पर विजय प्राप्त नहीं किया जा सकता है. इसलिए हमलोग एक-दूसरे के साथ जानकारी साझा कर जिले के सिर पर से इस बदनुमा दाग को हमेशा के लिए मिटा देंगे.
'यूपी-बिहार में सबसे ज्यादा बाल मजदूर'
बाल मजदूरों की सबसे ज्यादा संख्या क्रमश: उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हैं. देश में बाल मजदूर लगभग 55 प्रतिशत के करीब हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में 22 लाख बाल मजदूर जबकि, बिहार में लगभग 11 लाख बाल मजदूर हैं.
अफ्रीका में है सबसे ज्यादा बाल मजदूर
आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बाल मजदूरों की संख्या अफ्रीका में है. यहां 7.21 करोड़ बच्चे बाल श्रम की कैद में हैं. जबकि एशिया-पैसेफिक में 6.21 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं. वहीं, दुनिया के सबसे विकसित कहे जाने वाले देश अमेरिका में बाल मजूदरों की संख्या 1 करोड़ के पार है.
भारत में क्या कहता है बाल श्रम कानून?
बाल श्रम कानून के मुताबिक 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा और उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माने का प्रावधान है. हालांकि, स्कूल से बाद के समय में अपने परिवार की मदद करने वाले बच्चे को इस कानून के दायरे में नहीं रखा गया है.