गया : कोविड-19 कोरोना से सुरक्षा और बचाव के मद्देनजर किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण विदेश में फंसे प्रवासियों को 'वंदे भारत मिशन' के तहत स्वदेश लाया जाएगा. बिहार के प्रवासियों के लिए गया एयरपोर्ट को लैडिंग पॉइंट बनाया गया है और उन सभी क्वॉरेंटाइन में भेजने के लिए बोधगया में स्थित बौद्ध मोनास्ट्री और होटलों का चयन किया गया है. लेकिन कुछ बौद्ध मोनास्ट्री देने में आनाकानी कर रहे है, इसको लेकर होटल एसोसिएशन ने विरोध जताया है.
दरअसल, विदेश में फंसे बिहारी प्रवासियों को गया एयरपोर्ट पर विभिन्न देशों से 24 मई से 4 जून तक लाया जाएगा. तकरीबन आठ हजार लोगों को लाया गया जाएगा. इन सभी प्रवासियों को 14 दिनों तक बोधगया में स्थित होटलों और बौद्ध मोनास्ट्री में बनाये गए क्वराइन्ट सेंटर में रखा जाएगा. सभी प्रवासियों को भुगतान करके रहना होगा. लेकिन बुद्ध के राह पर चलने वाले बौद्ध अनुयायियों ने इस विपदा में बौद्ध मठ में बने रूम देने आनाकानी कर रहे हैं और जिला प्रशासन को सहयोग नहीं कर रहे हैं.
होटल एसोसिएशन ने रखी शर्त
इस संबंध में बोधगया होटल एसोसिएशन के महासचिव ने सुदामा कुमार ने कहा कि यहां सैकड़ों की संख्या में बौद्ध मोनास्ट्री हैं. हर बौद्ध मोनास्ट्री में सैकड़ों कमरे हैं. लेकिन इस विपदा के समय में ये अपना कमरा देने के लिए मना कर रहे हैं. ये सभी बुद्ध की राह पर चलने की बात करते हैं इन्हें सरकार की मदद करनी चाहिए. बौद्ध मठ के कमरे धर्मशाला की तरह हैं. इस पर पहले लोगों हक है. कोई फ्री में नहीं मांग रहा है. फिर भी कमरा देने में पीछे हट रहे हैं. हम सभी होटल वाले खुश हैं. हमलोग को सेवा करने का मौका मिलेगा. साथ ही बंद पड़े होटल चालू होंगे. लेकिन हमलोग की शर्त है कि सबसे पहले बौद्ध मठों में प्रवासियों को एंट्री करवायी जाए.
बता दें कि मगध प्रमंडल के आयुक्त ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि आपदा के समय मे बोधगया के जो भी होटल, गेस्ट हाउस एवं बौद्ध मोनास्ट्री सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार कार्य में सहयोग नहीं करते एवं व्यवधान उत्पन्न करने का प्रयास करते हैं, तो उनके विरूद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.