गया: बिहार में बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पवित्र स्थल बोधगया में शुक्रवार को बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा महाबोधि मंदिर पहुंचे ( (Buddhism Guru Dalai Lama)) और विशेष पूजा अर्चना की. इस क्रम में दलाई लामा को देखने और उनके स्वागत के लिए बड़ी भीड़ जुटी रही. धर्म गुरु दलाई लामा 22 दिसंबर को बोधगया पहुंचे. उनके प्रवास के मद्देनजर बोधगया की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. धर्म गुरु के बोधगाया में करीब एक महीने प्रवास का कार्यक्रम है.
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दलाई लामा ने विश्वशांति के लिए गर्भगृह में की पूजा : धर्म गुरु शुक्रवार को तिब्बत मंदिर से निकलकर महाबोधि मंदिर पहुंचे. मंदिर के अंदर गृभगृह में पहुंचकर उन्होंने विश्वशांति के लिए विशेष पूजा अर्चना की और उसके बाद वे महाबोधि वृक्ष के भी दर्शन किए. उनके मंदिर में रहने तक महाबोधि मंदिर में अन्य श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी.
दलाई लामा की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: धर्मगुरु के महाबोधि मंदिर तक पहुंचने वाले रास्ते पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे. सड़कों के किनारे उनके दर्शन और उनके स्वागत के लिए बड़ी भीड़ इकट्ठा रही. उपस्थित लोग उनकी बस एक झलक पाना चाह रहे थे.
29 से 31 दिसंबर तक कालचक्र पूजा: बता दें कि बोधगया स्थित कालचक्र मैदान में दलाई लामा का 29 दिसंबर से चार दिवसीय टीचिंग कार्यक्रम भी तय है. इस दौरान वे श्रद्धालुओं को प्रवचन देंगे और अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देश विदेश के बौद्ध धर्मावलंबियों के पहुंचने की संभावना है. बोधगया बौद्ध धर्मावलंबियों का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. मान्यता है कि यहीं बोधिवृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था.
"बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का आगमन बोधगया में हुआ है. इसे लेकर सुरक्षा को लेकर काफी तैयारी की गई है. पूर्व की घटनाओं को देखते हुए इस बार और अतिरिक्त व्यवस्था किया गया है. सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है. वीडियो रिकॉर्डिंग भी किया जा रहा है. 24 घंटे सुरक्षाकर्मी इनकी सुरक्षा में लगे रहेंगे."- डॉ त्यागराजन, जिला पदाधिकारी
क्या होता है कालचक्र पूजा : दरअसल, कालचक्र पूजा एक तांत्रिक साधना है. इस पूजा से मंडल का निर्माण कर कालचक्र व विश्वात्मा को स्थापित किया जाता है. कालचक्र व विश्वात्मा को शिव-शक्ति का रूप माना जाता है. इसकी साधना से साधक अपने चित्त को बोधि की ओर ले जाने का प्रयास करता है. इस तंत्र साधना द्वारा आध्यात्मिक स्थितियों को पार कर पूर्ण ज्ञान प्राप्त करता है. इसी बोधि को प्राप्त करने वाले चित्त को शून्यता व करुणा का अभिन्न यप कहा गया है.