गयाः बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने टीचिंग कार्यक्रम (Dalai Lama teaching program in gaya) के दौरान कहा कि हमारी प्रार्थना है कि विश्व परमाणु रहित हो. वहीं, कोरोना महामारी नष्ट होने को लेकर की प्रार्थना की गई. बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा (Buddhism guru Dalai Lama) ने कहा कि कोरोना को लेकर चीन मुसीबत में है और वो मुश्किल समय में हो गया है. उन्होंने कहा कि विश्व परमाणु बम रहित हो इससे कहीं ज्यादा कोरोना की महामारी है. इसके लिए प्रार्थना करें और तारा मंत्र का पाठ भी करें. बौद्ध धर्म गुरु ने कहा कि बोधगया पवित्र स्थल है और हम पुण्य संचित कर रहे हैं. कल बौद्धचित की दीक्षा दी गई थी. आज बौद्ध दर्शन के सार के रूप में है. नागार्जुन रचित बौद्ध चित का बोधगया में अभ्यास करें.
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बचपन से ही बुद्ध चित का अभ्यास कियाः बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने कहा कि बचपन से ही बुद्धचित का अभ्यास करता आया हूं. भारत में आने के बाद ध्यान ज्यादा संभव हुआ. सभी बुद्ध चित तारा मंत्र से चिंतन करें. दलाई लामा ने कहा कि परमाणु बम के अधीन कब तक रह सकते हैं. परमाणु बम की घटना दुखद होती है. पृथ्वी के लिए हम सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. हमें बुद्ध के शासन को रखना है. बुद्ध चित की आवश्यकता है.
'परमाणु हथियारों के खिलाफ एकजुट रहें लोग' : इस दौरान उन्होंने दुनिया भर के लोगों से सामूहिक विनाश के हथियारों के खिलाफ ‘एकजुट होकर’ कदम उठाने की भी अपील की. दलाई लामा ने जापान में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बमों से हुई भारी तबाही को याद करते हुए संबोधन के दौरान कहा कि उन्हें हिरोशिमा जाने और वहां जिस स्तर की भारी तबाही हुई थी, उसे देखने का अवसर मिला (Dalai Lama recalls bombing of Hiroshima) था. छह और नौ अगस्त 1945 को जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर दो परमाणु बम विस्फोट किए गए थे.
"बचपन से ही बुद्धचित का अभ्यास करता आया हूं. भारत में आने के बाद ध्यान ज्यादा संभव हुआ. परमाणु बम के अधीन हम कब तक रह सकते हैं. परमाणु बम की घटना दुखद होती है. पृथ्वी के लिए हम सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. हमें बुद्ध के शासन को रखना है"- दलाई लामा, बौद्ध धर्म गुरु
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ः आपको बता दें कि बिहार के बोधगया में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा (Buddhist Guru Dalai Lama in Gaya) के टीचिंग कार्यक्रम का आज दूसरा दिन है, इस टीचिंग प्रोग्राम में तकरीबन 50 से 60 हजार श्रद्धालु शामिल हुए हैं, जो कि पूरे विश्व से आते हैं. इसमें भाग लेने नेपाल, भूटान, यूरोप, अमेरिका समेत सभी देशों से करीब-करीब बौद्ध श्रद्धालु आते हैं. कार्यक्रम के दौरान बोधिसत्व की दीक्षा दी जा रही है. वहीं, इसके बाद बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की लंबी आयु के लिए कालचक्र मैदान से पूजा की जाएगी.